जब नागरिकता संशोधन बिल पर पूरे देश में लगी आग तो
तब पुलिस दीवारन बनती तो..
औरों की जान बचाते हुए प्रदेश में 262 पुलिसकर्मी हुए घायल,57 को लगी गोली
पुलिस की गाड़ियां, थाने, चौकी व मोटरसाइकिलें की गई आग के हवाले
प्रधानमंत्री ने भी की प्रशंसा
दिल्ली में धन्यवाद रैली को सम्बोधित करते हए प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी ने जहां देशकीपुलिस के साहस की प्रशंसा की, वहीं उन प्रदर्शनकारियों को भी लताड़ा कि जिन पुलिसवालों पर तुमने पत्थर, गोली चलाई,इन्ही पुलिसवलो में से कुछ ने फिल्मिस्तान सिनेमा के पास लगी आग में घुसकर सैकड़ों लोगे को बचाया था तब इन्होंने बचते समय ज्यादा पुलिसकर्मी ड्यूटी करते समय किसी काजातिवधर्म नहीं पूछाथ। शहीद हो चुके हैं। उन्होंने लोगों से प्रधानमंत्री ने बताया कि आजादी उनके स्मारक परजकर श्रद्धांजलि से अब तक देश में लगभग 35000 से देने का वचन लिया।
नई दिल्ली। अपने पर कोई भी मुसीबत आने पर, आदमी को सबसे पहले पुलिस ही देवदूत लगती है, जो उसे विपत्ति से मुक्ति दिलवा सकती है। घटनास्थल पर पुलिस वाले आते ही, बगैर अपनी जान की परवाह किये उस गुंडे से सीधे भिड़ जाते हैं। इस भिडंत में कई बार पुलिस कर्मी शहीद या गम्भीर रूप से घायल भी हो जाते हैं, तब उनको अस्पताल में देखने या शहीद होने के बाद उनकी शव यात्रा में कोई भी नागरिक या अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं किसी भी दल का नेता जाना पसंद तथा 57 तो पुलिसकर्मियों को गोली नहीं करता। ऐसे ही पुलिस वालों के लगी है। शुक्रवार को नमाज के बाद कारण पूरे देश में चवालियों को रोका विशेषकर दिल्ली, मुंबई, रामपुर गया। यदि पुलिस वाले शहर व आदि कई जगहों पर जो तस्वीरें हिंसक प्रदर्शनकारियों के बीच दीवार न्यूज चैनलों दोपहर तक दिखाई जा बन कर सड़े न होते तो आज देश के रही थी तो उन्हें देखकर सभी को क्या हालाता होते। असुरक्षा की भावना घर कर रही देश की सम्पत्ति व नागरिकों की थी। भीड़ उग्र होकर पत्थर व रक्षा करते हुए प्रदेश के 262 से लाठियों के साथ शहरों में घुसने को तैयार थी। हजारों हिंसक प्रदर्शनकारियों के बीच मुकाबले बहुत कम संख्या में पुलिस वाले मजबूत दीवार बनकर डटे रहें दंगाई इनके ऊपर छतों पर खड़े होकर पत्थरबाजी कर रहे थे। कई जगह पर तो तमंचों से भी सीधे पुलिस पर गोली चलाई गई। लेकिन पुलिस वाले संयम व साहस के साथ प्रदर्शनकारियों के रास्ते से नहीं हटे। पुलिस ने दंगाइयों को हर तरह की चहुं ओर प्रशंसा हो रही है। देश से समझाने का प्रयास किया लेकिन का अमनपसंद नागरिक हो या आन्दोलन हर जगह पूरी तरह से प्रधानमंत्री सभी यह प्रशंसा कर रहे नेतृत्वविहीन था। बेकाय लोगों की हैं, जितनी बड़ी संख्या में, अपने भीड़ को यह पता नहीं था कि वे नापाक इरादों के साथ, पूर्व किसका और क्यों विरोध कर रहे नियोजित योजना से जिस तरह पूरे हैं। ऐसा लग रहा था कि भीड़ को देश में शुक्रवार को नमाज पढ़ कर पीछे से किसी ने सरकार व पुलिस निकले थे। यदि पुलिस देश की के विरु। जहर भरकर भेजा था। जनता को हाल न बनती तो देश में पुलिस के संगम, धैर्य व साहस बहुत भयानक स्थिति हो सकती थी।