अर्थला झील प्रकरण 

अर्थला झील प्रकरण 


भूमाफियाओं से ही करायें पीड़ितों को बसाने का इंतजाम


गाजियाबाद। अर्थला झील में बसी बालाजी विहार और चित्रकूट कालोनी के निवासियों पर ध्वस्तीकरण की लटक रही तलवार अब भी बरकरार है। हाईकोर्ट ने भी इनकी याचिका को खारिज कर दिया है। अब ये लोग सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी इनको किसी तरह की राहत मिलने की उम्मीद दिखाई नहीं पड़ रही है। अब तो प्रशासन ही मकान बनाने में अपनी सारी जमा पूंजी लगा चुके इन बेचारों के लिये कुछ कर सकता है। इन्हें उजाड़ने से पहले जिलाप्रशासन इन बेचारों को धोखाधड़ी से प्लाट बेचने वाले भूमाफियाओं से वसूली कर इन्हें कहीं न कहीं बसाने का प्रबंध कर सकता है। इसी उम्मीद में शनिवार को भी दोनों ही कालोनियों के निवासियों ने जिलाधिकारी से न्याय की गुहार लगाई। हालांकि जिलाधिकारी ने भी इनको किसी तरह का कोई आश्वासन नहीं दिया है। जिलाधिकारी को दस जुलाई तक एन.जी.टी. के समक्ष पेश होकर कार्रवाई का ब्यौरा देना हैं। एन.जी.टी. के आदेश पर जिला प्रशासन व नगर निगम अब तक पच्चीस-तीस मकानों को ध्वस्त कर चुका है और बाकी करीब पांच सौ मकानों को ध्वस्त करने की तैयारी में है। लेकिन जिला प्रशासन व नगर निगम अभी तक न तो उन भूमाफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई कर पाया है जिन्होंने इन गरीब लोगों की सारी कमाई हड़प कर सरकारी जमीन पर प्लाट दिये हैंऔर न निगम के उन अधिकारियों पर कोई सख्त व प्रभावी कार्यवाही हो पाई है। जिनके कार्यकाल में ये सारा खेल हुआ। जिस समय ये कालोनियां बसाई जा रही थी उस दौरान साहिबाबाद थाने में तैनात रहे थाना प्रभारी व हिंडन चौकी प्रभारियों पर भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिन्होंने भूमाफियाओं से मोटे पैसे लेकर मकान बनने दिये      थे। जबकि इस प्रकरण में नगर निगम के अधिकारी व साहिबाबाद थाने के प्रभारी उतने ही दोषी हैं जितने कीभूमाफिया। नगर निगम ने भी 43 भूमाफियाओं के खिलाफ साहिबाबाद थाने में एफ.आई.आर दर्ज करा करऔपचारिकता पूरी कर दी। रिपोर्ट में भूमाफियाओं की न तो वल्दीयत दर्ज है और न ही कोई अता-पता व मोबाईल नम्बरजिला प्रशासन व नगर निगम इनको बेघर करने से पहले इनके लिये रहने की जगह का प्रबंधन करे। यदि इनको कही और मकान मिल जायेंगे तो ये स्वयं ही अपने मकान खाली कर देंगे।