भांग,बीयर व शाब के खुले ठेके देर हैं नशे का आमंत्रण

भांग,बीयर व शाब के खुले ठेके देर हैं नशे का आमंत्रण


गाजियाबाद। पूरे विश्व में जिस तरह योग दिवस मनाया जाता है वेसे ही पांच दिन बाद अन्तराष्ट्रीय स्तर पर नशा मुक्ति दिवस मना कर पूरी दुनिया को यह संदेश दिया जाता है। कि नशा बुरी लत है, इसे तुरन्त छोड़ना चाहिये तथा विशेष रूप ये नशा 26 जून को जब पूरा विश्व नशा मुक्ति दिवस मना रहा है तो इस दिन तो नशेड़ी को नशा नहीं  करना चाहिये। लेकिन हमारे देश की सरकार है कि जो एक ओर तो सरकार द्वारा भरपूर नशा मुक्ति के लिये राष्ट्रीय अखबारों में करोड़ों रूपये के विज्ञापन देकर नशे से दूर रहने का संदेश दिया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर देश में शराब, बीयर की तो बात ही छोड़ दो। भांग के भी ठेके खुले हैं जो राष्ट्र के सभी नशेड़ियों को सरकारी स्तर पर नशा करने हेतु आमंत्रित कर रहे हैं। एक दिन में सरकार दो तरह के संदेश देकर आखिर क्या साबित करना चाहती है। यदि ईमानदारी से नशा मुक्ति दिवस मनाना ही था तो फिर 26 जून को शराब, बीयर व भांग आदि के ठे- के भी क्यों खुले रहे। कहीं नशा मुक्ति दिवस पर ठे- के खोलकर सरकार नशेड़ियों के   आत्म संयम की परीक्षा तो नहीं ले रही। वैसे देखा जाये तो सरकार खुद नहीं चाहती कि शराब व नशा बन्दी हो। क्योंकि सरकार को सबसे ज्यादा पैसा ही एक्साइज विभाग से मिलता है, नहीं तो गाजियाबाद का आबकारी विभाग है जो पूरी तरह से गुलजार रहता है। वहीं उसके पास वीरान, सूना पड़ा महानिषेध विभाग  है। जहां न तो कोई अधिकारी है न ही स्टाफ। आबकारी विभाग ने भी औचारिकता निभाने के लिये आई.एम.ए. भवन में कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के आबकारी व मद्यनिषेध मंत्री जय प्रताप सिंह ने भी शिरकत की। इस कार्यक्रम में लोगों को नशा छोड़ने के लिये जागरूक  करने के लिये प्रदर्शनी संगोष्ठी व अन्य गतिविधियां का भी आयोजन किया। मजे की बात तो यह है कि शराब की बिक्री बढ़ाने व मद्यनिषेध दोनो ही अलग-अलग काम है लेकिन इसका मंत्री एक है। अब वो लोगों को शराब पीने के लिये प्रेरित करे या फिर नशा छोड़ने के लिये जागरूक करे ये समझ से परे है। इस कार्यक्रम में एक भी ऐसा व्यक्ति  नही था जिसे नशे के प्रति जागरूकता की जरूरत थी। यदि सही में ये आयोजन करना था तो आई.एम.ए. भवन की जगह किसी मलिन बस्ती या झुग्गी झोपड़ी बस्ती में जाकर करना चाहिये था। जहां बड़े तो नशा करते ही हैं उनके बच्चे भी फ्लूड सूंघने के आदि हैं उन्हें जागरूक करना जरूरी था। ए.सी. में बैठ कर नशे के प्रति जागरूकता      का आयोजन महज दिखावा ही बन कर रह गया। यदि अन्तराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस पर यदि सरकार ठेके बन्द रखती तो पूरे देश के सभी नागरिकों को मालूम हो जाता कि दुनिया में 26 जून को नशा मुक्ति दिवस होता है। इससे सचेत रहकर वह अगली साल 25 जून को ही अपना कोटा खरीद कर रख लेगा।