दरिंदों को फांसी पर लटकाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे लोग
परमार्थ संदेश
गाजियाबाद। अलीगढ़ के एप्पल करने में ढाई साले के मासूम बच्ची के साथ हुई रिदगी से आम जनमानस की रूह कांप गई। लेकिन बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को भी धर्म के चश्मे से देखने वाले सहिष्णुता के उन पुजारियों की जुबान पर ताले लग गए जो ॥ कांड के बाद अपने व अपने परिवार को भारत में असुरक्षित होने का राग अलाप रहे थे। कहाँ गए वो धर्मविशेष के साहित्यकार जिन्होंने पदमश्री जैसे पुरस्कार वापस लौटा दिए। जैसे पुरस्कार वापस लौटा दिए। अलीगढ़ के टपल कस्बे में ढाई सालकी मासूम के साथ इरिदगी की इंतहा कर उसे मौत के घाट उतारने वाले जाहिद उसकी पत्नी व असलम समेत चार दरिदों को पुलिस गिरफ्तार कर मामले का खुलासा तो कर दिया। लेकिन इससे लोगों का गुस्स शांत नहीं हो रहा है। कुछ महीने पहले एक धर्म विशेष के बच्ची के साथ बलात्कार की घटना हुई थी। तब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कठुआ पहुंच गए थे, लेकिन टप्पल में हुई बच्ची के साथ हुई दरिदगी पर टप्पल जाना तो दूर यीट पर भी प्रतिक्रिया नहीं दीहैं। हालांकि प्रियंका ने जरूर ट्वीट किया है। अलीगढ़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश गलहरी ने गिरफ्तार दरिदों पर एनएसए लगाने व त्वरित चाय दिलाने के लिए मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराने की बात कही है। यहीं यार एसोसिएशन ने भी साफ कहा है कि कोई भी वकील दरिंदों की पैरवी नहीं करेगा। मासूम बच्ची के दरिंदों ने न केवल हाथ पैर काट डाले बल्कि उसकी आंते व किडनी तक निकाल डाली। उसका चेहरा भी जला दिया। लोगों में आ रहे गुरसे को उबाल को देखकर रविवार को इस घटना की मजिस्ट्रेट से जांच कराने के आदेश दिए गए हैं और अलीगढ़ के पुलिस कप्तान आकाश कुलहरी ने एक इंस्पेक्टर तीन दरोगा व एक सिपाही को सरपैंड कर दिया है। पुलिस इस गिरफ्तार असलम ने अपनी बेटी की ही हवस का शिकार बना दिया था। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था, लेकिन पिछले दिनों अदालत ने इस दरिदे को जमानत पर रिहा कर दिया था। यदि ऐसे दरिदों को मंसी पर लटका दिया जाता तो मासूम टिवल इसका शिकार होने से बच सकती थी। इस जघन्य कांड पर जहां फिल्मी कलाकार अनुपम खेर, अभिषेक बच्चन, रवीना टंडन, क्रिकेट वीरेंद्र सहवाग ने दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की। टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा ने इस घटना को कृरतम बताते हुए न्याय की गुहार लगाई है। लेकिन हैरानी इस बात की है कि कद में इससे लोगों में अभियुक्तों के खिलाफ बेहद गुस्सा है। गिरफ्तार किए गए दुरिद असलम व आहिद ने पुलिस को बताया कि रुपये के लेने को लेकर उनका मासूम टिवंकल के पिता बनवारी लाल शर्मा से विवाद था। इसलिए इस घटना को अंजाम दिया गया। लेकिन ये बात किसी के भी गले नहीं उतर रही हैक्योंकि असलम अपनी लड़की को हवस का शिकार बना चुका है। उसने ऐसा क्यों किया इस पर असलम व पुलिस दोनों खामोश है। सबसे ज्यादा हैरत की बात तो ये है कि बिसाहड़ा कांड व कलुआ कांड पर स्यासत करने वाले सहिष्णु अलीगढ़ जिला अदालत के अधिवक्ताओं द्वारा अभियुक्तों की पैरवी करने से इंकार किए जाने का मुकदमै पर क्या प्रभाव पड़ेगाइस पर एक अधिवक्ता का कहना है कि इससे अभियुक्तों को लाभ मिल सकता है। उन्हें दो माह की तारीख मिल सकती हैं या फिर दूसरे जिलों की अदालत में केस ट्रांसफर हो सकता है लेकिन गाजियाबाद के जिला न्यायालय के अधिवक्ता भूपेंद्र निम्मी ने बताया कि इससे अभियुक्तों को कोई लाभ नहीं मिलेगाप्राइवेट वकीलों के पैरवी न करने पर अदालत अभियुक्तों को सरकारी वकील दे सकती है या फिर अभियुक्त अपने केस की स्वयं पैरवी कर सकते हैंजैसे निठानी कांड में सुरेंद्र कोली कर रहा है और उसे हर केस में फांसी की सजा मिल रही है पूरी तरह खामोश है। जबकि मासूम थी यात में सबकी बच्ची होती हैं। क्या हिन्दू की और क्या मुसलमानों की तो किसी ने पदमश्री लौटाई है और न ही किसी तरह का आक्रोश जताया है। राजनैतिक दल तो भले वोट बैंक की राजनीति करते है, लेकिन धर्म के वो ठेकेदार क्यों खामोश है। क्या ये भी बलात्कार जैसे जघन्य अपराध को वे भी धार्मिक चश्मे से ही देखते हैं। यदि ऐसा है तो ये समाज के लिए बेहद घातक है।