मोदी सरकार ने चुन-चुन कर खत्म किए 1200 अजब-गजब कानून

मोदी सरकार ने चुन-चुन कर खत्म किए 1200 अजब-गजब कानून


नई दिल्लीजरा सोचिए कि अगर पतंग उड़ा रहे हों और इस दौरान पुलिस आपके खिलाफ कार्रवाई की बात करे कि आपके पास इसके लिए लाइसेंस नहीं है या फिर सड़क पर 10 रुपये मिले और उसे अथॉरिटी में जमा कराने की बाध्यता हो तो आपको हैरानी होगी कि ये कैसा कानून है। लेकिन यह असलियत है कि आजादी के 6 दशक बाद भी इस तरह के कानून अस्तित्व में बने हुए थे जबकि मौजूदा दौर में ये अपना औचित्य खो चुके हैं। ऐसे तमाम कानूनों को सरकार एक-एक कर खत्म कर रही है। केंद्र सरकार ने पुराने पड़े 1200 कानून खत्म किए हैं, तथा 1824 और खत्म किए जाएंगे। होटल में 20 प्रतिशत कमरेंआराक्षत करने का कानून दिल्ली होटल कंट्रोल ऑफ अकॉमडेशन ऐक्ट 1949 के तहत होटल को सरकारी मेहमानों के लिए 20 फीसदी कमरे रिजर्व रखने का प्रावधान बनाया हैगया था। वहीं घोड़ा गाड़ी के रेग्युलेशन के लिए कानून बनाया गया कि घोड़ा गाड़ी चलाने के लिए उसका लाइसेंस लेना जरूरी है। मद्रास ___ कंपलसरी लेबर ऐक्ट 1858 में प्रावधान है कि जबरन लेबर कराया जा सकता है। लेकिन संविधान के तहत ये कानून अवैध है सिर्फ क्योंकि जबरन श्रम नहीं कराया जा सकता। एक दूसरे कानून के मुताबिक कुछ राज्यों में पुलिसकर्मियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हवा में गिराए गए पैम्फलेट उनके इलाके में न गिरें। इस कानून का मकसद दूसरे विश्व युद्ध के दौरान प्रोपगेंडा कैंपेन को रोकना था। पैम्पलेट कानून एक 200 साल पुराना कानून ब्रिटेन के सम्राट को भारत की सभी अदालतों के फैसलों की समीक्षा का अधिकार देता है, लेकिन यह एक्ट अब इतिहास बन गया है। इन पुराने कानूनों को खत्म कर मोदी सरकार एक रिकॉर्ड कायम करने जा रही है। __ मोदी सरकार ने तीन साल में किया 1200 एक्ट का खात्मा पिछली सरकारों ने 65 सालों में सिर्फ 1,301 पुराने और व्यर्थ कानूनों को खत्म किया था, जबकि मौजूदा सरकार तीन साल में ही 1200 एक्ट खत्म करने जा रही है, जबकि 1,824 अप्रचलित केंद्रीय अधिनियमों को पुर्नविचार के लिए चिन्हित किया गया है। विपक्ष के बहुमत वाले ऊपरी सदन ने भी अपनी भूमिका निभाई है और 1,159 केंद्रीय कानूनों पर पुर्नविचार से जुड़े बिल को पास कर दिया है। राज्य सभा ने इस तरह के चार बिल पास किए हैं।


- सामान्य जनों पर बोझ कम करने के लिये खत्म किये जा रहे हैं अजब गजब कानून


- अदालत जाने के बजाए मोबाइल पर तारीख लेने की परम्परा होनी चाहिये शुरू


- पिछली सरकारों ने 65 साल के कार्यकाल में खत्म किये थे केवल 1301 कानूनजबकि मोदी सरकार ने मात्र तीन साल में ही खत्म कर दिये 1200 कानून


ऐसे थे खत्म किये गये कानून देश में 80 साल पहले इंडियन एयरक्रॉप्ट ऐक्ट 1934 बनाया गया था। इसके तहत कानूनी प्रावधान किया गया था कि पतंगबाजी के लिए भी परमिट लेना होगा। यानी जिस तरह से प्लेन उड़ाने के लिए परमिट की जरूरत है उसी तरह से पतंगबाजी के लिए भी परमिट लेना होगा। अगर कोई बिना परमिट के पतंग उड़ाता है तो वह कानून का उल्लंघन है और कोई अगर इस तरह की पतंगबाजी में शामिल है या फिर पतंगबाजी उत्सव में शामिल होता है तो वह इंडियन एयरक्रॉफ्ट ऐक्ट का उल्लंघन माना जाएगा। पुलिस बिना परमिट के पतंग उड़ाने के लिए कार्रवाई कर सकती है।


इंस्पेक्टर के दांत की सफाई का कानून 100 साल पुराना एक ऐसा कानून भी है, जिसके तहत ट्रैफिक इंस्पेक्टर को दांत की सफाई करना अनिवार्य था यानी दांत चमचमाते होने चाहिए। एमवी ऐक्ट 1914 में आंध्र प्रदेश में ये कानूनी प्रावधान किया गया था कि इंस्पेक्टर को अपने दांत की चमक बरकरार रखनी है और अगर ऐसा नहीं करते हैं तो वे अयोग्य माने जाएंगे।


10 रूपये के नोट को लेकर हैरान करने वाला कानून


10 रुपये के नोट को लेकर बना कानून हैरान करने वाला है। अगर सड़क पर 10 रुपये गिरे मिले तो उसके बारे में अथॉरिटी को इत्तला करने की अनिवार्यता है, नहीं तो कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गयाट्रेजर ऐक्ट में लिखा है कि यदि कोई 10 रुपये या ज्यादा की रकम गिरी हुई पाता है तो इसकी सूचना तुरंत आधिकारिक अथॉरिटी को दे। गंगा में बोट से फेरी लगाने वालों को टैक्स देना। होता था। गंगा टोल ऐक्ट 1867 में टैक्स का प्रावधान किया गया था।


बोट टैक्स दो आने से ज्यादा नहीं भारत के हजारों कानूनों में कुछ ऐसे भी हैं, जो अजीब तरह की मांग करते हैं। जैसे सदियों पुराने एक कानून के मुताबिक गंगा में चलने वाले बोट का टोल टैक्स दो आने (छह पैसे का एक आना) से ज्यादा नहीं हो सकता। बता दें कि अना अब चलन से बाहर हो गया है।


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