आधा दर्जन प्रत्याशी केवल हार का रिकार्ड बनाने को लड़ते है चुनाव 

आधा दर्जन प्रत्याशी केवल हार का रिकार्ड बनाने को लड़ते है चुनाव 


आज हम आपको भारत के उन राजनेताओ के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने जब से चुनाव लड़ना शुरू किया है तब से एक एक भी हार का मुँह नहीं देखा है। 1 नरेंद्र मोदी :- नरेंद्र मोदी जो आज पूरी दुनिया में फेमस हो चुके है और वर्तमान देश के प्रधानमंत्री है इन्होने आज तक जितने भी चुनाव लड़े है सबसे जीत ही हासिल की है। 2 वसुंधरा राजे :- राजस्थान की एक्स मुख्यमंत्री और ग्वालियर राजघराने की राजकुमारी वसुंधरा राजे ने भी एक बार भी चुनाव नहीं हारा है ये 5 बार लोकसभा सांसद व 4 बार विधायक बन चुकी है। 3 अखिलेश यादव :- समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बेटे व उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने साल 2000 में राजनीती कम कदम रखा था और आज तक इन्होने एक भी चुनाव नहीं हारा है। ऐसे मिल नई दिल्ली।चुनाव लड़ने वाले हर है कि वह जीत जाए. दिन-रात शख्स के मन में यही ख्वाहिश होती मेहनत करना और पानी की तरह समझ सकते हैं, लेकिन नरेंद्र नवदुबेइसे पैसा बहाने का मकसद भी जीत हासिल करना ही होता है। आपको ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिल जाएंगे, जिन्होंने एक के बाद एक हर चुनाव जीते हैं। लेकिन जीत के जश्न से इतर कुछ ऐसे भी नाम हैं जो हार का जश्न मनाते हैं। एक के बाद एक हर चुनाव हारते हैं। बल्कि कुछ तो चुनाव लड़ते ही इसलिए हैं ताकि हार सकें और फिर उसका जश्न मना सकें। इस वर्ष मई में हुये लोकसभा जरूर दर्ज हो गया। चुनाव में यूपी के मथुरा से फक्कड़ चाचा चुनाव लड़ रहे थे। वह हर बार चुनाव लड़ते हैं और हर चार हारते हैं, लेकिन उत्साह कभी कम नहीं होता। ऐसा ही एक नाम था काका जोगिंदर सिंह 'धरतीपकड़'। अब वह दुनिया में नहीं है, लेकिन जब भी सियासत गरमाती है, तो उनका जिक्र जरूर होता है। कई ऐसे भी नाम हैं जो जीत के लिये नहीं, बल्कि हारने के लिये चुनावी मैदान में उत्तरते हैं। 


16 बार हारने वाले फक्कड़ बाबा ने लड़ा 17वां चुनाव फक्कड़ बाबा 1976 से लगतरहर लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ते आरहे है। इस बार कयूपी की मधुरासीट से चुनावी मैदान में उतरे थे।अबतक 16 बार हारने के बाद भी उनका उत्साह कमनही हुआ है,नाही उन्हें अपनी हार का कोई मलाल है। उनके अपने गुरु की बात पर यकीन है, जिन्होंने कहा था कि 20वीबार के चुनव मे जीत का ताज उनके सिर सजेगा इसबार उनका 17वा चुनव था। यानी ये चुनाव जीतना उनका असल मकसद नहीं है, क सिर्फ गिनती पुरी कर रहे हैं। उन्हें सारी उम्मीदें 20वे चुनाव से है, जैसा कि उनके गुरुजी ने कहा था।


येलड़रहे हैं 63 सालसेचुनाव ओडिशा के बेरहामपुर शहर के रहने वाले के श्याम बाबू सुद्धिकरीब 63 सलों से चुनाव लड़ रहे हैं। पेशे से होम्योपैथी डॉक्टर सुद्धिका चुनाव लड़ने का सिलसिल1957 से शुरू हुआ, जो अब तक जारी है। उन्होंने अब तक 28 बार चुनाव लड़ा है और सबसे हारे हैं। देखा जाए तो वह चुनाव लड़ने के मामले में चरती पकड सेकहत पीछे है. लेकिन 63 सालो से चुनाव लड़ने वाले अकेले शख्स है। सबसे खास होता है उनका चुनावी वादा।वह कहते हैं कि अगर वह जीते ते 60 साल से अधिक उम्र के लोगों और एक से अधिक चुनाव क्षेत्र से चुनाव लड़ने पर प्रतियच लगवाएंगे। दिलचस्प ये है कि उनकी खुद की उम्रइस समय84 सल है।


