देखिये ये है गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का सूरते हाल
अधिकाटी विभाग को लगा रहे चूना, बिल्डर हो रहे मालामाल
गाजियाबाद। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने जीडीए पर कोर्ट के आदेश के बावजूद शिला चिल्डर को सस्ते में जमीन देने का आरोप लगाया है। उन्होंने पत्रकार वार्ता में कहा कि शिप्रा ने भी उस जमीन को बिना मालिकाना हक के दुसरे को बेच दिया। इस समय इस जमीन पर काचिन 'साश' बिल्डर ने 105 एफ.ए.आर. की जगह 2.5 एफ.ए.आर. लेकर फ्लैट बना दिये। इस पूरे खेल में जीडीए के 446 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ हैऔर ये सच जीडीए अधिकारियों की मिली भगत से हुआ है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस प्रकरण की जांच सीबीआई से कराकर दोषी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की मांग की है। भाजपा पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने पत्रकार वार्ता में कहा कि जीडीए ने वर्ष 1999 में राजस्व ग्राम मकनपुर को 1295 एकड़ भूमि अधिग्रहित कर इंदिरापुरम योजना की आधारशिला रखी। इसमें किसानों को 90 रुपया प्रति वर्गमीटर की दर से मुआवजा निर्धारित किया गया। इस मामले में कुछ किसान हाईकोर्ट चले गए। 1991 में हाईकोर्ट ने इस भूमि का मुआवजा 297 रुपरा निर्धारित किया, इसमें बाजारी मूल्य के हिसार से अतिरिक्त प्रतिकर लगाते हुए इस जमीन के लिए अंतिम रूप से 2300 रुपया प्रतिवर्गमीटर की दर से मुआवजा तय हुआ। इस जमीन में से 375 एकड़ जमीन पर 14 मंजिला टावर का निर्माण हुआ लेकिन आकस्मिक घटना से एक बिल्डिंग गिरने के बाद वहां निर्माण कार्य रोक दिया गया। बाद में जीडीए ने जीटीपीएल नाम की एक कंपनी से 1994 में अनुबंध कर बिल्डिंग भागने बनाने का एमओयू साइन किया। भूमि इसमें जीडीए ने मानकों का प्रयोग इसे नहीं किया। वाईटवेंचर जीडीए की महायोजना 2001 करने में भूमि का भूउपयोग कृषि ४ा शिप्रा जबकि 1989 में ही जमीन का हेक्टेयर अधिग्रहण आवासीय कॉलोनी टावर बनाने के लिए किया गया था। भूखंड एमओयू में जीडीए को इस कंपनी ने थेपूरा पैसा जमा नहीं कराया और भाग केवल गई। बाद में कंपनी से दोबारा के एमओयू 1995 में किया। लेकिन की इस बार भी कंपनी पैसा नहीं दे पाई। करेगागहीं से जीडीए को नुकसान पहुंचाने उल्लंघन का सिलसिला शुरू हुआ। कंपनी के त्यागी भागने के बाद जीडीए ने बची हुई भूमि को 29 मार्च सन 2000 में इसे शिप्रा एस्टेट लि. को नीलामी में वाईटवेंचर के रूप में विकसित करने का फैसला हुआ। उस समर शिप्रा ने बची हुई भूमि 22.31 हेक्टेयर जमीन पर बने अर्धनिर्मित टावर लिए। यह टावर वैभवखंड के भूखंड संख्या 10 एवं 17 पर बने थे। जीडीए ने यह भूमि शिप्रा को केवल 1300 रुपये प्रति वर्गमीटर के हिसाब से दी। इस वाईटवेंचर की शर्त थी कि इसकी विक्री जीडीए करेगा। लेकिन शिप्रा ने इस शर्त का उल्लंघन किया। इस मामले में राजेंद्र त्यागी ने प्रेसवार्ता कर जीडीए की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। उन्होंने बताया कि जिस जमीन का खरीद मूल्य 6920 रुपये वर्गमीटर 1999 में आता है। उसे 1900 रुपये में भिन्ना को देकर करोड़ का नुकसान हुआ। वहीं हिना ने आगे चलकर भूखंड संा 12 के दो हिस्से कर उसे रोजचेरी डेवेलपर्स प्रा.