बंदरों का अनोखा भोजनालय जहां पंगत में बैठकर करते हैं भोजन
तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में एक अनोखा भोजनालय चल रहा है। यहां रोजाना दो हजार बंदरों को भोजन कराया जाता है। यही नहीं कोई विशेष पर्व या त्योहार होने पर लजीजपकवान के साथ प्रसाद और फल भी खिलाए जाते हैं। यह भोजनालय दो साल से निरंतर लेटे हुए हनुमान मंदिर में जारी है। खास बात तो ये है कि दावत में हिस्सा लेने आए इन बंदरों कोचाकायदा खाने का न्योता भी भेजा जाता है। इस दौरान दावत के बहाने लोग बंदरों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। ओंकारेश्वर आने वाले कई दानदाता बंदरों के नाम पर दानभी करते हैं। लोगों का मानना है कि बंदरों को भोजन करानेसे जीवन में समृद्धि आती है। ये मिलकर चला रहे
ये मिलकर चला रहे भोजनालय
तीर्थनगरी में इस अनोखे भोजनालय को इंदौरके विजय खंडेलवाल, अनिलखंडेलवाल, हरीशगहलोत व दिनेश रुड़के मिलकर संचालित कर रहे हैं। संस्थाके हरीश गहलोत बताते हैं वेवर्ष 2014 में ओंकारेश्वर परिक्रमा करने गए थे। ओंकार पर्वत पर जमान पर लटहुए हनुमान जी का मंदिर हैं। यहां चारों तरफ वानर लाइन से बैठे रहते हैं, लेकिन किसी को परेशान नहीं करते हैं। जबकि अन्य तीर्थ स्थानों पर ये श्रद्धालुओं से छीना-झपटी करते हैं। इनकी सादगी देखने के बाद यहां भोजन की व्यवस्था शुरू की। इसके कुछ दिन बाद इस स्थान को भोजनालय का नाम दे दिया और कुछ मित्रों की मदद से इसे नियमित किया गया, जो आज भी जारी है।
उन्होंने ज्योतिष के अनुसार बात बताई। पौडेतों का कहना था वानरों को भोजन करवाने सेमंगल व शनि ग्रह दोष दूर होताहै व हड़ियां मजबूत होती हैं। यहां एक 20 बाय 20 का हाल बनाने के लिए प्रस्तावित है। इसके लिए छह लाख रुपए से अधिक का खर्च है। हालांकि प्रयास किए जा रहे हैं कि इन बंदरों को हाल बनने के बाद अंदर बैठाकर भोजन कराया जाए। बंदरों को भोजन कराने का उद्देश्य आस्था है। इससे वन्य प्राणियों का संरक्षण भी हो रहा है।
रोजाना इस तरह कराते हैं भोजन - 100 किलोआटे की रोज होती है व्यवस्था
-100 से ज्यादा महीने श्रद्धालु करते हैं बंदरों को दान
- 02 हजार बंदर करते हैं प्रतिदिन भोजन
-10 से अधिक श्रद्धालु रोजाना कराते हैं भोजन
-मौसम के हिसाब से खिलाते हैं फलसब्जियां
आस्था के साथ वन्य प्राणियों का संरक्षण