23 मई का जहां सभी राजनैतिक दलों को इंतजार है, वहीं 543 सांसद बनने के लिए पूरे देश में चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों को भी 23 मई का बेसब्री से इंतजार है। उन्हें नहीं पता कि किसके गले में 'हार' पड़ेगें और किसके नसीब में 'हार' आयेगी। वहीं देश की जनता को भी 23 मई का इंतजार काटे नहीं कट रहा है। वह भी देखना चाहती हैकि उनके द्वारा दिया गया वोट कितना कारगर हुआ हैवोट कितना कारगर हुआ हैया बेकार गया। देश की जनता ही नही बल्कि पूरे विश्व के बड़े देशों की भी निगाहें भारत के भावी प्रधानमंत्री के नाम की घोषणा सुनने में लगी है। 19 मई के सातवें अतिंम चरण के मतदान के बाद तो समय जैसे काटे नहीं कट रहा है। टी.वी के न्यूज चैनल जरूर अपना पूर्वानुमान देकर प्रतीक्षा करने वालों के समय को काटने में सहयोग दे रहे हैं। मुझे याद है जब हमारा हाईस्कूल व इंटर का रिजल्ट आना होता था तो उस समय रिजल्ट केवल नेशलन हेरल्ड में छपता था तथा सीबीएसई व आईसीएसई जैसे बोर्ड भी नही थे। तब रिजल्ट से एक दिन पहले हम परीक्षा दे चुके छात्रों की जो हालत होती थी कमोबेश वही हालात आज हमारे सांसद प्रत्याशियों की है। अब आते है मुद्दे पर, कौन बनेगा देश का प्रधानमंत्रीवैसे तो सभी राजनैतिक दलों के सर्वोच्च अथवा एक मात्र नेता (किसी दल में) अपने को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर सपने में बैठा देख रहे है। उनमें न तो बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पीछे है ना ही राहुल गांधी के साथ बहिन मायावती ,भैया अखिलेश यादव, केजरीवाल जी, चंदबाबू नायडू भी कहीं पीछे नहीं है। चंद्रबाबू नायडू जैसे अति उत्साही नेताओं ने तो अभी से गैर भाजपाई दलों के शीर्ष नेताओं के साथ मीटिंग करके आगे की योजना भी बनानी शुरू कर दी है। मीटिंग के अंदर बड़े नेताओं में क्या-क्या बातें हो रही है। इसका ब्यौरा तो परमार्थ संदेश के पास नहीं है। लेकिन अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे में इनके द्वारा यही कयास लगाये जा रहे होंगे कि अमुक दल को इतनी सीटें मिलेगी तथा दूसरे दलों को कितनी-कितनी सीटें मिलेंगी इस पर भी इन मीटिंगों में चर्चा हुई होगी। साथ ही किस-किस को प्रधानमंत्री बनाना है उनके नामों पर भी प्राथमिकताएं तय की जा रही होगी। साथ ही किस सांसद (भावी ) को कौन सा मंत्रालय दिया जायेगा। इस विषय पर लिस्ट बना ली गई होगी। इन सब को देख कर तो एक कहावत याद आती है। 'रूई ना कपास ''आपस में लठम लठ्ठा' वहीं दूसरी तरफ वर्तमान में सता में आसीन भाजपा व उसके सहयोगी दल बिल्कुल शांत बैठे है, जैसे कि उन्हें आने वाले परिणाम का अहसास हो चुका है। जब दूसरे दलों में भागदौड़ जारी है वही भाजपा के शीर्षस्थ नेता नरेंद्र मोदी केदारनाथ बाबा की गुफा में ध्यान साधना में मस्त हैं तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित साह, विश्व प्रसिद्ध सोम नाथ मंदिर में पूजा करने पुहंच गये थे। कहावत याद आती है। 'रूई ना कपास ''आपस में लठम लठ्ठा' वहीं दूसरी तरफ वर्तमान में सता में आसीन भाजपा व उसके सहयोगी दल बिल्कुल शांत बैठे है, जैसे कि उन्हें आने वाले परिणाम का अहसास हो चुका है। जब दूसरे दलों में भागदौड़ जारी है वही भाजपा के शीर्षस्थ नेता नरेंद्र मोदी केदारनाथ बाबा की गुफा में ध्यान साधना में मस्त हैं तो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित साह, विश्व प्रसिद्ध सोम नाथ मंदिर में पूजा करने पुहंच गये थे। |री राय है कि जब हम देश के प्रधानमंत्री जैसी महत्वपूर्व कुर्सी के लिए देश में जगह-जगह हजारों लोगो से चर्चा सुनते हैं। तो 95% प्रतिशत लोग इस बात पर सहमत होते दिखाई देते है। कि प्रधानमंत्री के लायक तो इस समय देश में केवल एक ही नेता योग्य दिखाई देता है। जिसको ना केवल अपने देश की ही नेता योग्य दिखाई देता है। जिसको ना केवल अपने देश की अधिकतर जनता मानती है बल्कि पूरी दुनिया के बड़े से बड़े वो देश भी नरेंद्र मोदी को भारत का प्रधानमंत्री बनते हुए देखना चाहते है जिन्होंने पहले कभी नरेंद्र मोदी को अपने देश की घरती पर पैर रखने की भी अनुमति नही दी थी। 23 मई को ईवीएम के परिणाम अपना निर्णय देंगे कि भारत का अगला प्रधानमंत्री कौन होगा आओ चले 23 मई तक करें इंतजार।
कौन बनेगा प्रधानमंत्री?