ये क्या हो रहा भगवान, इंसान बन रहा हैवान

कन पढ़ लिखे नहीं उच्चशिक्षित ही कर रहे हैं,अपने जिगर के टुकड़ों का खून 


ये क्या हो रहा भगवान, इंसान बन रहा हैवान


जघन्य घटनाओं को देख कर कांप उठे लोगों के दिल


गाजियाबाद। सन 1954 में एक फिल्म बनी थी जिसका नाम नास्तिक था। उस समय कवि प्रदीप ने एक गीत लिखा था 'देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान कितना बदल गया इंसान'। ये गीत आज के परिपेक्ष्य में बिल्कुल सटीक लग रहा है। 1954 में मनुष्य का आचरण बहुत खराब नहीं रहा होगा। कवि प्रदीप ने आज जो हो रहा है उसे 1954 में लिख दिया था। आज वास्तव में इंसान पूरी तरह हैवान बन गया है। वो अपनो के खून से ही हाथ रंग रहा है और मासूम बच्चियों तक को अपनी हवस का शिकार बना रहा है। गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र में तीन दिन पूर्व एक व्यक्ति ने अपनी तीन मासूम बच्चियों व पत्नी को मौत के घाट उतार कर खुद भी खुदकुशी कर ली। इससे पहले इन्दिरापुरम में भी इंजीनियर ने अपने मासूम बच्चों व पत्नी को मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन मौत के डर से स्वयं अपनी जान नहीं दे सका। पुलिस ने उसे प्रदीप गिरफ्तार कर लिया। आज वो डासना जेल में बंद है। जून महीने में गुरूग्राम में एक वैज्ञानिक ने भी इसी तरह की जघन्य वारदात कर आत्म हत्या कर ली थी। इसके अलावा भी कई और इसी तरह की दर्दनाक घटनाओं से जन मानस थर्रा उठा है कि मानव आखिर इतना क्रूर कैसे हो गया। जो अपने ही मासूम बच्चों के खून से हाथ रंग रहा है। शुक्रवार की सुबह मसूरी थाना क्षेत्र की शताब्दीपुरम कालोनी में प्रदीप नाम के एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी व तीन मासूम बच्चियों को मौत के घाट उतार कर खुदकुशी कर ली। बताया जाता है कि प्रदीप बेरोजगार व नशे का आदी था। लेकिन मनोचिकित्सक भी हैरान हैं। उनका भी मानना है कि नशेड़ी व्यक्ति अवसाद में स्वयं तो आत्महत्या कर लेता है। लेकिन अपने मासूम बच्चों की जान ले ले ये बात समझ से बाहर है। इस घटना से पहले भी इंदिरापुरम के ज्ञानखंड-4 में पत्नी व तीन बच्चों की हत्या कर भागने वाले आरोपी सॉफ्टवेयर इंजीनियर सुमित कुमार को पुलिस ने कर्नाटक केउडुपी से गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस आरोपी को कर्नाटक से ट्रांजिट रिमांड पर गाजियाबाद ले आई। आरोपी सुमित ने इस घटना को लेकर बताया कि तीन महीने पहले नौकरी छूट जाने से घर की आर्थिक हालत बुरी तरह से खराब हो गई थी। वह अपने बच्चों की फीस भी नहीं भर पा रहा था। इसके अलावा उसे पढ़ाई के दौरान नशे की लत होने से वह अपनी पत्नी से काफी पैसे भी ले चुका था जिसके बाद पत्नी से लड़ाई होने लगी थी। इसीलिए उसने परिवार को खत्म करने के बाद खुद भी आत्महत्या करने की बात सोची थी। लेकिन अपनी जान लेने की हिम्मत नहीं पड़ी। फिल्हाल वो डासना जेल में है। गुरुग्राम के उप्पल साउथ एंड सोसायटी में परिवार के मुखिया वैज्ञानिक डा. प्रकाश सिंह ने अपने ही परिवार के तीन लोगों को मौत के घाट उतार दिया। जबकि खुद भी आत्महत्या कर मौत को गले लगा लिया। इस घटना से पूरे देश को सन्न कर रख दिया हैं। उधर पोस्टमार्टम करने वाली डॉक्टरों की टीम ने बेहद ही चौंकाने वाले और अहम खुलासे किए हैं। पता चला है कि डॉ प्रकाश ने सबसे पहले अपनी पत्नी को मौत के घाट उतारा और उसके बाद बेटी और उसके बाद  बेटे को भी मौत के घाट उतार कर खुद आत्महत्या कर ली। इन तीनों की हत्या रात के समय गहरी नींद में 12 बजे से लेकर 2 बजे तक के बीच की गई हैं। जबकि चारों की मौत केवल आधे घंटे के अंदर हुई हैं। यानी डॉ प्रकाश ने इस पूरी वारदात को आंधे घंटे के अंदर ही अंजाम दे दिया है। इस तरह की और भी कई वारदातें हुई हैं।  मार्च 2019 में थाना सिहानी गेट के नूर नगर में सुन्दर नाम के व्यक्ति ने अपने दो बच्चों की हत्या कर खुदकुशी कर ली थीफरवरी 2018 में क्रासिंग रिपब्लिक में एक बुजुर्ग दम्पति ने अपने पालतू कुत्ते मार कर, पत्नी फांसी पर लगट गई थी। लेकिन बुजुर्ग अपनी जान लेने की हिम्मत नहीं जुटा पाया था और उसने थाने हिम्मत जाकर पुलिस को सूचना दी थी। जुलाई 2018 में दिल्ली की बुराड़ी कालोनी में अंधविश्वास की वजह से एक ही परिवार के11लोगो ने खुदकुशी कर ली थी। इस घटना को एक साल होने को है लेकिन यहां रहने वाले लोगों में आज भी दहशत हैशाम होने के बाद कोई भी व्यक्ति उस मकान के पास से गुजरने की हिम्मत नहीं जुटा पाता हैये मकान आज भी खाली पड़ा है।