वोटनहीं देने की गुजारिश करते हैं पद्मराजन डॉ.के पयाराजन तमिलनाडु के सालेम के रहने वाले हैं। 2018 तक उन्होंने 181 दुनाव लड़े है और 20 लख रुपर से भी अधिक नामांकन पर सर्व कर दिए. लेकिन कभी जीतन्की सके। उन्हें तो इलाके के लोग चुनावी राजा' के नाम से भी पुकारते हैं।कहर बर चुनाव में हारने की दुआकरते हैं।60 साल के पहाराजन कमी चुना प्रचार में पैसे नहीं खर्च करते। उल्टावह लोगों से मिलकरगुजारिश करते है कि कोई उन्हें बोट नादे।दरअसल, उनकी ख्वाहिश गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉहर्स में अपननमदर्ज करने की है। आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले से ही 2004,2014 और 2015 में कह सबसे अधिक नुनाव हारने वाले उम्मीदवार का रिकॉर्ड लिम्काबुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है।कह चुनाव जीतने के लिए नहीं लड़ते, बल्कि अपना रिकॉर्ड बरकरार रखने के लिए चुनाव लड़ते हैं।


ये भी बनाना चाहते है हार का रिकार्ड यूपी के काशी में रहनेवले नरेंद्र नाथ दुबे को लोग अडिग के नाम से जानते हैं। अडिग इसलिए क्योंकि 1984 से लेकर कह लगतार चुनाव लड़ते आरहे है, कभी डिगे नही ये चुनवतोलड़ते हैं, लेकिन जीतने की ख्वाहिश नहीं होती। इनकासमसिर्फ उतना है कि सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने वालों की लिस्ट में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज हो जाए।हम-आपइसे मजाक समझ सकते हैं, लेकिन नरेंद्र नवदुबेइसे संकल्प की तरह पूरा कर रहे हैं। पैसा बहाने का मकसद भी जीत नाम हैं जो हार का जश्न मनाते हैं।


 चुनाव हारनेकाबनाडाला रिकार्ड होतेपक्षरगस्वामीकाकर्नाटक में जन्मे थे और कर्नाटक कीराजनीति में 1967 से लेकर 2004 तक अहमभूमिका निभाई।वह एक से बढकर एक बाहूबली नेताओ के खिलाफ चुनाव लड़ते थे। यू तो उन्होंने कुल 86 बार चुनाव लड़ा, लेकिन वह हर बार हार गए। हालांकि, इतने सारे चुनाव हारने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉडर्स में उनका नाम जरूर दर्ज हो गया। चुनाव में यूपी के मथुरा से फक्कड़ अब वह दुनिया में नहीं है, लेकिन


चुनाव हारनेकाबनाडाला रिकार्ड होतेपक्षरगस्वामीकाकर्नाटक में जन्मे थे और कर्नाटक कीराजनीति में 1967 से लेकर 2004 तक अहमभूमिका निभाई।वह एक से बढकर एक बाहूबली नेताओ के खिलाफ चुनाव लड़ते थे। यू तो उन्होंने कुल 86 बार चुनाव लड़ा, लेकिन वह हर बार हार गए। हालांकि, इतने सारे चुनाव हारने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉडर्स में उनका नाम जरूर दर्ज हो गया।


हारने पर लोगों को मेवे खिलाते थे 300 चुनाव हारने वाले जोगिंदर सिंह


1918 मेपकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजराबाला शहर में जन्मेकाका जोगिंदर सिह धरतीएकड़ अब पका इस दुनिया में नहीं है, लेकिन चुनावी बेल आते ही उनकीबात जरूर होती है। आजादी के बाद बरेली के कानूनगोयान(शमतगज) में बस गए थे। 1998 में उनकी मौत हुई थी, लेकिन अपने जीवन में उन्होंने 36 सालों के अदर 300 से भी अधिक बार चुनाव लड़ने की दावेदारी ठोकी थी। क्या लोकसभासेलेकर विधानसभा और राष्ट्रपति से लेकर उपराष्ट्रपति के चुनाव उन्होंने लड़े।लेकिनहर चुनाव में हारे।सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन हर बार हारने के बाद वह सूखे मेवे और मिश्री से लोगों का मुह मीठा कराकर अपनी हार का जश्न भी मनाते थे।