बंदर गया, चोटी कटवा गया, लो अब मौसम आया 'बच्चा चोर' 

बंदर गया, चोटी कटवा गया, लो अब मौसम आया 'बच्चा चोर' 


 देश में 25 निरपराध लोगों को बच्चा चोर कह कर मार डाला


देश में 25 गाजियाबाद। अपना देश भी अनोखा है जैसे-जैसे साल में मौसम बदलते हैं उसी तरह साल में हर बार लोग नई-नई 'शैतनियां 'ईजाद कर लेते हैं। जो अपने समय में बहुत सुर्खियां बटोर कर फिर अचानक कहां गायब हो जाती हैं, पता ही नहीं चलता। आपके स्मरण में होगा वर्ष 2016-17 में चोटी कटवा का आतंक देखा गया देश के सभी राज्यों से महिलाओं की चोटी कटने की सूचना तेजी से आने लगी हजारों महिलाओं ने सोशल मीडिया पर आकर अपनी चोटी कटने की जानकारी तो रो-रो कर दी, लेकिन पूरे देश में ना तो कहीं किसी ने चोटी कटवा को देखा नही देश की पुलिस द्वारा कहीं भी किसी चोटी कटवा को रंगे हाथ पकड़ा गया। इसके बदले कुछ मानसिक विक्षिप्त लोग जरूर भीड़ के हाथ लग गये। जिन्हें पीट- पीट कर मार दिया गया। चोटी कटवा से एक 'बंदर' का भी आतंक कई साल तक चला। बंदर से घायल लोग तो सामने आये लेकिन बंदर कहीं नही देखा, पकड़ा गया। सबके हाथ में मोबाइल कैमरा होने के बाद भी देश का एक भी नागरिक, उस बंदर का फोटो अपने मोबाइल में कैद नही कर पाया। कालातंर में यह बंदर भी इस तरह अचानक गायब हो गया। जैसे कभी आया ही ना हो। कुछ इसी तरह इस वर्ष एक नये अवतार का अविष्कार हुआ है। उसे 'बच्चा चोर' नाम दिया गया। ताज्जुब की बात यह है कि देश या गाजियाबाद के किसी थाने में बच्चा चोरी का तो कोई केस दर्ज नहीं हुआ लेकिन अपना बच्चा अपने साथ लेकर जाते उनके रिश्तेदार जरूर पीट दिये गये। गाजियाबाद में एक काले रंग की दादी,अपने गोरे पोते को बाजार लेकर जा रही थी। कुछ लोगो की छठी इन्द्ररी सक्रिय हुई जिसने उसे बच्चा चोर होने का शक जाहिर कर दिया। फिर क्या था सभी पिल पड़े उस असहाय बुढ़िया पर। बेचारी बुढ़िया अपने दर्द को समेट कर चीख-चीख कर यह बताती रही कि बच्चा उसका पोता है। लेकिन भीड़ को इससे क्या लेना देना। इसी तरह मुरादाबाद जनपद में भीड़ ने अपने पोते को बाजार ले जा रही एनडीआरएफ के इंस्पेक्टर की वृद्ध मां की भीड़ ने पिटाई कर डाली। इसी बीच पिछले सालों में 'सिल बट्टे 'बजने की अफवाह फैली, अनेक लोग घायल होकर सामने आये। जिन के घरों में मसाला व चटनी पीसने को सिलबट्टे रखे थे, उन्होंने जमीन में दबा दिये ताकि कोई उन पर सिल बट्टे से हमला ना बात यह कि इस वर्ष 2019 में बच्चा चोरी की कोई घटना प्रकाश में नहीं आ गई है। फिर भी देश में मार डाला बच्चा चोरी के आरोप में मात्र एक सप्ताह में 25 लोगो को पीट -पीट कर मारा जा चुका है। यदि हम पूरे देश में बच्चा गायब होने के आकंड़ों पर निगाह डाले तो 2015 में 41893 बार 2016 में 54723 घटनाएं थानों में दर्ज है। 2017 में 56220 तथा 2018 में 51205, पिछले वर्षों के मुकाबले गायब बच्चो की संख्या 8 महीनों में 10,000 तक भी नहीं पहुंच पाई। कुल इतनी घटना हुई थी। जबकि 2019 में अब तक बच्चा चोरी की कोई घटनाएं दर्ज नहीं हुई है। बच्चा चोरी की घटनाओं में इस वर्ष जब कोई इजाफा नही हुआ तथा बच्चा चोरी होने की कोई सिले सिले वार घटनाएं नहीं हुई तो फिर बच्चा चोरी का इतना हल्ला क्यों। निरापराध लोगों की देश में हत्याएं देखा नहीं कव्वे के पीछे लट्ठ लेकर दौड़ पड़े कि वो मेरा कान काट कर भाग रहा है।