अब आई स्वामी चिन्मयानन्द की बारी
अब भाजपा से लगातार तीन बार सांसद बन चुके हैं स्वामी चिन्मयानन्द नई दिल्ली। बलात्कार के मामले में स्वामी चिन्मयानन्द को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। बलात्कार के मामलों में आशाराम बापू, राम रहीम गुरमीत सिंह इंसा, स्वामी नित्यानंद, कोशलेन्द्र प्रपन्नाचार्य, स्वामी सदाचारी, स्वामी प्रेम चंद व महाराज चित्रकूट वाले स्वामी भीमानन्द उर्फ शिव भरत द्विवेदी भी जेल यात्रियों में शामिल हैं और यति मदनमोहन दाती महाराज पर भी बलात्कार का आरोप है। इसकी जांच चल रही हैदेखना है उनकी जेल यात्रा की बारी कब आने वाली है। स्वामी चिन्मयानंद मूल रूप से यूपी के गोंडा जिले के रहने वाले हैं। बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाने वाले चिन्मयानंद ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से एमए किया था। इनका अवध के एक राजघराने से ताल्लुक भी रहा है। कहा जाता है कि उन्होंने 20 साल की उम्र में ही घर छोड़ दिया था और बुद्ध व बाला है। महावीर स्वामी की राह पर चलते हुए संन्यास ले लिया। राम मंदिर आंदोलन की लहर में मिली थी पहली बदायूं सीट से जीत ने राम मंदिर आंदोलन में । चिन्मयानंद ने गोरखपुर के गोरक्षा आशाराम पीठ के महंत और पूर्व सांसद , अवैद्यनाथ के साथ मिलकर बड़ी भूमिका निभाई थी। 1991 के , लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने चित्रकूट चिन्मयानंद को बदायूं की सीट से शिव टिकट दिया था, जहां से उनका कोई ताल्लुक नहीं था लेकिन कहते मदनमोहन हैं कि मंदिर आंदोलन की लहर में उन्होंने ये चुनाव जीत लिया था। रही इसके सात साल बाद चिन्मयानंद 1998 में मछलीशहर से और 1999 में जौनपुर सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद वाले वाजपेयी सरकार में केंद्रीय गृहराज्य माने मंत्री बनाए गए। स्वामी चिन्मयानंद लखनऊ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ । को भी अपना करीबी बताते हैं। कहा जाता है कि 2017 में जब है बीजेपी भारी बहुमत से जीती थी तो ही इन्होंने ही सबसे पहले योगी का व नाम सीएम पद के लिए सुझाया था। वर्ष 2011 में भी स्वामी चिन्मयानन्ट के खिलाफ दर्ज है बलात्कार का केस
स्वामी चिन्मयानंद शाहजहांपुर में स्वामी शुकदेवानंद लॉ कॉलेज भी चलाते हैं। स्वामी चिन्मयानंद पर तकरीबन आठ साल पहले नवंबर 2011 में शाहजहांपुर में एफआईआर दर्ज हुई थी। उनके ही आश्रम में कई वर्षों तक रहने वाली एक युवती ने उनके खिलाफ रेप और यौन शोषण का आरोप लगाया था। राज्य सरकार ने 2018 में शाहजहांपुर की एक अदालत से केस को वापस लेने का फैसला भी किया था। शाहजहांपुर प्रशासन ने 9 मार्च 2018 को वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी को पत्र लिखकर केस वापस लेने को कहा था। पत्र में लिखा था कि प्रशासन ने सीआरपीसी की धारा 321 के तहत केस वापस लेने का फैसला लिया है। लेकिन अदालत ने इसे नहीं माना और ये मामला अब भी विचाराधीन है। पीड़िता के 164 के बयान के बाद भी पुलिस ने किया रेप की धारा में खेल एस.आई.टी ने स्वामी चिन्मयानन्द पर बलात्कार की धारा 376 के बजाये 376 सी लगाई है जो कि 376 से कमजोर है। धारा 376 में आजीवन सजा का प्रावधान है। आईपीसी की धारा- 376 सी के तहत कोई अधिकारी, लोकसेवक, जेल, रिमांड होम, अभिरक्षा के किसी अन्य स्थान, स्त्रियों या बालकों की संस्था का अधीक्षक या प्रबंधक या अस्पताल का कर्मचारी होते हुये, ऐसी किसी स्त्री को, जो उसकी अभिरक्षा में है या परिसर में उपस्थित है, शारीरिक संबंध बनाने के लिये उत्प्रेरित करने लिये ऐसी स्थिति का दुरूपयोग करेगा, तो उस व्यक्ति को पांच साल या दस के कारावास के सजा से दंडित किया जायेगा और जुर्माना भी लगाया जायेगा।
आसाराम बापू को छुड़वाने के लिये अदालत में दिलवाया था शपथ पत्र
जब आसाराम बापू पर जोधपुर की अदालत में बलात्कार के मुकदमें की सुनवाई चल रही थी। तो शहाजहांपुर के स्वामी शुकदेवानंद इंटर कालेज की प्रधानध्यापिका ने अदालत में एक शपथ पत्र दाखिल किया था। जिसमें कहा गया था कि पीड़ित उनके कालेज की छात्रा रह चुकी है और उसका जन्म 1997 में हुआ है। जबकी पीड़िता के पिता जो कि शहाजहांपुर के ही रहने वाले हैं, ने अदालत में बयान दिया कि उनकी बेटी कभी इस इंटर कालेज में पढ़ी ही नहीं। इसके बाद अदालत ने शपथ पत्र को खारिज कर प्रधानाचार्या को उसके कृत्य के लिये कड़ी फटकार लगाई थी। स्वामी शुकदेवानंद इंटर कालेज भी स्वामी चिन्मयानन्द का ही है और उन्होंने ही प्रधानाचार्या के जरिये फर्जी शपथ पत्र दाखिल कराया था।