1 सिहानी गेट थाना क्षेत्र में बेरोजगारी से परेशान युवक ने। पत्नी व दो बच्चों को मौत के घाट उतार कर की खुदकुशी इन्दिरापुरम थाना क्षेत्र में इंजीनियर ने पत्नी व तीन बच्चों की हत्या की विजय नगर थाना क्षेत्र की क्रासिंग सोसायटी में दम्पत्ति ने कुत्ते को मारकर की आत्महत्या मसूरी थाना क्षेत्र में युवक ने पत्नी व तीन बच्चियों की आत्महत्या कर मौत को गले लगाया


पारिवारिक कत्ल की वारदातों से मनोचिकित्सक भी हैं, हैरान


मासूम बच्चियों को भी नहीं बख्श रहे दरिंदे इंसान से दरिंदे


इंसान से दरिंदे बने वहशी मासूम बच्चियों इंसानियत किस तरह दम तोड़ रही है। घटित हो चुकी हैं। योगी के उत्तर प्रदेश में को भी नहीं बख्श रहे हैं। दिल्ली के इन मामलों की संख्या कुछ ज्यादा ही है। द्वारका में हुई पांच साल की मासूम बच्ची इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के के साथ की गई दरिंदगी स दिल लंदन पहुंचने पर कुछ लोगों ने भारत में दहल उठा। लोगों ने जम कर यौन उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन करते हुये दरिंदों को कड़ी से कड़ी सजा देने की ये भी वे घटनाएं हैं जो किसी तरह मांग की।गाजियाबाद जिले मीडिया की नजर में आ चुकी हैं। के थाना भोजपुर में भी एक अन्यथा ऐसी घटनाओं की संख्या दरिंदे ने पड़ोस में रहने भी कम नहीं होगी, जो सामने ही वाली 10 साल की बच्ची नहीं आ पातीं। हवस के ये भेड़िए के साथ बलात्कार किया। मासूम बच्चियों को भी अपना शिकार कोई दिन ऐसा नहीं जाताबनाने से नहीं चूकते। साथ दुष्कर्म के जिस दिन ऐसा नहीं होता हो। बाद उनकी हत्या भी कर देते हैं। इस हालांकि यह कानून व्यवस्था से कुत्सित मानसिकता पर रोक लगाना है तो सीधे जुड़ा मामला है, लेकिन इसके निश्चित ही कानून को भी इनके लिए लिए लोगों की मानसिकता भी कम दुर्भाग्य 'निर्दयी' होना होगा। इन्हें इतनी कठोर जिम्मेदार नहीं है। हैवानियत का खेल से पिछले दो-तीन दिन में ही रेप और सजा देनी होगी कि इस तरह वारदात का कहीं न कहीं यह भी दशार्ता है कि गैंगरेप से जुड़ी दर्जनभर से ज्यादा घटनाएं विचार भी कोई मन में न ला सके।