<no title>लखनऊ से भेजे डी.एल. को डाक विभाग नहीं । कर रहा है डिलीवर, 400 डी.एल भेजे लखनऊ

लखनऊ से भेजे डी.एल. को डाक विभाग नहीं । कर रहा है डिलीवर, 400 डी.एल भेजे लखनऊ


गाजियाबाद से दलाल तन्त्र साफ करें अच ड्राईविंग लाइसेंस बनवाना काफी आसान हो मितगया है। ऑनलाइन अवेदन करने के बाद ऑनलइन ही फीस जमा हो जाती है। उसके बाद आर.टी.ओ. से समय निर्धारित हो जाता है। तर समय पर आर.टी.ओ. आफिस जाकर बायोमेट्रिक फोटो कराये जाते हैं। जबकि पहले इस काम के लिये गा तो लम्बी-लम्बी लाइनों में लगना पड़ता था। या फिर दलालों की शरण में जाना पड़ता था। शिकायत लेकिन अब उस ड्राईविंग लाइसेंस को बननेलेकिन के बाद उसे पाना वड़ी टेढ़ी सीर बन गई हैं। क्योंकि अब ड्राईविंग लाइसेंस की छपाई लखनऊ में होती है और वहीं से पीड पोस्ट के जरिये ड्राईविंग लाइसेंस फार्म में भरे गये पते पर आवेदक को भेने जाते हैं। लेकिन पोस्टमैन की लापरवाही के चलते उनका वितरण नहीं हो पाता है। पोस्टमैन 'पता गलत है', 'ताला बंद मित' का इस पते पर कोई नहीं रहता अधिकतर पर आदि रिपोर्ट लिखकर डी.एल. को वापस कर देता हैं और वाईविंग लाइसेंस वापस लखनऊ चला जाता है। अब तक 400 से ज्यादा लोग अपने ड्राईविंग लाइसैंस को पाने का इंतजार कर रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि जब इसकी शिकायत आर.टी.ओ. दफ्तर में की जाती हैं तो वहां दो सौ रूपये की सरकारी रसीद कटवाने कोकहा जाता है। ताकि उनके ड्राईविंग लाइसेंस को दुगारा वापस मंगवाया जा सके। जो व्यक्ति अपना ड्राईविंग लाइसेंस बनवाता है वो फार्म में पते के साथ ही अपना फोन न भी दर्ज करता हैं फिर वितरण के समग पोस्टमैन द्वारा उसे फोन पर सूचित नहीं किया जाता है। पोस्ट आफिस की इसी कार्य प्रणाली की वजह से कोरिसर सर्विस दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है। उनकी कोई डाक कभी मिस नहीं होती और न वापस ही जाती है। डाक विभाग को अपनी कार्य प्रणाली में करना होगा सुधार प्रणाली में करना होगा सुधार इफ विभाग को अपनी मर्यप्रणाली में सुनार लने के लिये ऐस्टमैन ने हिदात देनी होगी यदि सी घर नानावटमिने नो मोबाइल फोन से पौटो सीवनी होगी और पड़ोसी को सूचित कर उसके हस्तक्षर रवाने होंगे। दि इतनी सी की जरी तो पिर पोस्टमन का स्पीडपोस्ट पर लिखे पत्ते पर जाना ही पड़ेग।अब तो ऐस्टमैन उन्हीं लेगों की इक पहुंचाते हैं जहां से उन्हें बख्शीश मिलती है। क्या ऐसा सम्भव है कि सभी चार सौ डी.एल. के आवेदकों का पता गलत हो अथवा सभी मकान में नाला डाल कर एक साथ घूमने चले गये हौं। यह असम्भव है। सम्भव तो यह है कि डाक विभाग के कर्मियों द्वारा अपने छोटे से स्वार्थ को पूर्ति के लिये चार सौ वाईविंग लाइसेंस वापस कर दिये। डाक विभाग को इसकी अलग से जांच । करानी चाहिये। अब तो लोग गह कहने लगे हैंइससे तो वह दलाल ही अच्छे थे जो 1000500 ज्यादा लेकर डी.एल. घर देकर आते थे। क्या कहना है आर.टी.ओ. का एआरटीओ प्रशासन विश्वजीत सिंह ने बताया कि जिन 400 लाइसैंस को वापस किया गया है, उन्हें लखनऊ से वापस मंगाया जा रहा है। रिकॉर्ड से नंबर निकालकर ऐसे लोगों से संपर्क किया जाएगा, जिससे सभी को लाइसेंस वितरित कराये जायेंगे। विभाग का मानना है कि डाकिया लाइसेंस लेकर गया, किसी कारण से पता गलत अंकित हो गया का लाइसेंस धारक ने मकान बदल दिया। ऐसी स्थिति में लोगों को लाइसेंस नहीं मिल पाए हैं। झकियों ने ऐसे लोगों को कॉल करके संपर्क नहीं किया। एआरटीओ प्रशासन विश्वजीत सिंह ने बताया कि विभाग ऐसे लोगों को कॉल करके लाइसेंस उपलब्ध कराएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों के पास तीन महीने बाद भी लाइसेंस नहीं पहुंचा है। वह विभाग में आकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं, जिससे उनके लाइसेंस मंगवाये जा सकें।


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