उतनी जमीनही नहीं यहां,तो पौधे लगाये कहां हर साल जमीन पर नहीं कागजों पर ही लगाये जाते हैं पेड़-पौधे
गाजियाबाद नगर निगम का कुल क्षेत्र फल 220 वर्ग कि.मी. जोकि लगभग 2 लाख बीस हजार वर्ग मी. होता है
केवल नगर निगम ने दो वर्षों में लगाये 73611 बड़े वृक्षों के पौधे, तीन मी. की दूरी के हिसाब से जमीन चाहिये 2,20,883 वर्ग मी.
जीडीए द्वारा दो वर्षों में लगाये गये 3,01,621 पौधों के लिये तो जमीन ही नहीं फिर पौधे लगे कहां
वृक्षारोपण के नाम पर नगर निगम व प्राधिकरण में करोड़ों के बजट की बन्दरबांट की सम्भावना
गाजियाबाद। आज गाजियाबाद नगर निगम व जीडीए द्वारा प्रत्येक वर्ष लाखों पेड़ पौधे रोपे जा रहे हैंलेकिन फिर भी गाजियाबाद की धरती नंगी है और गाजियाबाद की गणना सबसे प्रदूषित शहरों में की जाती हैजीडीए नगर निगम के साथ लायंस क्लब, रोटरी क्लब, व्यापार मंडल व दूसरे अनेक एनजीओ भी समय-समय पर गाजियाबाद में वृक्षारोपण करते हैंइतना सब कुछ सभी के द्वारा किए जाने पर भी गाजियाबाद में उतनी हरियाली क्यों नहीं है, यह एक अत्यंत सोचनीय प्रश्न है। इस विषय पर जब परमार्थ | संदेश ने पड़ताल की तो अनेक चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि ज्यादातर वृक्षारोपण कागजों पर ही हो रहा है। इसे प्रमाणित करने के लिए हम नगर निगम के आंकड़े आपके सामने रखते हैं। नगर निगम सूत्रों के अनुसार गाजियाबाद नगर निगम का कुल एरिया 220 वर्ग किलोमीटर बताया गया है नगर निगम द्वारा वैसे तो 25 वर्षों से प्रत्येक वर्ष वृक्ष लगाए जाते रहे होंगे लेकिन हम यदि केवल नगर निगम के 2 वर्षों को ही 39446आधार मानें तो नगर निगम द्वारा वर्ष वृक्ष 2017-18 में कुल 39446 बड़े पर्यावरणविद पेड़ो के पौधे लगाए गए जिनमे नीम, पीपल, आम, पिलखन, जामुन, न्यूनतम बरगद आदि प्रमुख हैं। तथा इसी तरह के पौधे नगर निगम द्वारा वर्ष 73611 2018-19 में लगाए गए हैं, 73611x3जिनकी संख्या निगम सूत्रों के अनुसार 34165 है। इस तरह वर्ष 2018-19 में कुल केवल नगर निगम द्वारा 39446+34165=73611 बड़े वृक्ष के पौधे लगाए गए। पर्यावरणविद विजय पाल बघेल के अनुसार बड़े वृक्ष के बीच में न्यूनतम दूरी तीन मीटर होनी चाहिए ताकि वह फल फूल सके। इस तरह 73611 पेड़ लगाने के लिए 73611x3=2,20,883 मीटर जमीन चाहिए। नगर निगम सूत्रों के अनुसार गाजियाबाद नगर निगम का कुल छेत्रफल 220 वर्ग किलोमीटर है जिसकी यदि वर्गमीटर में गणना की जाए तो 2,20,000 वर्ग मीटर आती है। इस तरह जो बड़े वृक्ष केवल नगर निगम ने दो वर्षों में जिस जमीन पर लगाए दिखाए हैं उसके लिए ही जमीन कम है। जबकि इस 220 वर्ग किलोमीटर में लाखों मकान, हजारों फैक्ट्रियां, सड़क दुकानें, आदि न जाने क्या क्या है। इन्हीं दो वर्षों में केवल नगर निगम द्वारा 1,15,500 छोटे पौधे भी लगाए हैंवो किस जमीन पर लगे हैं यह एक प्रश्न है? दूसरा पहलु ये है कि इन्हीं दो वर्षों में जीडीए द्वारा भी वर्ष 2017-18 में 1,49,595 व वर्ष 2018-19 में 1,52,026 छोटे बड़े पौधे लगाए गए हैं जिनकी संख्या 3,01,501 पौधे होती है। इस तरह वर्ष 2017-18 व 1819 में जीडीए ने 3,01,501 पौधे तथा नगर निगम द्वारा 1,15,500 (बड़े पेड़ छोड़कर) लगाए गए। जिनका कुल जोड़ 4,17,001 पौधे होता है। इन छोटे पौधों के बीच की दूरी 4,17000x2= 