काग्रेस को नही पसंद आया कोई युवा फेस
'बढे घोडो' के दम पर जीतेगी चुनावी रेस
नई दिल्ली। केन्द्र में सत्ता रूढ भाजपा ने पिछले लोकसभा में 70 वर्ष पार कर चुके अपने दिग्गज नेताओं को लोकसभा का टिकट नही दिया। इनमें लालकृष्ण अडवाणी, मुरली मनोहर जोशी व उमा भारती जैसे बड़े-बड़े नेता भी शामिल हैं। और उसी भाजपा को सत्ता से उखाड़ फेकने के लिए राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपनी युवा व ऊर्जावान नेतओ को दरकिनार कर 72 वर्षीय श्रीमति सोनिया गांधी को एक बार फिर पार्टी की कमान सौंप दी है। इतना ही नही 86 साल के हो चुकें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को राजस्थान से पुनः राज्य सभा का प्रत्याशी बनाया हैं। लगता है कि कांग्रेस पार्टी चुनावी रेस जीतने के लिए बूढ़े घोड़ो पर ही भरोसा कर रही है। एक तरफ जहां सरकारी कर्मचारी को 60 वर्ष की सेवा के बाद रिटायर्ड कर दिया जाता है। वहीं नेता गण मरणोपरांत ही रिटायर्ड होना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में देखा जाये तो नरेंद्र मोदी 68 वर्ष, राजनाथ सिंह 68 वर्ष और नितिन गडकरी 62 वर्ष को छोड़कर सभी की आयु 60 वर्ष से कम है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश मंत्री राजनाथ सिंह व परिवहन व जहाज रानी मंत्री नितिन गडकरी भी पूरी तरह से ऊर्जावान हैं और पूरी तरह से स्वस्थ भी है। जबकि कांग्रेस पार्टी की दुबारा मुखिया बनाई गई सोनिया गांधी कई गंभीर बीमारियों से जूझ रही हैं और ईलाज के लिए अक्सर विदेश जाती रहती हैं। मनमोहन सिंह की भी बाई पास सर्जरी हो चुकी है। लोकसभा चुनाव में धराशायी हो चुके दिग्विजय सिंह, सैम पित्रोदा, सुनील जाखड़, हरीश रावत व अंबिका सोनी आदि सभी 70 साल की आयु पार कर चुके है। इनके अलावा कांग्रेस के नेता मोती लाल वोरा जो कि पार्टी के राष्ट्रीय की दौड़ में भी शामिल थे, 90 साल की उम्र पार कर चुके है। ऐसा नही है कि कांग्रेस में युवा चेहरे नहीं है। सचिन पायलट, ज्योतिरादित्ये सिंघिया, आर पी सिंह, जतिन प्रसाद, जैसे कई युवा नेता कांग्रेस में है। लेकिन पार्टी दाव लगा रही है लेकिन उन्हें न तो आगे बढ़ने दिया जा रहा है न ही कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा रही है। सब को न की किरकिरी जाने किस वक्त के लिये सजो कर रखा गया हुआ है। 49 वर्षीय युवा कहे जाने वाले नेता राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में हुई पार्टी की दुर्दशा हो जाने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। पार्टी के नेताओं व कार्यकर्ताओं की लाख भिन्नतों के बावजूद राहुल द्वारा राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने को तैयार नही हुए। राष्ट्रीय स्तर पर सबसे युवा 47 वर्षीय प्रियंका गांधी को न राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई, न ही संगठन स्तर में आगे किया जा रहा है। आखिरकार 72 वर्षीय सोनिया गांधी को ही राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी क्यों सौंपी गई। देखना होगा कि क्या स्वयं उर्जाहीन सोनिया गांधी पार्टी कार्य कर्ताओं में कुछ ऊर्जा पैदा कर पायेंगी। लगता है कि कांग्रेस वास्तव में ही बूढी हो गई है और चुनावी रेस जीतने का सपना देख रही है। जो कि इन हालतों में साकार होता नजर नहीं आ रहा है।
अनुच्छेद 370 को लेकर जैसी उम्र वैसा ही विरोध
एक कहावत है कि बुढ़ापे में बुद्धि ठीक से काम नहीं करती है। कांग्रेस पर ये बिल्कुल खरी उतर रही है। पिछले दिनों सरकार ने कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने का ऐलान किया तो पार्टी के बुजुर्ग नेताओं ने राज्यसभा में हंगामा खड़ा कर दिया। एक ने तो कश्मीर के मुद्दे को बहारी बता दिया। जबकि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। इस मामले में पूरा विश्व भारत के साथ खड़ा हुआ था। केवल कांग्रेस के वृद्ध नेताओं को छोड़कर।
-जब एक सरकारी अधिकारी व कर्मचारी को 60 साल के बाद
रिटायर्ड कर दिया जाता है, तो फिर ये नियम नेताओं पर लागू क्यों नहीं होता
कांग्रेस में उम्रदराज नेताओं को अहमियत देने से युवा नेताओं में गहरी निराशा
अनुच्छेद 370 पर अनाप शनाप बयान देकर नेताओं ने कराई कांग्रेस की किरकिरी