Meri ray

क्या अन्याय को सहना अन्याय है ?


सहना अन्याय हमें शुरू से गह सिखाया पड़ाया जाता है कि अन्याय के विरुद्ध डर कर लड़ाई लड़नी चाहिए। हमें बताया गया है कि अन्याय को चुपचाप सहना भी अन्याय की श्रेणी में आता है। इस तरह के उपदेशात्मक भाषण समय समय पर आपने हमने अवश्य अपने बड़ों से कई बार सुने होंगे। लेकिन |जद मंच पर सजे पुलिस के उच्च अधिकारी से |गाराबंकी जिले के एक स्कूल की आठवीं क्लास की एक बच्ची ने अपनी दलील देते हुए, अधिकरियों से जब इस सवाल को पूछ तो उनसे कोई जवाब नहीं बना। लगभग हॉल में बैठी 50 से ज्यादा शत्राओं ने इस लड़की के समर्थन में जोरदार तल्लियां बजाई।


इस साल जुलाई के अंतिम सप्ताह में पुलिस के कुछ उच्च अधिकारी त्राओं के अन्दर आत्मबल व आत्म विश्वास पैदा करने की गरज से बाराबंकी के एक बालिका विद्यालय में पहुंचे। उन्होंने जब अपने सम्बोधन के बाद अधिकारियों ने इस विषय पर छात्राओं से विचार रखने को कहा तो आठ तास को एक झा ने कहा कि सर, अन्याय के विरुद्ध ही तो आवाज उगई थी उन्नाव को गैंगरेप पीड़िता ने । अत्याचारी का तो कुछ नहीं हुआ, लेकिन अपने पर अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने वाली नालिग लड़की के पिता, मौसी, चाची को मार दिया गया। चाचा को जेल भेज दिया गया, पीड़िता के क्कील और वह पीड़िता सुद मौत के साथ से अपनी जिंदगी की लड़ाई लड़ रही है। दबंग बहुवली विधायक का ना तो सरकार कुछ विगाड़ पा रही हैं ना ही न्यायालय। ऐसे भला कौन कैसे कोई अन्याय के विरुद्ध लड़ने को खड़ा हो पायेगा। उस सत्रा का सवाल बहुत माकूल था। जिसने पुलिस अधिकारियों को निरुत्तर कर दिया। वास्तव में बाहुबली कुलदीप सेंगर क केस आज के समाज के लिए एक चुनौती है।'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का नारा दे देने वाली सरकर इस बेटी को क्यों नहीं बचा पाई।जिसने अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाई तथा बीजेपी के दबंग विधायक की हैवानियत की शिकायत करने की गलती कर ली, जिससे विधायक आपा खो वैठ। लेकिन लड़की ने अपने व अपने परिवार पर आने वाले संकट को भर लिया था। तथा अपनी रक्षा करवाने व न्याय पाने से आस में प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश शरत सरकार सहित सभी को पत्र लिखे थेलेकिन सभी दरवाजे उसे बंद मिले। इस तरह अपने ऊपर होते अन्याय का विरोध करने वाली बेटी खुद सुरक्षित रह ही नहीं पाई तो फिर ऐसी बेटियां दूसरों को अन्तारा से मुक्त कराने में कैसे आगे आयेंगे।


 राय है कि सड़कों की ते बात अंडी लड़किया अब तो घर के अंदर भी सुरक्षित नहीं दिखाई पड़ रही है इस समय हमलोग, घोर कलयुग के दौर सगुजर रहे हैं। पहले समय तोइसरीजरमिलकर करते समय लड़की की उप्त का भी ध्यान रखो ये कि लेकिन अब तो हैवानियत की दी है गलकारी बन गई कने जकीउम नाश्त चार-पाच वर्ष रही होती है उसे भी अपनी हवस का शिकार बनाया जा रहा है।मत पिता अपने छोटीनीको अरिकिस-किसभेटिए सेमवये। जगकि राज में परो तरफ दरिदे ही दरिंदे ने नाजों को अंदर छाये वेटे हैं। रोके अन्दर मेसफुफाबजीजा जैसे रिश्तेदारों से भी बनियोजहीहै। घर केहर लड़कियों के रिअरियों की भरमार है कि वहां सही दोपडोसी. दुरवसी र TipsFb के और दो घर पर अफर ऐसे दरिन्दों की शिकारती भी है तो उसके दिल में यह भी हर बना रहत है कि कहीं उसके परिवार हश्र भी उन्नम कीपीड़ित लड़की की तरह ना हो गए। जिस अगी के पास आज खोने के लिए कुछ भीही दवा है।उसका परिवरपूरी तरह सेताह का है।उस बैरीका कसूर देवलहीते ५ कि उसने नी अमाने वाली वियफ सजा दिलाने की दियेतान ले शीतलाउसके परिवार ने भी अपनी बेटी का सदियालेनिपुलिस प्रशासन, रासन, न्यायपालिका सजदराजा सभी वे अरु होती दूसरों की बेटियों को देखकर अन्याय के लिफ बोल्नेकी हिम्मत नहीं कर रहे हैं।


ऐसे में से बच पायेगी बेटियां और कैसेय विरुद्ध परोगी बेटियो।।