834000 है। यह तो निगम और जी डी ए कीबीते दो वर्षों की ही झांकी है। इसके अलावा पूरे साल एन जी ओ द्वारा जो पेड़ पौधे लगाए जाते है वे अलग हैं। इसके साथ ही जीडीए का दावा है कि वह इस वर्ष मानसून में 1,17,000 पौधे और लगाएगा तथा इतना ही लक्ष्य इस वर्ष निगम का भी है। आश्चर्यजनक पहलु ये है कि नगर निगम के अंतर्गत जितनी जमीन है। इससे लगभग चार गुना पौधे तो पिछले दो सालों और और चालू वर्ष में लगाए दिख रहे हैं। इसके अलावा पिछले बीस पच्चीस सालों से जो पेड़ नगर निगम, जीडीए, वन विभाग, एनजीओ द्वारा लगाए गए हैं वह कहां गए? यह सब एक बड़े आर्थिक घोटाले की तरफ संकेत दे रहा है जिसमें वृक्षारोपण के नाम पर आए करोड़ों के बजट को खपाने के लिए कागजों पर पेड़ लगाए गए हैं। यह पेड़ यदि नगर निगम की जमीन पर वास्तविक रूप में लगाए जाते तो आज पेड़ लगाने के लिए जमीन भी नहीं मिलती तथा शहर भी प्रदूषित नगर की श्रेणी में नहीं आता
राजेन्द्र त्यागी पार्षद नगर निगम बड़े आश्चर्य की बात है कि प्रत्येक मानसून मे जीडीए, नगर निगम व एन.जी.ओ द्वारा लाखों पेड़ लगाने के बाद आज गाजियाबाद इतना प्रदूषित क्यों है। इसका कारण स्पष्ट है कि पौधे जमीन पर कम, कागजों पर ज्यादा लगाये जाते हैं। क्योंकि गणना के अनुसार नगर निगम के क्षेत्र की जमीन से ज्यादा वृक्ष, कागजों पर विभागों द्वारा लगाये जा चुके हैं। इस प्रकरण की जांच होनी चाहिये साथ ही मेरा कहना है कि जो भी पौधे लगाये जाये उस पर पौधे संख्या की प्लेट लगी हो। ताकि प्रमाणित हो सके कि कुल कितने पौधे लगाये गये हैं।
क्या कहते हैं हिमांशु मित्तल पार्षद,सदस्य जीडीए बोर्ड जीडीए व नगर निगम के द्वारा हर साल पौधे कागजों पर ही लगाये जा रहे हैं। यदि पुराने वर्षों में लगाये गये पौधों का सही से देखभाल की जाती तो आज गाजियाबाद में हर जगह हरियाली होती। मेरा कहना है कि जीडीए व नगर निगम में तो इस कार्य में बड़े घोटाले से इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन यदि शहर का हर व्यक्ति केवल अपने घर के बाहर एक वृक्ष लगाकर उसकी अपने बच्चे की तरह देखभाल कर ले तो सरकारी विभाग को आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी। पौधे लगाने के बाद उन पर तुरंत ट्री गार्ड। लगाकर उनकी देखभाल करनी चाहिये। साथ ही जितने भी पौधे/वृक्ष नगर निगम |व जीडीए द्वारा लगाये जा चुके है। उनकी संख्या गणना करानी चाहिये तभी सभी का झूठ सामने आ जायेगा।
विजय पाल बघेल (पर्यावरण विद्) जितनी संख्या जीडीए और नगर निगम वृक्षारोपण की बता रहे हैं उतनी संख्या में पौधे लगना संभव ही नहीं हैं। क्योंकि फलदार और छायादार पेड़ों के बीच में कम से कम 3 मीटर की दूरी रखी जानी चाहिये।इसके अलावा अन्य पौधों के बीच भी कम से कम 2 फीट की दूरी जरूरी है। गाजियाबाद में इतनी जमीन ही नहीं है कि लाखों की संख्या में पेड़ लगाये जा सकें। यह एक घोटाला है जिसकी जांच होनी चाहिये।
दो वर्षों में नगर निगम द्वारा लगाये गये पौधे
वर्ष 2017-18 2018-19 टोटल
लक्ष्य 32925 । 86937 1,19,962
पौधे लगाये 39446 90153 1,29,599
छोटे 55988 55988
39446 34165 73611
दो वर्षों में जीडीए द्वारा लगाये गये पौधे
वर्ष 2017-18 | 2018-19
लक्ष्य 1,48,100 1,50,000 टोटल- 2,98,100
पौधे लगाये 1,49,595 1,52,026 3,01,621