Meri Ray

 प्रेम+विवाह-विवाद भरी जिन्दगी


को-एजूकेशन का सबसे बड़ा नुकसान हमारी सदियों पुरानी भारतीय संस्कृति भुगत रही है। हमारे बच्चे सामाजिक संस्कार भूलते जा रहे हैं को-एजूकेशन व सोशल मीडिया ने बच्चों व बड़ों में उम्र की सभी दूरियां खत्म कर दी हैं। पहले हमारी जनरेशन में जो बाते हमें 22-24 वर्ष में मालूम हुई थी वह आज के 10 12 वर्ष के बच्चे से मालूम कर सकते हैं। जो समय इनका शिक्षा ग्रहण करने अथवा अपना भविष्य बनाने के लिये होता हैउस समय में आज ये बच्चे गर्लफ्रेंड व बॉयफ्रेंड के साथ 'टाईमपास' कर रहे हैं। जब से गाजियाबाद एजूकेशन हब बना है तथा दूर राज्यों व शहरों के लड़के-लड़कियां यहां आकर स्कूल के हास्टलों अथवा कालोनी के मकानों में पी.जी. के रूप में रहने लगे हैं तब से गाजियाबाद के स्थानीय युवाओं पर भी इसका विपरीत असर पड़ा हैक्योंकि जो दूर देश के बच्चे यहां अकेले पढ़ने के नाम पर आये हैं वे कविनगर, राजनगर की सड़कों तथा होटलों पर देर रात तक क्या करते हैं इसकी जानकारी उन बेचारे मां बापों को कैसे होगी। जिन बदनसीबों को यह भी पता नहीं कि उनके बच्चे उनकी मेहनत की कमाई से कैसी 'पढ़ाई कर रहे हैं। दूर शहरों से पढ़ने आये बच्चों के रहन सहन, खान पान व घूमने फिरने का असर गाजियाबाद में मूल निवास कर रहे स्थानीय परिवारों के मध्यम वर्गीय युवाओं पर भी पढ़ रहा है। कुछ बदनसीब माता पिताओं को तो तब पता लगता है जब उनकी बेटी, किसी युवक से शादी करके उसकी सूचना माता पिता को दे देती है। ऐसे में उन माता पिता की क्या हालत होती होगी कल्पना कीजिये। प्रत्येक माता पिता अपने बच्चों के लिये ना जाने क्या-क्या सपने देखते हैं। अब तो एक प्रचलन और शुरू हो गया है कि लडकियां अपनी मर्जी से प्रेम में अंधे होकर न केवल बगैर बताये शादी कर रही हैं बल्कि इलैक्ट्रानिक मीडिया पर आकर यह बयान दे रही हैं उन्हें अपने मां बापों से जान का खतरा है वो उन्हें मरवा देंगे। पूरा समाज लड़की की बात को सही मान कर, माता पिता को ही “विलेन''के रूप में देखना शुरू कर देता है। और यदि लड़की का बाप कोई सेलीब्रिटी है तो फिर मीडिया के हाथों जैसे बटेर लग गई। फिर तो मीडिया को जैसे दूसरा कोई काम नहीं है सारे चैनल इसी खबर मे मिर्च मसालों का छोंक लगाकर अपने-अपने चैनल पर दिखाना शुरू कर देते हैं। कोई भी मीडिया हाऊस यह सोचने को तैयार नहीं है कि जिन माता पिता ने अपने जीवन की सारी खुशियां देकर इन्हें पाल पोस कर इतना बड़ा किया, उनके अन्दर छिपे “मां बाप'' के दिल को भी किसी ने देखा। कौन मां बाप है जो अपने बच्चों का बुरा सोचेगा, लेकिन मीडिया द्वारा उनको विलेन के रूप में पेश किया जा रहा है। क्या वे यही दिन देखने व अपनी समाज में बदनामी कराने के लिये है। माता पिता इसलिये औलाद होने की कामना प्रभु से करते है।


 राय है कि हर कार्य करने की अपनी एक उम्र निर्धारित है। आज कोएजूकेशन का लाभ उठाकर लड़के लड़कियान केवल नजदीकी मित्र बन जाते हैं बल्कि धीरे-धीरे शिक्षा से विमुख होकर प्रेम के रास्ते पर टर्न हो जाते हैं। आज पुलिस जिन युवा अपराधियों को चेन खींचने, वाहन चोरी, राहजनी में गिरफ्तार करती है उनमें 90 प्रतिशत केस वो होते हैं जिसमें लड़के केवल अपनी गर्लफ्रेंड को प्रभावित करने के लिये इन साधनों से पैसे एकत्र करते हैं। प्रेम के जोश में जो युवा अपने घर वालों को अंधेरे में रखकर प्रेम विवाह कर लेते हैं। उनका क्या हश्र होता हैइसके लिये हम गाजियाबाद की महिला थाना अध्यक्ष नीता मलिक का ताजा बयान आपको बताते हैं। उन्होंने परमार्थ संदेश को बताया कि उनके थाने में अब तक 860 केस पारिवारिक विवाद के दर्ज हैं। जिनमें 520 केस केवल प्रेम विवाह के हैं। मतलब जिन्होंने घर वालों की बगैर मर्जी के घरों से भाग कर शादी कर ली। ऐसे 860 में 520 केस गाजियाबाद के महिला थाने में दर्ज हैं।इसमें चौकाने वाली बात यह है कि 312 केसों में दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ एफ.आई.आर.भी दर्ज करा दी हैं। वहीं यदि दूसरी ओर सामाजिक पृष्ठभूमि में, परिवारजनों द्वारा कराई गई शादियों में इस तरह के विवाद का आंकड़ा बहुत कम है। यदि हम श्री वैश्य सेवा समिति द्वारा 30 वर्षों से कराये जा रहे परिचय सम्मेलनों के माध्यम से कराई गई 500 से अधिक शादियों को देखें तो उनमें से एक भी शादी में आजतकतलाक नहीं हुआ है न ही किसी अदालत में कोई विवाद चल रहा हैइसलिये मैं मानता हूँ कि समाज सर्वोपरि है।90 प्रतिशत प्रेम विवाह में विवाद ही देखा गया है।