कानूनी सलाह
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम पर नए कानून 2019 आज ग्राहक जमाखोरी, कालाबाजारी, मिलावट, बिना मानक की वस्तुओं की बिक्री, अधिक दाम, ग्यारन्टी के बाद सर्विस नहीं देना, हर जगह ठगी, कम नाप-तौल इत्यादि संकटों से घिरा है। ग्राहक संरक्षण के लिए विभिन्न कानून बने हैं, इसके फलस्वरूप ग्राहक आज सरकार पर निर्भर हो गया है। जो लोग गैरकानूनी काम करते हैं, जैसेजमाखोरी, कालाबाजारी करने वाले, मिलावटखोर इत्यादि को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त होता है। ग्राहक चूंकि संगठित नहीं हैं इसलिए हर जगह ठगा जाता है। ग्राहक आन्दोलन की शुरूआत यहीं से होती है। ग्राहक को जागना होगा व स्वयं का संरक्षण करना होगा। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019, लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया है और इसी के साथ उपभोक्ताओं को मिले अधिकार भी अब और व्यापक हो गए हैं.इस नए बिल में ऐसी एक व्यवस्था है जो निश्चित तौर पर उपभोक्ताओं के हक में है. इस नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के पारित हो जाने के बाद कंपनियों पर इस बात की ज़िम्मेदारी अब और ज्यादा होगी कि उनके उत्पादों के विज्ञापन भ्रामक न हों और उनके उत्पाद दावों के अनुरुप ही हों। हों। ___इसमें यह भी कहा गया है कि अगर कोई सेलीब्रिटी किसी ऐसे उत्पाद का प्रचार करता है, जिसमें दावा कुछ और हो और दावे की सच्चाई कुछ और, तो उस पर भी जुमार्ना लगेगा.
एक उपभोक्ता निम्नलिखित के संबंध में आयोग में शिकायत दर्ज करा सकता है:
(1) अनुचित और प्रतिबंधित तरीके का व्यापार,
(2) दोषपूर्ण वस्तु या सेवाएं,
(3) अधिक कीमत वसूलना या गलत तरीके से कीमत वसूलना, और
(4) ऐसी वस्तुओं या सेवाओं को बिक्री के लिए पेश करना, जो जीवन और सुरक्षा के लिए जोखिमपरक हो सकती हैं। अनुचित कॉन्ट्रैक्ट के खिलाफ शिकायत केवल राज्य और राष्ट्रीय सीडीआरसीज(जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तरों पर उपभोक्ता विवाद निवारण कमीशन) में फाइल की जा सकती हैं। जिला सीडीआरसी के आदेश के खिलाफ राज्य सीडीआरसी में सुनवाई की जाएगी। राज्य सीडीआरसी के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय सीडीआरसी में सुनवाई की जाएगी। अंतिम अपील का अधिकार सर्वोच्च न्यायालय को होगा
सीडीआरसीज का क्षेत्राधिकार:
जिला सीडीआरसी उन शिकायतों के मामलों को सुनेगा, जिनमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमत एक करोड़ रुपए से अधिक न हो। राज्य सीडीआरसी उन शिकायतों के मामले में सुनवाई करेगा, जिनमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमत एक करोड़ रुपए से अधिक हो, लेकिन 10 करोड़ रुपए से अधिक न हो। 10 करोड़ रुपए से अधिक की कीमत की वस्तुओं और सेवाओं के संबंधित शिकायतें राष्ट्रीय सीडीआरसी द्वारा सुनी जाएंगी। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 से उपभोक्ताओं को क्या नया मिलेगा? भारत में कंज्यूमर कोर्ट यानी उपभोक्ता अदालत तीन स्तरों पर काम करती है - राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर.
1. पहले के कानून के अनुसार व्यवस्था थी कि उपभोक्ता जहां से सामान खरीदता था, वहीं शिकायत कर सकता था. अब यह व्यवस्था रहेगी कि कोई भी कहीं से भी अपने मोबाइल पर शिकायत कर सकता है।
2. यदि जिला स्तर पर और राज्य स्तर पर उपभोक्ता के पक्ष में फैसला हो गया हो तो राष्ट्रीय स्तर पर दूसरी पार्टी को उसके खिलाफ जाने का अधिकार नहीं होगा।
3. साथ ही एक कंज्यूमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी बनाई गई है जो सामान खरीदने से पहले, खरीदने के दौरान और खरीदने के बाद तीनों तरह की शिकायतों को देखेगीद्ध
4. पहले एकल तौर पर कार्रवाई होती थी लेकिन अब क्लास एक्शन लिया जाएगा. उदारण के तौर पर जैसे एक कार है और अगर कार की इंजन में गंभीर तकनीकी खराबी है, तो ये माना जाएगा कि सिर्फ उसी कार का इंजन नहीं बल्कि उस कार के साथ जितनी दूसरी कारें बनी हैं, सभी के इंजन में वही तकनीकी खराबी हो सकती है
. 5. अगर कोई विज्ञापन भ्रामक है तो उसके लिए तीन श्रेणियों को रखा गया है- मैनुफैक्चरर, पब्लिशर और सेलीब्रिटी।
भ्रामक विज्ञापनों के लिए जुमार्ना अवं सजा .
1. केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अथॉरिटी (सीसीपीए ) चाहें तो झूठे या भ्रामक विज्ञापन के लिए निमार्ता और उसे प्रचारित करने वाले पर 10 लाख रुपये का जुमार्ना लगा सकती है दोबारा अपराध की स्थिति में यह जुमार्ना 50 लाख रुपए तक बढ़ सकता है। मैन्यूफैक्चरर को दो वर्ष तक की कैद की सजा भी हो सकती है जो हर बार अपराध करने पर पांच वर्ष तक बढ़ सकती है।
2. सीसीपीए भ्रामक विज्ञापनों के एन्डोर्सर को उस विशेष उत्पाद या सेवा को एक वर्ष तक एन्डोर्स करने से प्रतिबंधित भी कर सकती है। एक बार से ज्यादा बार अपराध करने पर प्रतिबंध की अवधि तीन वर्ष तक बढ़ाई जा सकती है। हालांकि ऐसे कई अपवाद हैं जब एन्डोर्सर को ऐसी सजा का भागी नहीं माना जाएगा।
__ भूवी गर्ग, (एडवोकेट), उच्चतम न्यायालय
__Mob. No. 9910800554, Adv.bhuvigarg@gmail.com