पाकिस्तान या तो युद्ध करे या हो सकता है तख्ता पलट

पाकिस्तान या तो युद्ध करे या हो सकता है तख्ता पलट


पाक में इमरान खान की शामत आई एक तरफ कुआं तो दूसरी ओर खाई


नई दिल्ली। खिलाड़ी से पाकिस्तान के हुक्मरान बने इमरान खान के एक तरफ कुआं है तो दूसरी तरफ खाई है। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें। जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद बौख लाई पाक सेना इमरान खान पर भारत के साथ युद्ध करने का दबाव डाल रही है। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो सेना कभी भी तख्ता पलट कर सकती है। यदि पाक भारत पर हमला कर देता है तो उसके लिए ये कदम आत्महत्या से कम नहीं होगा। __ अपने जन्म के पहले से ही भारत को शत्रु मान चुके पाकिस्तान के लिए हालिया वक्त नई परेशानियां लेकर आया है। इसकी एक बड़ी वजह भारत के अखंड हिस्से जम्मू- कश्मीर पर पाकिस्तान का अड़ियल रवैया है। इस बार मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान बुरी तरह से खिसियाआ हुआ है। इस मसले पर भारत को वैश्विक मंच पर घेरने की नई-नई तिकड़में आजमाने के बावजूद घरेलू मोर्चे पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। स्थिति यह आ गई है कि पाकिस्तान में एक बार फिर तख्ता पलट का अंदेशा मंडराने लगा है। इसकी एक बड़ी वजह हाल ही में पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा के कार्यकाल को तीन साल का सेवा विस्तार देना है। इससे ये साबित हो गया है कि देश के नीतिगत निर्णयों की कमान एक बार फिर सेना के पास ही है। वैसे भी अगर पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के 72 साल का इतिहास देखा जाए, तो वहां जब- जब देश पर संकट आया है तब-तब सेना ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनकर आई सरकारों को निर्ममता से कुचलकर देश की कमान अपने हाथों में लेने में कतई संकोच नहीं किया। भले ही देश-दुनिया में पाकिस्तान सेना के इस कदम की कितनी ही आलोचना क्यों नहीं हुई हो। फील्ड मार्शल अयूब खान, याहया खान और जियाउल हक से लेकर परवेज मुशर्रफ तक कुल 35 साल तक पड़ोसी देश पर पाकिस्तानी सेना प्रमुख राज रहा है। भले ही पाकिस्तान के वजीर-एआजम इमरान खान हों, लेकिन असली कमान सैन्य प्रमुख जनरल बाजवा के हाथों में ही है।


 कभी भी पलट सकता है इमरान का तख्ता


अब जब पाकिस्तान एक बार फिर घरेलू मोर्चे समेत वैश्विक बिरादरी में अलग-थलग पड़ रहा है, तो आशंका तेज हो गई है कि इमरान खान को गद्दी से उतार कर पाकिस्तानी सेना सत्ता की कमान अपने हाथों में ले सकती है। पाकिस्तान सेना आतंकवादी संगठनों खासकर हाफिज सईद पर कार्रवाई से भी खुश नहीं है। ऐसे में परमाण हथियारों से लैस दुनिया की छठी सबसे बड़ी सेना यदि इमरान खान का तख्ता पलट करती है, तो इसमें किसी को कतई कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। 


पाकिस्तान की जनता भी कोस रही है इमरान खान को


वैसे भी पाकिस्तान के अलग राष्ट्र बनने के बाद से वहां के हुक्मरानों ने भारत के अभिन्न अंग जम्मूकश्मीर को अपनी राजनीति का ऑक्सीजन बनाए रखा था। देश के अंदरूनी हालातों से आवाम का ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तान के हुक्मरान हमेशा से जम्मू-कश्मीर का इस्तेमाल करते आए थे। 'नया पाकिस्तान' का नारा देने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी इससे अछूते नहीं रहे। जम्मू-कश्मीर से मोदी सरकार ने धारा 370 क्या हटाई, वे तिलमिला गए। चीन की मदद से मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाया, लेकिन वहां उनकी दाल नहीं गली। इसके पहले होश खोकर जोश-जोश में लिए गए एकतरफा फैसले अब उन पर ही भारी पड़ने लगे हैं। पाकिस्तान में महंगाई चरम पर है और आवाम इमरान खान को पानी पी-पीकर कोस रही है।


दुनिया में कोई नहीं पाक के साथ


यहां तक कि पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों समेत हुक्मरानों ने हर बार की तरह जब इस बार भी परमाणु हथियारों की गीदड़भभकी दी तो भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उसकी हवा निकालने में कतई देर नहीं लगाई। उन्होंने साफ कह दिया कि परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति कोई पत्थर की लकीर नहीं है। काल-खंडपरिस्थितियों के तहत इसमें बदलाव संभव है। पाकिस्तान के परमाणु हथियारों की इस तरह से हवा निकलते देख प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर वैश्विक समुदाय से जम्मू-कश्मीर मसले पर हस्तक्षेप की गुहार लगाई। परमाणु युद्ध होने की आशंका भी जताई, लेकिन वैश्विक मंचों से उसे शांतिपूर्वक मसले को सुलझाने की सलाह ही मिली।