जिन अधिकारियों ने किए घोटालेकार्रवाई
भाजपा से नगर निगम के पार्षद राजेंद्र त्यागी अपने बेबाक शैली के साथ एक के बाद एक सदैव नए-नए ऐसे-ऐसे घोटाले खोलते जा रहे हैं। जिनसे जी.डी.ए. व नगर निगम को अरबों-खरबों का लाभ हो चुका है।
LUSE MOTIVTE WA..! A CENTRE FOR DISTANCE LEARNING -परमार्थ संदेशथा। राजेंद्र त्यागी ने बताया कि उनके विरोध के बाद, हाईकोर्ट गाजियाबाद। इस तरह के घोटाले वैसे तो जीडीए व नगर के आदेशानुसार (जीडीए) द्वारा जमीन को बिल्डर्स से वापस निगम के उच्च अधिकारियों के बगैर मिलीभगत के किए जाने लेना पड़ी। किसी प्रकार भी संभव नहीं है। राजेंद्र त्यागी ने इन घोटालों यशोदा अस्पताल द्वारा नेहरूनगर में 39 कमरे का एक का पर्दाफाश किया तो जांच के उपरांत अधिकतर प्रकाश में नर्सिग हॉस्टल जो 6000 वर्ग गज में बना था उसका राजेंद्र त्यागी द्वारा लगाए गए आरोपों को सही पाया गया। अस्पताल ने आठ वर्षों से मामूली किराया भी नहीं जमा किया इनमें से कई में तो जीडीए को अपनी वह करोड़ों की संपत्ति गया था। राजेंद्र द्वारा प्रकरण उजागर किए जाने पर, जांच वापस भी मिली है जिसके अवैध कब्जे की जीडीए व नगर कमेटी ने सही माना तथा जीडीए ने नेहरूनगर के हॉस्टल का निगम के अधिकारियों के पास कोई जानकारी नहीं थी। इन अनुबंध रद्द करके कब्जा वापस ले लिए। इसी तरह राजेंद्र जमीनों को पूर्व उच्च अधिकारियों ने घालमेल करके तितरत्यागी द्वारा इस तरह के कामों की लंबी फेहरिस्त है जिनमें बितर कर दिया था। इंदिरा प्रियदर्शनी पार्क प्रकरण भी एक है जो अभी न्यायालय एक तरफ जीडीए व नगर निगम अपनी बेशकीमती जमीन बेशकीमती जमीन वापस मिली। राजेंद्र त्यागी बताते हैं कि में विचाराधीन है। उसमें भी नगर निगम ने अपनी जांच में पाकर मालामाल हो गया है वहीं दूसरी तरफ उन दोषी व भ्रष्ट जीडीए के तत्कालीन अधिकारियों द्वारा 2007 में क्रांसिग्स राजेंद्र त्यागी द्वारा लगाए गए आरोपों को सही अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही करने पर चींटी की रिपब्लिक बिल्डर्स को 19 हेक्टेयर वो जमीन बेच दी थी जो माना है। चाल चल रहे हैं जिन अधिकारियों ने अपने कार्यकाल में यह जीडीए को नगर निगम से अधिग्रहण से मिली थी। नियमानुसार कांड किए थे उनके प्रति प्राधिकरण व निगम का रुख सख्त ऐसी जमीन को नगर निगम बिल्डर्स को बेच नहीं सकता। इस बेशकीमती जमीन पर खड़ा है। इस क्यों नहीं है। महापौर क्यों नहीं जनता की तरफ से ऐसे पर राजेंद्र त्यागी बताते हैं कि हाईकोर्ट इलाहाबाद में वो इस प्रकरण को भी राजेंद्र त्यागी ने उछाला। अधिकारियों को दंडित कराने में अपनी भूमिका अदा करती है। प्रकरण को लेकर गए तथा हाईकोर्ट द्वारा निर्णय उनके पक्ष में जब जीडीए सचिव ने जांच की तो पाया इस तरह के अनेक सवाल आज गाजियाबाद को जनता के दिया और जीडीए को क्रांसिग्स रिपब्लिक बिल्डर्स से 19 कि 10541 वर्गमीटर जमीन तो जहन में अवश्य आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर अपने जुनून से हेक्टेयर जमीन वापस लेनी पड़ी। आईएमटी ने अवैध रूप से कब्जाई जिस व्यतक्ति ने जीडीए व नगर निगम को अरबों की जमीन इसी तरह राजनगर एक्सटेंशन में 67000 वर्गमीटर हुई है। जिसके प्रमाण में आईएमटी का लाभ हुआ है। उस व्यक्ति को प्रोत्साहित करने के लिए बेशकीमती जमीन जीडीए ने नीलाम करके, बिल्डर्स को बेच प्रबंधन कोई भी दस्तावेज जब दोनों सरकारी विभाग द्वारा एक बार भी नहीं सोचा गया। राजेंद्र दी थी जबकि यह जमीन भी केवल जन सुविधाओं को कमेटी को प्रस्तुत नहीं कर सके। त्यागी द्वारा वैसे तो अनेक अनियमितताओं का पर्दाफाश किया विकसित करने के लिए प्रयोग की जा सकती थी। इस जमीन गया है लेकिन उनमें कुछ प्रमुख हैं जिनमें जीडीए को का बिल्डर को बेचने का किसी भी विभाग को अधिकार नहीं " alt="" aria-hidden="true" />
