राजनीति,पुलिस तन्त्र व शासन सभी पर भाटी या बाहुबली विधायक कुलदीपोंगर
भाटीया नई दिल्ली । सी.बी.आई. ने सबूत जुटाने के लिए रेप के आरोपी बाहुबली विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के सत्रह ठिकानों पर अपे मारे। सी.बी.आई. की इस कार्रवाई से सेंगर पर कानून का शिकंजा कसता जा रहा है। सत्ता,शासन व प्रशासन पर मजबूत पकड़ रखने वाले पापी विधायक कुलदीप सेंगर का सारा खेल खत्म हो गया है इसी बी आई उसके पुराने कारनामों की भी फेहरिस्त बना रहीं हैं उन्नाव दुष्कर्म मामले में 15 महीने से जेल में बंद होने के बावजूद विधायक कुलदीप सिंह सेंगर की दहशत इलाके में आज भी कायम है। किसी भी राजनैतिक दल के नेता उनके खिलाफ जवान सोलने की हिम्मत आज भी नहीं है। सभी नेता दे तो कह रहे है कि पीड़िता व उसके परिजनों को न्याय मिलना चाहिये। लेकिन विधायक को कड़ी सजा मिलनी चाहिये से कहने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा है। 15 महीने से जेल में बंद होने के बावजूद भी जिला प्रशासन उनके तीन-तीन शास्त्रों के लाइसेंस निरस्त नहीं कर पाया। इससे ये साफ जाहिर है कि उनकी हनक अब भी बरकार है। आम इंसान की बात तो दूर विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई व उनके गुर्गों ने एक आईपीएस अधिकारी पर उस समग गेलियां बरसा दी थी। जब रामलाल वर्म नाम के ये आईपीएस अधिकारी वर्ष 2004 में बतौर पुलिस अधीक्षक उन्नाव में ही तैनात थे और अवैध खनन की सूचना पर दबिश देने गये थे। उस दौरान कुलदीप सेंगर के छेटे भाई अतुल सेंगर और उसके गुर्गे ने उन्हें गोली मार दी थी। भाजपा से निष्कासित हो चुके विधायक और उन्नाव दुष्कर्म मामले के मुख्य आरोपी कुलदीप सेंगर का उन दिनों भी ऐसा राजनीतिक दबाव था कि थाने से महत्वपूर्ण केस वायरियां चोरी हो गईं। यही वजह है कि वर्मा की हत्या के प्रयास जैसे सनसनीखेज मामले की सुनवाई 15 साल बाद भी शुरू नहीं हो पाई थी। कई तरह की सर्जरी और महीनों अस्पताल में भर्ती रहे आईपीएस अधिकारी राम लाल वर्मा की जान संयोगवश बच गई। आखिरकार कई गोलियों से उन्हें मिले जख्म भर गए हैं पर दिल पर लगे जख्म आज भी हरे हैं। चार बार के विधायक कुलदीप सेंगर अपने रसूख की बदौलत मामले की जांच और मुकदमे की सुनवाई को प्रभावित किया करते थे। मुकदमे की स्थिति का पता लगाने के लिए आरटीई इल करनी पड़ी थी। एक आईपीएस अधिकारी होने के बावजूद उनके साथ जो हुआ, वह बेहद निराश करनेवाला है। वर्मा के बेटे अभिषेक वर्मा भी उत्तर प्रदेश कैडर के 2016 बैच के आईपीएस अधिकारी के रूप में चयनित हो गए शीर्ष पुलिस परिवार से होने के बावजूद वर्मा न्याय पाने और अपने मुकदमे की सुनवाई के लिए अपने बेटे के साथ मिलकर संघर्ष कर रहे हैं। राम लाल वर्मा के एक वैच मित्र व यूपी में पदस्थ एक डीआईजी ने कहा कि सच तो यह है कि सेंगर उत्तर प्रदेश में शक्तिशाली राजनेता होने के नाते इस मामले की जांच रुकवाने में कामदार रहे हैं। महत्वपूर्ण केस डायरियां चोरी हो चुकी हैं। गवाहों को धमका दिया गया हैं। दुख की बात यह है कि ये सब उस मुकदमे में हो रहा है, जिसमें एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पीड़ित है। भारत के प्रधान न्यायाधीश से भी वर्मा के मामले पर संज्ञान लेना चाहिए। लेकिन कहते हैं कि जब पाप का घड़ा भर जाता है तो फुटता जरूर हैं। वो ही सेंगर के साथ हो रहा हैं। अच सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान के बाद विधायक कुलदीप सेंगर व उनके गुर्गों का वचना नामुमकिन है । उन्नाव पड़ता से सम्बंधित पांचों कैसों की फइलें उच्चतम न्यायालय दिल्ली में मुख्य न्यायाधीश ने तलब कर दी हैं। अब सभी पांचों कैसों की सुनवाई दिल्ली में ही होगी और 45 दिन में सुनवाई पूरी भी हो जायेगी। बस देखने वाली बात ये है कि अदालत बाहुबली विधायक व गुर्ग को क्या सजा सुनाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव की अदालत में चल रहे दुष्कर्म, पीड़िता के पिता को चोरी के इल्जाम में जेल भेजने व जेल में मौत हो जाने, मुकदमा वापस लेने के लिये पीड़िता व परिजनों को धमकाने, पीड़िता के चाचा को फर्जी मामले में जेल भेजने व पीड़िता के साथ हुई सड़क दुर्घटना के मुकदमों की फाइल तय की है। अब इन सभी मामलों की सुनवाई दिल्ली की अदालत में होगी। लिये खा रहा है ठोकरे, विधायक ने थाने सुप्रीम कोर्ट ने पांचों मुकदमों की फाइल दिल्ली की तलब
डेढ़ साल जेल में रहने के बावजूद प्रशासन ने नहीं किये विधायक के तीन शस्त्रों के लाइसेंस निरस्त उन्नाव दुष्कर्म मामले में पीड़िता व परिजनों ने गुजारे दहशत में दो साल, विधायक ने बना दिया कानून का मजाक विधायक सेंगर के गुर्गों की गोली से घायल हुआ आईपीएस अधिकारी न्याय के लिये खा रहा है ठोकरे, विधायक ने थाने से गायब करा दी केस डायरी