ऐतिहासिक फैसलों के लिए आभार

ऐतिहासिक फैसलों के लिए आभार 


ऐतिहासिक फैसलों फैसलों पर अटल रहने वाले कानून की किताब माने जाते हैं जस्टिस गोगोई


लगभगएक साल पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद संभालने वाले न्यायाधीश रंजन गोगोई बहुत ही सख्ख मिजाज और कानून की किताब माने जाते हैं । वह अपने फैसलों पर डटे रहने के आदी हैं । वे अपने फैसलों में किसी का हस्तक्षेप पसद नही करते। उनके फैसलों पर विवाद की गुजाइश नहीं रहती। जस्टिस गोगोई के रिटायरमेंट के चंद दिन शेष रहते उन्होंने अपनी आदत के मुताबिक अयोध्या के लगभग 500 वर्ष पुरानी राम मंदिर विवाद पर बहुत ही सुलझा हुआ ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले से जस्टिस गोगोई की छवि और मजबूत हुई है । उन्होंने एक बार कहा था कि स्वतंत्र न्यायाधीश और मुखर पत्रकार लोकतंत्र की सुरक्षा का पहला कवच होते हैं। माननीय उच्चतम न्यायालय के हर निर्णय का हर देश ने सिर झुका कर न केवल सम्मान किया है बल्कि उस पर अक्षरश: पालन भी किया हैं। राम जन्म भूमि पर उच्चतम न्यायालय द्वारा जो शनिवार को बहुप्रतीक्षित निर्णय लिया गया,यह एक अत्यन्त चुनौतीपूर्ण फैसला था, जिस पर देश में विभिन्न न्यायालयों में आजादी के बाद से 70 वर्ष बाद भी फैसला नहीं हो पाया, उस प्रकरण पर मुख्य न्यायाधीश माननीय रंजन गोगोई की पांच सदस्यीय पीठ द्वारा सर्वसम्मति से ऐसा निर्णय सुनाया गया, जिसका पूरे देश में सम्मान किया जा रहा हैं। ___न्याय पीठ के पांचों माननीय न्यायाधाशाद्वाराएकमतसइसविषय पर निर्णय सुनाया गया। ऐसा बहुत कम होता है। कभी-कभा बैच में कोई न कोई न्यायाधीश अपना विपरीत मत रख देते हैं लेकिन यह निर्णय सर्वसम्मति से हआ। इसके लिए माननीय उच्चतम न्यायालय का सादर आभार हैं यह एक ऐसा विवाद था जिस पर दो समतदायों ने अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना रखा था तथा इस प्रकरण को लेकर देश में अनेक बार सांम्पदायिक दंगे भी हए थे जिसमें अनेक लोगों की मौत हो चकी है। चंकि यह अतिसंवेदनशील मसला था जो कि दो सम्प्रदायों की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा था इसलिए इस विवाद पर निर्णय आने पर दोनों में से एक पक्ष जरूर नाराज होता, जिससे देश का वातावरण भी खराब हो सकता था। लेकिन निर्णय को सुनानै पूर्व देश के उच्चतम न्यायालय के मख्य न्यायाधीश और केन्द्र सरकार द्वारा ऐसा माहौल बना लिया गया कि निर्णय आने पर दोनों पक्षों ने ना केवल फैसला स्वीकार किया गया बल्कि उसका स्वागत भी किया गया। केन्द्र सरकार व राज्य सरकार ने भी दो पक्षों के बड़े से लेकर छोटे धर्मगुरुओं में आपसी मन्त्रणा कराई। जिला प्रशासन ने भी स्वयंसेवल संस्थाओं को विश्वास में लिया तथा पुलिस प्रशासन ने अपने रुतवे का प्रयोग कर अराजक तत्वों में डर पैदा किया। इन सबके कारण पूरे देश में कहीं पर भी एक मामूली से मामली घटना भी नहीं हई। ये देश नहीं बल्कि दुनिया के इतिहास में बहुत बड़ी बात है। भारत के दुश्मन देशों को उम्मीद थी कि इस फैसले पर जरूर हमारे देश में दंगेहोंगे जिसका वो लाभ उठायेंगे लेकिन उन्हें बहुत निराशा हुई। वर्ष 2019 देश के इतिहास में सदैव याद रखा जायेगा। इस वर्ष में हमारी संसद द्वाराभी ऐसे-ऐसे निर्णय लिये गये जिस पर इससे पहले कोई भी सरकार बात तक नहीं करना पसन्द करती। जिनमें सबसे पहले संवेदनशील निर्णय तीन सबसप तलाक पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए दोनों सदनों में प्रस्ताव पास कराकर कानूनबना दिया गया। तीन तलाक के मुद्दे को मुस्लिम समाज के धर्मगुरुओं द्वारा शरीयत से जोड़कर एक डर का वातावरण बना रखा था। इसके बाद दूसराचुनौतीपूर्ण निर्णय केन्द्र सरकार द्वारा जो लिया गया वह कश्मीर में धारा 370 को समाप्त करने का था। कन्द्र सरकार न इस धारा का समाप्त कर दिया। यह तो तीन तलाक से ज्यादा संवेदनशील विषय था, केन्द्र सरकार ने कश्मीर में अलगाववादियों व आतंकवादियों पर अंकुश करके बहुत साहसपूर्णव विवेक के साथ ना केवलधारा 370 समाप्त की बल्कि इस विषय को लेकर जिस तरह के बडे खन-खराबे की धमकियां दी जा रही थीं। केन्द्र सरकार ने इस तरह की रणनीति बनाई कि सबके घिनौते मंसूबे धराशायी हो गये। उच्चतम न्यायालय के साथ-साथ, अनेक साहसिक निर्णय लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में कार्य कर रही केन्द्र सरकार को भी कोटिकोटि बधाई की पात्र है। अभी इस वर्ष को समाप्त होने में लगभग 50 दिन बाकी है व उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश माननीयरंजन गोगोई के कार्यकाल में सात दिन शेष हैं। देश को उम्मीद है कि माननीय उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा अपने शेष 7 दिनो में व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इस वर्ष के शेष 50 दिनों में दूसरे अनेक बहुप्रतीक्षित ऐसे ऐतिहासिक निर्णय लिये जा सकते हैं,