देश का चौथा बड़ा निजी बैंक यस बैंक' भी हुआ ‘नो-बैंक'
खाते में जमा हों चाहे लाखों लेकिन निकाल सकेंगे सिर्फ 50 हजार
नई दिल्ली। एक साल में तीसरे बैंक के रूप में यस बैंक के दिवालिया होने से इस बैंक के उपभोक्ताओं के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई हैं। हर कोई अपनी ड्रबाती रकम में से अधिक से अधिक बचाने के लिए हाथ-पांव मार रहा है। उधर रिजर्व बैंक ने यस बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भंग कर बैंक के सारे अधिकार अपने हाथ में ले लिये हैं। साथ ही यह आदेश नारी कर दिये हैं कि बैंक के ग्राहक अब से 3 अप्रैल तक पूरे होने वाले एक माह में केवल 50 हजार रुपये ही निकाल सकते हैं। शादी व बीमारी जैसी विशेष परिस्थितियों में अधिक से अधिक 5 लाख रुपये तक निकाले जा सकते हैं। रिजर्व बैंक की कार्रवाई के बाद से बैंक के ग्राहकों में भगदड़ मच गई है। ग्राहक बैंक के कार्यालयों में लाइनों में लग कर अपने पैसे निकालने की कोशिश कर रहे हैं। हालात यहां तक हो गये हैं कि बैंक में अब देने के लिए पैसे नहीं बचे हैं। पैसे निकालने वालों को कूपन दिये जा रहे हैं और ये आवासन दिया जा रहा है कि पैसा आते ही उन्हें मिल जाएगा। यस बैंक को देश का चौथा सबसे बड़ा निजी बैंक माना जाता था। इसे बैंकों का ब्रांड कहा जाता था। इस बैंक की स्थापना 2003 में अशोक कपूर और राणा कपूर ने की थी। मुंबई हमले में अशोक कपूर की मौत हो जाने के बाद से ही बैंक की नींव हिल गयी थी जब उनकी पत्नी ने अपनी बेटी को बोर्ड आफ डायरेक्टर बनाने के लिएमुकदमेचाजी की थी। उसके बाद राणा कपूर ने इस बैंक को संभाला और उनके पास दो करोड़ से ज्यादा शेयर थे। 2018 में राणा कपूर ने कहा था कि ये शेयर नहीं हीरे हैं, इन्हें कभी नहीं बेचूंगा बल्कि इन्हें अपनी तीन बेटियों और उनके बच्चों को दे दूंगा और इन शेयरों के लिए वसीयत में भी लिस दूंगा कि इनमें से एक भी शेयर न बेचा जाये लेकिन हालात यहां तक पहुंची कि आखिर में उनके पास केवल 58 हजार रुपये के 900 शेयर ही रह गये थे। यस बैंक की देश भर में 1000 से अधिक शाखायें हैं और 18000 से अधिक एटीएम हैं। इसके अलावा महिलाओं के लिए अलग ब्रांच भी हैं। यस बैंक में अक्टूबर 2019 तक दो लाख करोड़ रुपये की पूंनी जमा थी।
अब तक 30 बैंकहो चुके हैं दिवालिया
महाराष्ट्र का यह दूसरा ऐस बैंक है जो हूबने जारहा है । यस बैंक से पहले पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) पर सितबर 2019 में जब अचनक रिजर्व बैंक ने कई पदियां लगा दी तो बैंक के ग्राहक सकते में आ गए थे। सहकारी बैंक होने के नाते इसमेछोटे निवेशकों के पैसेज्यादाथे।रिजर्व बैंक ने निर्देश दिया था कि छह महीने की अवधि के दौरान पीएमसीके प्रत्येक ग्रहक के लिए निकासी की सीमा 1,000 रुपये रहेगी। इसबैकके डूबने से इसके सातग्राहकों की सदमे में हार्ट अटैक से मौत भी हो गयी थी।मार्च 2019 तक 26 अर्वन कोऑपरेटिव बैंकों (यूसीबी) को कुप्रबचनया फर्जीवाड़े के कारण आरबीआई के प्रतिबंध के दायरे में लया जा कुका वावगी स्टॉक ब्रोकरकेतन पारेखसेजुडीझाइयो कोलेन देने से सवचितमानवपुरा मर्केटाइल कोऑपरेटिव बैंक स्कैमने आरबीआईको वैकसी बढ़ाने पर मजबूर कर दियाथाजनवरी 2020 में वेगलुरु स्थित श्री गुरु रामचंद्र सहकारी बैंकपरआरबीआई ने कई तरह की पाबंदिया लग दी है। बैंक के ग्राहक खते से सिर्फ 35 हजार रुपये निकाल सकेंगे।यह बैंक अगले छह महीने तक रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना नतो कोई नयालोन दे सकता है और न कोई निवेश कर सकता है।
ग्राहकों में मची हैअफरा-तफरी
जब कोई बैंक इयता है तो अफरातफरी मच जाती है।छोटा होयाबहा बैंकका हर ग्राहक अपना पैसावासपने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चहता।ताजा मामला यस बैंकका है,जो डूबने की कगरपर है। लेकिन ग्राहकों में डर ही नहीं फैला है। कुछ सालों में कई बैंक डूबे हैं और खथ में ग्राहकों की मेहनत की कमाई भी डूब गई। यदि मार्च 2019 से लेकर मार्च 2020 तक की बात करें तो इस एक में अब तक तीन बैंक डूब चुके हैं। सभी बैंकों के डूबने के समय पहले ऐसे ही निकासी पर रोक लगी थी। उसके बाद क्या हुआ किसीको कुछ भी नहीं मालूम।पीएमसी बैंक के डूबने से सत ग्राहकों को हार्ट अटैक से मतभी हो चुकी है दिवेक के ग्राहक परेशान है और देशभर में बैंक 18000 से ज्यादा एटीएम में ज्यादातर के बाहर लाइन लगी हुई है। कही से कोई पैसा नहीं निकल पा रहा है। दूसरे बैंको के एटीएम से भीयश बैंक के एटीएम कार्ड से पैसा नहीं निकल पा रहा है।
श्रीजगन्नाथ मंदिर के 545 करोड़ रुपयेभी हैं यश बैंकमें
यश बैंक के दिवालिया होने में जहां आम ग्राहक परेशान है. वही उडीस के पुरी में भगवान जगन्नाथ के मंदिर के 545 करोड़ रुपये फसे हुए है। इस खार के सामने आतेहीमदिरकी प्रशासनसमिति नेसवलउठाया है किडनीबडी रकमको राष्ट्रीय बैंक में क्यों नहीं जमा किया गया। सदस्यों ने कहा कि इस बात की जब होगी कि इतनी बड़ी रकमको यसवैक जैसे निजी बैंक मेक्यो जमा किया गया है। इसमामले की शिकायत पुलिस में दर्ज करा दी गई है।