कहां गुम है मणिशंकर अय्यर

कहां गुम है मणिशंकर अय्यर


सोशल मीडिया पर मणिशंकर अय्यर के गायब होने को लेकर फैलाई जा रही है अनेक भ्रांतियां


 -परमार्थ संदेश


गाजियाबाद। अब जब लोकसभा चुनाव में विवादित बयान देने वालों की बाढ़ सी आई हुई है। और चुनावी सभाओं में शब्दों की सभी मर्यादाओं को लांघ दिया गया है। जिसके मुंह में जो भी आ रहा है वह वही बक रहा है। इस लोकसभा चुनाव में एक दूसरे के लिए चोर, राक्षस, दुर्योधन, पापी, कम पढ़ा लिखा, भ्रष्टाचारी जैसे शब्दों का प्रयोग सुनते-सुनते जनता के भी कान पक गए हैं तब ऐसे चुनावी संग्राम में एक बड़बोले, विवादित बयानबाज, राष्ट्रीय नेता व पूर्व सांसद मणि शंकर अय्यर की कमी खल रही हैवह न तो किसी टीवी चैनल पर दिखाई दे रहे है। ना ही उन्होंने कोई बयान दिया। ग्यारह अप्रैल को प्रथम चरण से प्रारंभ हुआ चुनाव आज छठवे चरण तक पहुंच गया है। सातवें अंतिम चरण का चुनाव 19 मई को हो जाएगा। जनता का फैसला भी देश के नेताओं को 23 मई को सुना दिया जाएगा कि वह किस नेता व सरकार को देश की बागडोर सौपेंगा चाहती है।    इस विषय में मणि शंकर अय्यर की चुप्पी को लेकर सोशल मीडिया में दूसरी तरह से प्रचारित किया जा रहा है जो देश की जनता को तो हजम नहीं हो पा रहा है लेकिन फिर भी एक भ्रम जरूर पैदा कर रहा है। आखिर कहां है मणि शंकर अय्यर? सोशल मीडिया पर एक पोस्ट मणी शंकर अय्यर के विषय में तेजी से वायरल हो रही है। जिसमें एक व्यक्ति द्वारा एक वीडियो में यह दावा किया जा रहा है कि मणी शंकर अय्यर दिनांक 26 फरवरी को उस समय बालाकोट (पाकिस्तान) में थे जब भारत की वायुसेना द्वारा हमला किया गया था। और इससे सम्बन्धित अनेक भ्रांतियां फलाई जा रही है। सोशल मीडिया पर प्रचारित इस पोस्ट में यह दावा किया जा रहा है कि इसलिए 26 फरवरी 2019 के बाद से मणी शंकर अय्यर भारत में कहीं भी दिखाई नहीं दिए। वह पिछले गुजरात विधानसभा के चुनावों के दौरान देश के प्रधानमंत्री मोदी को 'नीच' शब्द कहकर काफी चर्चित हुए थे और अब इस चुनाव में मणि शंकर कमी को जहां महसूस किया जा रहा है वही जब दूसरे नेता नरेंद्र मोदी पर नए-नए अलकारों से युक्त शब्द बाणों का प्रयोग कर रहे हैं तब मणी शंकर अय्यर जैसे नेता का तीन महीने से मुंह पर टेप लगाकर, कहीं चुपचाप छिपकर बैठना एकदम असम्भव दिखाई देता है जो कि अपने आप में एक सवाल है, लेकिन इस पोस्ट में कहीं छोटी सी सच्चाई है तो भाजपा जैसी पार्टी के लिए तो ऐसे चुनावी मौसम में यह एक ट्रंप कार्ड है जिसे खेलकर कांग्रेस को चारों खाने चित्त कर सकती है। भाजपा द्वारा इस पोस्ट का प्रयोग चुनावी अस्त्र के रूप में ना करना, यह संकेत देता है कि सोशल मीडिया पर प्रचारित इस पोस्ट की सत्यता संदिग्ध हैवहीं, जब सोशल मीडिया द्वारा मणिशंकर अय्यर को लेकर इतना बड़ा दुष्प्रचार किया जा रहा है तो कांग्रेस पार्टी प्रबंधन द्वारा इसका खण्डन क्यों नहीं किया जा रहा है अथवा मणीशंकर अय्यर द्वारा स्वयं इलेक्ट्रोनिक्स मीडिया के समक्ष आकर अपने स्वस्थ व कुशल होने का समाचार देना चाहिए। ताकि उनके विषय में जो देश में भ्रम फैलाया जा रहा है उसका अंत हो सके। मणि शंकर अय्यर ने 2014 में मापिला दुतुरई लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था जहां से चुनाव हार गए थे। इस वर्ष 17वीं लोकसभा के चुनावों में ना तो मणि शंकर अय्यर ने कहीं से टिकट मांगा न ही उन्हें कांग्रेस पार्टी द्वारा देश में उन्हें किसी भी लोकसभा चुनाव लड़ाया जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी को जरूर अपने नेता मणी शंकर अय्यर को मीडिया के सामने लाकर, इस प्रकरण का निष्पादन करना चाहिए नहीं तो उनके बारे में सोशल मीडिया पर भ्रम की स्थिति बनी रहेगी।