जिंदगी नहीं, सुकून की मौत देने वाला
है कान्हा की नगरी में बना ये अस्पताल
अस्पताल में कोई न बेडचार्ज और न ही खाने-पीने का पैसा लिया जाता
गाजियाबादकैंसर जैसी गंभीर बीमार की आखिरी स्टेज पर जब डॉक्टर भी जवाब दे देते हैं और मरीज व उसके परिजनों को भी ये पता होता है कि अब वो कुछ ही दिनों का मेहमान है ऐसे में शारीरिक व मानसिक वेदना से ग्रस्त रोगियों को सुकून की मौत देने के लिए वृंदावन में स्थापित भक्ति वेदांता अस्पताल एक अनोखी पहल कर रहा है। भक्ति वेदांता अस्पताल के अंदर पिछले नौ वर्षों में कितने ही मरीज सुकून की मौत पा चुके हैं। एक तरह से इस अस्पताल में भर्ती होने वाले रोगियों को डेथ केयर दी जाती है। इस अस्पताल में मरीज को उसके मजहब वाले माहौल में रखा जाता है। बीते नौ साल से संचालित भक्ति वेदांत हॉस्पिटल लाइलाज बीमारियों की आखिरी स्टेज पर पहुंच चुके मरीजों को डेथ केयर या कहें स्प्रिचुअल केयर दे रहा है। इसके लिए वह मरीज को आध्यात्मिक माहौल देकर मौत का डटकर सामना करने का हौसला देता है। मसलन, हिंदू को गीता के 18वें अध्याय का पाठ सुनाने के साथ गंगाजल और तुलसी दी जाती है तो मुस्लिम मरीजों के लिए कुरान की आयत पढ़कर सुनाने के साथ पवित्र जमजम का पानी और इसी तरह अन्य धर्मों के मरीजों को भी डेथ केयर दी जाती है, ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके और वे बेखौफ होकर मौत का सामना कर सके। भक्तिवेदांत हॉस्पिटल में प्रतिदिन सुबह और शाम आरती के बाद बेड रेस्ट कर रहे मरीजों को दर्शन देने के लिए ठाकुर जी को रथ सवार करके उनके पलंग तक लाया जाता है। यहां मरीजों के लिए 15 बेड हैं। इस समय यहां 4 मरीज ऐडमिट हैं और पिछले साल यहां 131 लोग अपना शरीर त्याग चुके । कैंसर मरीज को जितना दर्द सहन करना पड़ता है, उसका एक सामान्य व्यक्ति अंदाजा भी नहीं लगा सकता। सबसे ज्यादा जो मानसिक पीड़ा मरीज को झेलनी पड़ती है, वह होती है अपनों की बेरुखी की, जिससे मरीज का मनोबल पूरी तरह टूट जाता है। ऐसे ही मरीजों की आखिरी वक्त में सेवा के उद्देश्य से वर्ष 2010 में इस हॉस्पिटल की शुरूआत की गई थी। यह मुंबई के मीरा रोड स्थित भक्तिवेदांत हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टिट्यूट का ही हिस्सा है। भक्ति वेदांता अस्पताल उद्देश्य है कि जब कैंसर असहाय पीड़ा से जूझते रोगी जीवन बचाना नामुमकिन है तो फिर उसे सुकून भरी मौत देना ही उचित है। इस अस्पताल में भर्ती होने के बाद रोगी के मन से मौत का डर पूरी तरह से निकल जाता हैअस्पताल में कोई बेडचार्ज नहीं लिया जाता है। और न ही खाने-पीने का पैसा।