सरकारी कीमत के अनुसार इस जमीन की कीमत आज व्यक्तिगत संबंधों को दरकिनार करके, अपनी जान जोखिम करना प्रारंभ नहीं कर देते। वहीं दूसरी ओर क्या जी.डी.ए पक्ष हो गए हैं। ज्यादातर व्यक्ति यह मानते हैं कि व जीडीए स्तर पर जांच की जा रही है। वहीं दूसरी ओर लगभग 70 करोड़ रुपये की तो है ही। साथ ही राजेंद्र त्यागी डालकर भू-माफिया से पंगा लिया। साथ ही दस्तावेज व नगर निगम ने अपने उन तत्कालीन अधिकारियों के अनियमितताएं तो हुई हैं। हिन्दी भवन समिति को समय लैंडक्राफ्ट के डायरेक्टर ललित जायसवाल ने आरोप को ने आरोप लगाया कि जिस शेष जमीन पर आईएमटी बना तैयार कराने, फोटोस्टेज कराने, प्रेसवार्ता करने में भी खिलाफ जांच करने की तरफ कोई प्रभावी पहल की रहते जीडीए का पैसा जमा करना चाहिए था लेकिन वहीं सिरे से नकारते हुए कहा है कि उन्होंने जिस जमीन पर है वह भी लाजपत राय एजुकेशनल ट्रस्ट की है। राजेंद्र आर्थिक व्यय वहन किया, इन सब से लाभ तो जीडीए व जिन्होंने अपने स्वार्थवश आखें बंद करके जगह-जगह दूसरी ओर सामाजिक गतिविधियों की एकमात्र केंद्र हिन्दी लैंडक्राफ्ट बनाई है वह पूर्ण तथा वैद्य है तथा उसके त्यागी बताते हैं कि यह आईएमटी की सारी बिल्डिंग पूरी नगर निगम को हुआ जिसको बगैर कुछ करे कराये अपनी बेशकीमती सरकारी जमीनों को खुर्द-बुर्द करवाया। भवन को दोनों में से कोई भी पक्ष बंद करने के लिए सहमत स्वामित्व के प्रमाण उनके पास हैइस प्रकरण में जांच के तरह से अवैध जमीन पर खड़ी है। आईएमटी के चेयरमैन खोई हुई अरबों-खरबों की जमीन वापस मिली इसको सवाल यह भी है कि जिला प्रशासन व उत्तर प्रदेश नहीं है। बाद जो भी सच्चाई होगी वह जनता के सामने कुछ ही दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ हैं। करने वाले राजेंद्र त्यागी के हिस्से में केवल व्यक्तिगत बुराई प्रशासन को उन सभी तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ राजेंद्र त्यागी द्वारा दिनांक 15 मई को की गई प्रेसवार्ता में खुद ही आ ही जाएगी। लेकिन अब एक बात तो जरूर सवाल यह है कि राजेंद्र त्यागी जिस प्रकार एक के बाद एवं मानसिक तनाव ही आया इसके अतिरिक्त कुछ नहीं। कठोरतम कार्यवाही शुरू नहीं करनी चाहिए। जिससे में लैंडक्राफ्ट बिल्डर्स पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए है कि राजेंद्र त्यागी की प्रेसवार्ता का भय लोगों को इतना एक जमीन घोटाले उजागर कर रहे हैं इसके बाद जीडीए, जिन विभागों को अरबों-खरबों का लाभ हुआ तो उन वर्तमान में कार्यरत अधिकारियों को भी सबक मिले। कहा था कि लैंडक्राफ्ट बिल्डर्स द्वारा ज्यादातर सोसायटी हो गया है कि ये जब भी प्रेसवार्ता करने की घोषणा करते नगर निगम को उनकी अवैध रूप से कब्जाई वो जमीन दोनों विभागों द्वारा क्या राजेंद्र त्यागी को रिबार्ड नहीं दिया वर्तमान में दो और मुख्य प्रकरण है जिनको राजेंद्र उन्होंने अवैध जमीन पर बनाई गई है। राजेंद्र त्यागी ने हैं तो कुछ उनसे भयभीत कुछ लोग तो अपने सूत्रों को वापस मिल रही है जिसकी उनके पास न तो कोई जानकारी जाना चाहिए था। इसके विपरीत यदि राजेंद्र त्यागी द्वारा त्यागी ने समय-समय पर प्रेस कांफ्रेंस करके उजागर किया प्रेसवार्ता में, अपने द्वारा मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को लिखे प्रेसवार्ता में भेजकर यह सुराग लगाने में लगे रहते हैं कि है न ही अपने स्वामित्व के प्रमाण। इस पर सवाल यह है लगाए गए आरोप यदि सिद्ध नहीं हो पाते तो क्या यही दोनों है। उनमें से एक तो बहुचर्चित प्रकरण 'हिन्दी भवन' है जो पत्र के साथ प्रमाण संलग्न करते हुए बिल्डर पर अवैध आज की प्रेसवार्ता में राजेंद्र त्यागी के निशाने पर कहीं वह कि जिस व्यक्ति ने अपने प्रयास व खर्चे से शहर में सभी सरकारी विभाग अनेक तरह की कार्यवाही उनके खिलाफ आज शहर में जन चर्चा बन गया है। इस प्रकरण पर भी दो कब्जे का आरोप लगाया है। इस प्रकरण की शासन स्तर तो नहीं है।