लि. के नाम कर दिया । गह पट्टा 2008 में किया गया। बात यही नहीं रूकी रोजचेरी डेवेलपर्स ने भी 2015 में इस जमीन को मैसर्स साया बिल्डर के नाम से कर दिया गया। इस मामले में सबसे बड़ी गड़बड़ी एफएआर को लेकर हुई। शिक्षा को दिए गए 1.5 एफएआर ही जगह 2.5 एफएआर कर बैच दिया। जीडीए ने भी इस मामले में गिन ध्यान दिए हिना स्टेट को एफएआर 25 कर दी। इस मामले में 445 करोड़ रुपया अतिरिक्त एफएआर देने में लिया जाना था, जो नहीं लिया गया। पार्षद राजेंद्र त्यागी ने कहा कि जीडीए की लापरवाही की पराकाष्ठा है। नियमानुसार किसी भी इलाके म एफएआर बद्मने से पहले उस इलाके के आरडब्ल्यूए की सहमति लेना अनिवार्य होता है। |लेकिन इसका पालन नहीं किया गया। इस मामले में उन्होंने लिखकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर सीबीआई जांच की मांग सकेकी हैं। ताकि देषगों पर कार्रवाई हो सके। प्रेस वार्ता में राकेश पाराशर व सचिन सोनी भी मौजूद थे।
विषा' लॉलो तीन वेल्ट में बना। 'शिप्रा मॉल ने ग्रीन बेल्ट में बना लियाबिजली घरवजनरेटर
विषा' लियाबिजली घरवजनरेटर गाजियवाद विकास प्रकिरण ने एनएच.24 के साथ महायोजना में 75 मीटर चौड़ी ग्रीन दर्ज जिसका क्षेत्रफल कुरी 12110 वर्ग मीटर है।नैसर्स शिप्रा मोटल्सएरिसस ति को 90 वर्ष की लीज पर आवंटित की गई थी। इस पर वाटर पार्क का निर्माण होन।दसव कीनिधारित अवधि में निर्माण कार्य ही रोने की जह से वर्ष 2009 में विना सुनवाई के लीज केसिल कर दी गई। इसके खिलाफ मैसर्स मिा मोटल्स एई रिसर्टन ने अदालत में रिट दायर कुर स्टे ले लिया और लगभ्मा 240वर्ग मीटर जमीन पर देसमैट बनाकर बिजली घर व जनरेटर सम्मान का निर्माण कर लिया। निवेदमें किये गये इस निर्माण का प्राधिकरण से कोई न भी पास नहीं कराया। वर्ष 2012 में नैसर्स शिपमेटल्सएन रिसोर्टसन ने सहमति से 4000 मीटर जमीन का परित्याग जीडीए के |क्ष में कर दिय। इस जमीन को जडीएनेवर स्टेशन के निर्माण के लिये उ.परकाशिन & अवटित कर दिया। अब यहा विद्युत स्पान भी बन गया है ।बची हुई हैगं मीटर जमीन पर । न तो कोई मांगन्य ता है। इसलिये जी भी रवीकरण लिहाज से इस जमीन वासलेकर ग्रीन वै कसित करनी चर्गि। THद राजेन्द्र त्यागी ने बताया कि इस जमीन के अशिकभाग पर मैसर्स मिमेटल्सएरिसेटेसन पेसमेट में पाग न र ग्रीन बेल्ट में गिरा है। जो कि अदालत के आदेशों की खुली अवमानना है। मि सम्मान के सिमेंट में गैर कानूनी रूप से दानों का संचालन करया जा रहा है। पाद राजेन्द्र त्यागने मुरमंत्रीसस की भी जांच सीबीआई से कराकर प्रधिकरण के दौमी अnिारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने अर दण्डात्मक कार्रवाई करने की मांग की है।