मोदी सरकार का अगला ड्रीम प्रोजेक्ट!
समान नागरिक संहिता
लागू होने से सभी धर्मों में “बहु विवाह" प्रथा का होगा अंत
“एक देश एक कानून" संहिता लागू नहीं होने से महिलाओं का हो रहा है शोषण
नई दिल्ली। अभी तक हमारे देश में सभी धर्मों के विवाह और तलाक के कानून अलग-अलग हैं साथ ही संपत्ति और पैतृकता के कानून भी अलग-अलग हैं। समान नागरिक संहिता का मतलब है कि देश के सभी नागरिकों के लिए शादी, संपत्ति और उत्तराधिकार के समान कानून लागू होना। लेकिन हमारे यहां ऐसा नहीं है। यदि एक देश एक कानून लागू हो जाये तो फिर बहु विवाह जैसी कुप्रथा भी पूरी तरह से खत्म हो सकती है। "समान नागरिकता संहिता" का मतलब है एक देश एक कानून संहिता इस पर केवल समय-समय पर चर्चा तो जरूर होती रही हैं लेकिन 68 वर्ष बीत जाने के बावजूद राजनीतिक दवाबों के कारण किसी भी सरकार ने इसे लागू करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया। अब सुप्रीम कोर्ट की ताजा टिप्पणी के बाद देश की जनता को ये उम्मीद जगी है कि केन्द्र सरकार चार नवम्बर को दिल्ली हाई कोर्ट में सरकार एक देश कानून को लेकर अपना पक्ष रखेगी। समान नागरिक संहिता पर सरकार करेगी अपना रुख साफ बदली परिस्थितियों में माना जा रहा है कि सरकार इस बार कोर्ट में अपना रुख साफ कर देगी। अश्वनी उपाध्याय की याचिका पर नोटिस के बाद अभिनव बेरी की ओर से भी एक नई याचिका इसी मुद्दे पर दाखिल की गई है। वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उपाध्याय की याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट से उसे भी मामले में पक्षकार बनाए जाने की मांग की है। सभी भार्थल लॉ में समानता लाने का मुद्दा समान नागरिक संहिता मूलतः सभी धर्मों के पर्सनल लॉ में समानता लाने का मुद्दा है। इस पर संविधान निर्माण के समय संविधान सभा में भी बड़ी बहस हुई थी। पहले इसे मौलिक अधिकारों में शामिल करने की बात थी। हालांकि समान राय नहीं बनने के बाद इसे नीति निदेशक तत्वों में रखा गया। नीति निदेशक तत्व लागू करना सरकार पर निर्भर करता है। सरकारों की ओर से आज तक सीधे तौर पर इसे लागू करने के कोई प्रयास नहीं हुए।
_ केवल गोवा में है समान नागरिक संहिता लाग
अब एक बार फिर कोर्ट ने इसका पक्ष लिया है और अब तक सरकार द्वारा इस दिशा में कुछ नहीं किए जाने पर भी टिपण्णी की है। गोवा एकमात्र राज्य है जहां समान नागरिक संहिता लागू है। हालांकि वहां कुछ सीमित अधिकारों को संरक्षण दिया गया है।
समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग को लेकर कोर्ट में दायर की याचिका
दिल्ली हाई कोर्ट में भाजपा प्रवक्ता और वकील अश्वनी उपाध्याय ने याचिका दाखिल कर समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग की है। इस याचिका पर हाई कोर्ट ने गत 31 मई को केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा था। आठ जुलाई को मामला सुनवाई पर लगा था, लेकिन सरकार ने जवाब के लिए कोर्ट से समय मांग लिया था। इसके बाद 27 अगस्त को केस लगा लेकिन दूसरी बार भी सरकार ने समय मांग लिया था। अब चार नवंबर को यह मामला फिर सनवाई पर लगा है।