शाबाश! श्रीलंका
दुनिया जब गुड फ्राइडे के बाद लोग चर्चा में जाकर ईस्टर की खुशी मना रहे थे तब श्रीलंका की चर्चा में एक के बाद एक आठ बम फटते चले गए जिससे श्रीलंका अफरा-तफरी का वातावरण हो गया। किसी को कुछ नहीं पता कि अचानक कैसे मौत कहां से दबे पांव आई और 359 बेगुनाह लोगों को अपने पंजे में उठाकर ले गई तथा लगभग 500 घायल लोगों को तड़पता हुआ छोड़ गई। श्रीलंका में हुई इस सीरियल विस्फोटो की इस घटना से पूरा विश्व भौंचक्का रह गया। श्रीलंका को जब कुछ नहीं समझ में आया तो देश में आपातकाल घोषित कर दिया। इस घटना के बाद श्रीलंका के सारे सरकारी कार्यालय व स्कूल सभी तीन दिनों के लिए बंद कर दिए गए। तुंरत श्रीलंका ने अगले ही दिन अपने आपको संभालकर ऐसे सख्त फैसले लिए कि सारा विश्व भौंचक्का रह गया। इनमें प्रमुख फैसला था पूरे श्रीलंका में कोई भी महिला बुर्का व हिफाज नहीं पहनेगी। इसके अगले दिन ही श्रीलंका सरकार ने देश में चल रहे सभी मदरसे बंद करके, तीन सौ से ज्यादा मौलवियों को देश से बाहर का रास्ता दिखा दिया। भारत, श्रीलंका के मुकाबले भी भारत बहुत ताकतवर देश होने के साथ-साथ, अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भी आज सबसे आगे है लेकिन फिर भी इतना सबकुछ होते हुए भी भारत इस तरह के सख्त फैसले नहीं ले पाता। श्रीलंका यहीं पर नहीं रुका उसने देश में बड़ी संख्या में आतंकियों व संदिग्ध व्यक्तियों को भी देश से बाहर कर दिया। मैं श्रीलंका सरकार से ज्यादा शाबासी देना चाहूंगा कि वहां की जनता व विपक्ष को, जिसने इस विपत्ति के समय में सबकुछ भुलाकर राष्ट्रहित में सरकार के साथ खड़े होकर पूरी दुनिया को यह संदेश दिया कि पहले हमारा देश बाकि सभी चीजें बाद में। वहीं दूसरी ओर, जब हम अपने देश में देखते हैं तो यहां तो सब कुछ उल्टा मिलता है। जब देश में सैनिकों पर आतंकवादी हमला होता है, हमारे सैनिक मारे जाते हैं तो हमारे ही देश के कुछ जाने-माने नेता, इतने औच्छे व गंदे बयान देने से बाज नहीं आते, कोई पुलवामा हमले को पाकिस्तान के साथ फिक्स मैच बताता है तो कोई उन बहादुर जवानों की शहादत पर ही प्रश्न चिन्ह लगा देता हैहमारे देश के और श्रीलंका के नेताओं में कितना अंतर हैके बाद श्रीलंका के सारे सरकारी कार्यालय श्रीलंका के मुकाबले भी भारत बहुत ज्यादा भुलाकर राष्ट्रहित में सरकार के साथ खड़े बताता है तो कोई उन बहादुर जवानों की कितनाऔर है हमारे देश तब-तब ये नेता अपनी देश के नेताओं व हमारे देश की जनता को श्रीलंका से कुछ सिखाना चाहिए बल्कि मैं तो कहूंगा कि शर्म के मारे चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाना चाहिए क्योंकि जब-जब भी भारत पर आतंकी हमला हुआ है। तब-तब ये नेता अपनी कुर्सी के लालच में हमेशा राष्ट्र के खिलाफ खड़े हुए हैं। काश्मीर के तीनों पूर्व मुख्यमंत्री तो सबसे पहले आगे निकलकर भारत देश के विरोध तथा पाकिस्तन के समर्थन में खड़े होते हैं। ऐसे कठिन मौको पर हमारे देश के तो कई नेता व कलाकार अपनी उपाधि, मैडल तक लौटाने की धमकी दे डालते हैं। मेरा कहना तो हमेशा यही रहा है कि अब देश में 23 मई को कोई भी सरकार बने सरकार व विपक्ष को श्रीलंका से सबक लेना चाहिए। यदि देश में कहीं भी आतंकवादी हमला हो तो श्रीलंका की तरह सभी को अपने वोटों के लालच को त्यागकर कठोरतम कदम उठाने के लिए सहयोग देना चाहिए। हो सकता है इससे किसी पार्टी की कुछ वोटों का नुकसान हो उसका घाटा उससे कहीं ज्यादा राजनैतिक पार्टियों को हमारे देश की राष्ट्र प्रेमी जनता जरूर पूरा करेगी। अब तो वैसे भी 23 मई को नई सरकार बन जाएगी। मेरी प्रभु से कामना है कि यह सरकार जिस पार्टी की भी बने लेकिन वह किसी की बैशाखी पर चलने वाली न हो बल्कि हमारे देश की सरकार अपने मजबूत पैरों पर चलने वाली सरकार होनी चाहिए। जो श्रीलंका सरकार की तरह तुरंत मजबूती से आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब दे सकेमेरा तो यह भी मानना है कि यदि कंधार कांड का हमारी तत्कालीन सरकार द्वारा इजराइल की तर्ज पर बहादुरी से मुंहतोड़ जवाब दिया होता तो आज मेरे देश के ऊपर बड़े से बड़ा कोई भी आतंकवादी हमला करने की दोबारा हिम्मत नहीं कर पाता।