लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की आशंका से

लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिलने की आशंका से


परदे के पीछे गरमाने लगी विपक्षी सियासत -परमार्थ संदेश


सम्मेलन में विपक्षी दल कर सकते है गठबंधन का ऐलान विपक्षी दल नहीं चाहते बहुमत न मिलने पर राष्ट्रपति भाजपा को नहीं दे सरकार बनाने का न्यौता


-परमार्थ संदेशगाजियाबाद। लोकसभा चुनाव में करीब 90 प्रतिशत मतदान का कार्य पूरा हो चुका है। अंतिम चरण का मतदान 19 मई को होना है। लेकिन विपाक्षी दलों को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने का डर अभी से ही सताने लगा है। विपक्षी दलों की सियासत पर्दे के पीछे गरमाने के संकेत मिल रहे हैं। चुनाव परिणाम के दो दिन पहले 21 मई को विपक्षी दलों की संयुक्त बैठक होने जा रही है। इस बैठक के लिए एजेंडे तय करने की तैयारियां भी शुरू हो गई है। तेलगूदेशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू की पहल पर विपक्षी दल 21 मई को राजधानी दिल्ली में एक मंच पर जुट कर आपस में गठबंधन का ऐलान कर सकते हैं। 19 मई को आम चुनाव का अंतिम चरण खत्म होने के बाद जहां चुनाव का शोर समाप्त हो जाएगा, वहीं परदे के पीछे सियासी गतिविधि के पूरी तरह गमार्ने के संकेत होने लगे हैं। 21 मई को विपक्षी दलों की प्रस्तावित मीटिंग से पहले उसका अजेंडा तय करने की भी तैयारी शुरू हो गई है। टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू  की पहल पर 21 मई को दिल्ली में विपक्षी दल एक मंच पर जुट सकते हैं। सूत्रों के अनुसार 21 मई को प्रस्तावित मीटिंग में विपक्षी दल आपस में गठबंधन का ऐलान कर सकते हैं। दरअसल आम चुनाव के दौरान कई विपक्षी दल आपस में भी चुनाव लड़े हैं। टीडीपी खुद आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ तो ममता बनर्जी बंगाल में कांग्रेस के विपक्षी में खिलाफ चुनाव लड़ चुकी है। वहीं उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी भी कांग्रेस के खिलाफ चुनाव के लड़ चुकी है। लेकिन चुनाव के बाद समान के विचारधारा के नाम पर इनके एक मंच पर आकर  सरकार बनाने की कवायद का हिस्सा बनने की कोशिश है। अगर मतगणना से पहले विपक्षी दलों का एक बड़ा गठबंधन बन जाता है तो सरकार बनाने के लिए उनका दावा प्रभावी हो सकता है। इनका सियासी गणित है कि अगर एनडीए या यूपीए में दोनों से कोई घटक बहुमत से दूर रहावे तो सामान्य हालात में सबसे बड़े दल को राष्ट्रपति सरकार बनाने के लिए बुलाते है। अधिकतर विपक्षी दलों का आकलन है कि बीजेपी चुनाव के बाद सबसे बड़ा दल बनकर उभर सकती हैऐसी सूरत में उनके पास तभी थोड़ी बहुत उम्मीद होगी जब वे एक समूह बनकर वोटिंग के तुरंत बाद 272 से अधिक सांसदों को एक साथ पेश करें। विपक्षी दल मीटिंग में कॉमन मिनिमम  प्रोग्राम पर भी जिक्र कर सकते हैं, लेकिन इसमें अभी से बाधा हैं। कुछ क्षेत्रीय दल सभी विकल्पों को खुला रखना चाहते हैं। केसीआर भले फेडरल फ्रंट की बात करें लेकिन वह बीजेपी के साथ भी जा सकते हैं। रहावे मोदी सरकार के पहले टर्म में कई मौकों पर सरकार के साथ भी खड़े रहे। यही बात जगन रेड्डी के साथ भी लागू होती है। नवीन पटनायक ने भी परिणाम से पहले कोई स्टैंड नहीं लेने का संकेत दिया है। ऐसे में 21 मई को मीटिंग में कौन-कौन शामिल होंगे इसपर भी नजर रहेगी। सूत्रों के अनुसार भले बीजेपी अपने दम पर पूर्ण बहुमत मिलने का दावा कर रही है, लेकिन इनके नेता भी क्षेत्रीय दलों के साथ संपर्क में हैं।