नहर में गिरी कार को ढूंढने में एनडीआरएफ व पीएसी के गोताखोर हुए फेल

नहर में गिरी कार को ढूंढने में एनडीआरएफ व पीएसी के गोताखोर हुए फेल


निजी गोताखोरों ने 15 मिनट में ढूंढ ली कार


 एक किमी नहर खंगालकर कार नहीं होने की बात कह लौट गई थी टीम


 जिस जगह कार को खोजती रही एनडीआरएफऔर पीएसी की टीमें, वहीं मिली कार । नहर में गिरा सिक्का भी निकाल लाते हैं ये गोताखोर


गाजियाबाद। तजु के सामने प्रशिक्षण व संसाधन कोई मायने नहीं रखते है। गंगनहर में डूबी कार को ढूंढने के लिए एनडीआरएफ छ। पौएसी कौ गोताखोर टीम स्टीमर समेत कई आधुनिक उपकरण लेकर नहर को खंगालती रही और बाद में कह दिया कोई कार गिरी ही नहीं है। बाद में मुरादनगर के तजुर्बेकार गौताखोरों ने चुबक, टयूम च रस्सी के सहारे महज 15 मिनट में कार को दृढ लिया।  सरधना गंगनहर में गिरी ब्रेजा कार को खोजने में एनडीआरएफ और पीएसी की टीमें फेल साबित हुई। अत्याधुनिक उपकरण होने के बाबजुद ये में कार को तलाश नहीं कर पाई। मुरादनगर के गोताखोरों ने देशी तरीके से बड़ी चुंबक डालकर महज 15 मिनट में कार खोज निकाली। इस मामले में सरकारी मशीनरी की बड़ी नाकामयाबी उजागर हुई है। शनिवार देर रात करीब साढ़े तीन बजे यह ब्रेजा कार सरधना थाना क्षेत्र में सलावा मोड़ के पास  नहर में गिर गई थी। रविवार को पीएसी के जवानों ने खोजबीन की। सौमवार को गाजियाबाद से एनडीआरएफ टीम पहुंची। करीब पांच घंटे तक रैस्क्यू किया गया। टीम पर सोनार तरंगें उत्पन्न करने बाली सहित कई अत्याधुनिक मशीनें थीं। बावजूद इसके कार का पता नहीं चला। एनडीआरएफ टीम सोमवार को यह कहकर लौट गई कि नहर में कार नहीं है। मंगलवार सुबह जब नहर पर रेस्क्यू के लिए पुलिस नहीं पहुंची तो परिजन मुरादनगर पहुंच गए। वहां से चार निजी गोताखोरों को अपने खर्च पर लेकर आए। गोताखोरों ने बड़ी चुंबक नहर में डाली। खुद भी अंदर कूद गए। चुंबक नहर में लोहे से चिपक गई। गोताखोरों ने अंदर जाकर देखा तो कार निकली। करीब पन्द्रह मिनट में ही यह कार  खोज ली गई। इसके बाद पूरे पुलिस महकमे में खलबली मच गई। सीओ सहित पुलिस फोर्स पहुंच गया। हाइवा मशीन, जेसीबी, क्रेन आदि बुलवा ली गई। मशीन से कार को बाहर निकलवाया गया। उसमें से तीनों लाशें बरामद हुई। निजी गोताखोर मुरादनगर गंगनहर पर हर वक्त तैनात रहते हैं। यहां आए दिन नहर में इबने की जैसी घटनाएं होती रहती हैं। ऐसे में ये गोताखोर कई बार तो लोगों को सकुशल बाहर निकाल लाते हैं। इन्हें पानी के बहाव का अचठे ढीग सै अनुभव है। इन्हें पता होता है कि नहर में व्यक्ति या वाहन कहां पर फंसा हो सकता है। उसी हिसाब से ये अपना रेस्क्यू करते हैं। रेस्क्यू करने के लिए इनके पास रस्से, टूयूब और चुंबक होती हैं जो सामान्य वस्तुएं हैं।  निजी गोताखोरों मुरादनगर। गंगनहर में गिरी ब्रेजा कार को तलाश करने आए मुरादनगर के निजी गोताखोर तेजतररि तैराक हैं। यह निशाना लगाकर नहर में फेंका गया सिक्का तक पुलिस निकालकर लाने के लिए मशहूर है। मुरादनगर । नहर में बह दिनभर तैराकी करते हैं और वही पहुंच से होने वाली कमाई से पैर भरते हैं। दिल्ली के कारोबारियों के परिजनों को इन तैराकों के बारे में किसी ने बताया तो वह बिना देर किए उन्हें यहा लेकर आए। मुरादनगर निवासी अहसान, सनव्वर, मोहसिन व मुस्तकीम को तैराकी का शौक है। । उनका बचपन मुरादनगर नहर पर नहाते हुए गुजरा। तैराक करते करते चारों के मेंतेजतर्रार तैराक बन गए, यह उन्हें भी नहीं पता। यही तैराकी अब इनकी कमाई का साधन बन । गई है। वह नहर में फेंका गया सिक्का इंडकर लाने के लिए मशहूर हैं।  मुरादनगर नहर पर आने वाले लोग अक्सर नहर की तरफ चले जाते हैं। ये वहां इन तैराकों के सिक्का ढूंढकर लाने की बात सुनते हैं तो आचश्चर्य होता है। उन्हें आजमाने के लिए वह नहर में निशान लगाकर सिक्का फेंकते हैं और ढूंढकर लाने वाले तैराक को इनाम भी देते हैं। इन तैराकों के चचे दूर-दूर तक है।   एनडीआरएफ व पीएसी के गोताखोरों ने भले ही कार को तलाश करने में हाथ खड़े कर दिए हैं, लेकिन कार में मौजूद तीनों कारोबारियों के परिजनों ने हिम्मत नहीं हारी। रातभर वह घटनास्थल पर ही जमे रहे। सुबह होते ही उन्होंने मुरादनगर जाकर निजी गोताखोरों की तलाश की और करीब 12 बजे उन्हें लेकर घटना स्थल पर पहुंच गए। पिछले तीन दिन में परिजन गंगनहर पटरी पर ही डटे हुए थे  पहली ही दुबकी में खोज ली कार गोताखोरों ने पहली ही डुबकी में पानी के अंदर जाकर कार को खोज लिया। कार दिखते ही उस पर मेगनेट चिपका दी। दुसरी इबकी में उन्होंने कार का अगला शीश टा होने की बात बाहर आकर बताई। हाइड्र मशीन आ जाने पर उन्होंने तीसरी डुबकी लगाई। कार के पिछले हिस्से में रस्सी बांधकर उसे बाहर निकलवा दिया। यह सब करने में प्राइवेट गोताखोरों को मात्र दो घंटे लगे। इस दौरान उन्होंने मात्र टायर की ट्यूब, मैगनेट व रस्मी का ही इस्तेमाल किया।