अब बदले-बदले से मेरे सरकार नजर आते हैं!
.हैट्रिक के बाद अरविंद केजरीवाल की कार्यप्रणाली व व्यवहार में आया है आश्चर्यजनक परिवर्तन
नई दिल्ली। अब प्रत्यारोपों से बचकर दिल्ली में तीसरी बार मुख्यमंत्री के पद पर शपथ लेने वाले अरविन्द केजरीवाल की कार्यप्रणाली च व्यवहार में काफी परिवर्तन देखा जा रहा है। यदि हम उनके चुनाव प्रचार से शुरू करें तो इस बार चुनाव प्रचार करते समय वह अधिकतर रैलियों में बहुत संयम से बोले, मीडिया से बात करते समय भी केनरीवाल विवादास्पद विषयों पर बोलने से बचते रहे। चुनाव सभाओं में वह न तो पहले की तरह मोदी सरकार पर आक्रामक हुए और न ही उत्तेजित दिखाई दिये। उन्होंने जनता के समक्ष पांच सल में किये गये अपने काम के हिसाब से चोट करने का अनुरोध किया था। चुनाव जीतने के बाद भी तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय, वह उनमें पहली बार कुछ बदलाव देखे गये, जैसे 2013 व 15 में शपथ लेते समय उन्होंने आप पार्टी' की टोपी पहन रखी थी तो अब टोपी की जगह माथे पर रोली का टीका झलक रहा था। इसके साथ ही 2015 के शपथ ग्रहण समारोह में केजरीवाल ने सभी विपक्षी दलों के नेताओं को बुलाया था, लेकिन इस बार उन्होंने नेता की तो बात छोड़, यहां तक कि दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों में से भी किसी को समारोह में नहीं बुलाया। शपथ ग्रहण समारोह के पश्चात सम्बोधन में उन्होंने इस बार पीएम नरेन्द्र मोदी से सहयोग च आशीर्वाद मांगा था जबकि पहले समय में अधिकतर केन्द्र सरकार की आलोचना की थी। केजरीवाल इस बार शपथ ग्रहण करने के बाद केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह से नाकर भेंट की तथा उनसे भी सरकार चलवाने में उनका सहयोग व आशीर्वाद मांगा। इन सब बातों को देखकर लग रहा है कि केजरीवाल अब राजनीति के मंने हुए खिलाड़ी हो गये हैं। अब वह पहले की तरह बचकाना बयान देने से अपने आपको बचा रहे है। परिवर्तन साथ ही उन्होंने उस कन्हैया कुमार' के विरुद्ध भी कार्यवाही करने हेतु मन बना लिया है। निस 'कन्हैया कुमार' को उन्होंने देश के विरुद्ध बयान देने के बावजूद जेएनयू में जाकर समर्थन दिया था। उस समय कन्हैया ने देशविरोधी नारे जेएनयू में लगाये थे। केजरीवाल में अचानक आये इन परिवर्तनों के पीछे, उनकी क्या सोच है, यह तो स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। लेकिन लगता है कि कही न कहीं केजरीवाल के रणनीतिकारों ने उन्हें शायद अब यह परामर्श दे दिया है कि केन्द्र के साथ चलकर ही वह अपने सपने पूरे कर सकते हैं। विरोध करने से, उनके हाथ कुछ लगने वाला नहीं।