दूध नहीं, जहर पीता है इंडिया

दूध नहीं, जहर पीता है इंडिया


उत्पादन 14 करोड़ लीटर प्रतिदिन जबकि खपत है 64 करोड लीटर


गाजियाबादकितने आश्चर्य की बात है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसाद हमारे देश में दुधारू पशु के द्वारा प्रतिदिन लगभग 14 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन होता है जबकि खपत रोज 64 करोड़ लीटर प्रतिदिन है। यह कहना है देश के एनीमल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य मोहन सिंह अहलूवालिया का। देश की औसत जनसंख्या 130 करोड़ है यदि 14 करोड़ लीटर दूध को देश की जनसंख्या में विभाजित किया जाये तो एक  व्यक्ति के हिस्से में तो 9.28 ग्राम दूध आता है। जबकि आम आदमी को दो वक्त की केवल चाय के लिये कम से कम 100 ग्राम दूध तो चाहिये ही। इसके बाद दूध पीने वाले करोड़ों की जरूरत तो हमने शामिल की ही नहीं हैं। साथ ही बाबा रामदेव व इसी तरह की दूसरी सैंकड़ों कम्पनियां भी रोज हजारों ट्रक असली घी बाजार में पहुंचा रही है। जो दूध से ही बनता है। वह कहां से आ रहा है नहीं मालूम इसके बाद रोज हजारों टन मिठाईयां व आइस्क्रीम भी बाजार में खरीदी व बेची जा रही हैं। लेकिन किसी का ध्यान इस ओर नहीं है कि जब जो चीज इतनी मात्रा में उत्पादित ही नहीं हो पा रही है तो फिर दूध एवम् उस दूध से निर्मित पदार्थों की बिक्री देश में दस गुनी मात्रा में कैसे और कहां से हो रही है। क्या दूध अब दुधारू जानवरों की बजाय जमीन से भी पैदा होने लगा है। स्पष्ट है कि हम जो रोज दूध व दूध से निर्मित पदार्थ खा रहे हैं वह 68.7 प्रतिशत नकली है। यह सब श्री अहलूवालिया जी द्वारा जारी बयान का हिस्सा है। श्री अहलूवालिया ने साईंस एडं टैक्नोलोजी मिनिस्ट्री के बयान का हवाला देते हुये कहा है कि 31 मार्च 2018 के आंकड़ों के अनुसार, देश में दूध का कुल उत्पादन 14.68 करोड़ लीटर रोजाना रिकार्ड किया गया है। जबकि देश में दूध की प्रति व्यक्ति खपत 480 ग्राम प्रतिदिन बैठती है। सीधे तौर पर 68 फीसदी दूध की कमी का यह अन्तर कैसा पूरा किया जा रहा है। इसको जांचने व परखने के लिये ना सरकार के पास समय है ना ही जनता के पास। इसके अलावा हम दूध से बनी जो दूसरी चीजे, रोज स्वाद-स्वाद में दुकानों से खरीदकर या शादी समारोह में खा रहे है वह सब अलग हैं। स्पष्ट है कि हम सब रोज नकली दूध पीकर व नकली दूध से बने खाद्य पदार्थ खाकर कैंसर नामक बीमारी के निकट पहुंच रहे हैं। हमने कभी सुना था हमारे देश में दूध की नदियां बहा करती थी। उस समय कैंसर नामक बीमारी को कोई व्यक्ति जानता तक नहीं था। आज इस जानलेवा बीमारी के मरीज रोज हजारों की संख्या में बढ़ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार देश में कैंसर के रोगियों की संख्या आठ से दस करोड़ तक हो सकती है। जो हमारे द्वारा स्वयं नकली दूध, विषैली सब्जी व रसायनिक खाद से उपजे अनाज के सेवन से उत्पन्न हुई है। सरकार के साथ-साथ हमें भी अब सचेत होना चाहिये तथा अपने व अपने परिवार के स्वास्थ व सेहत का ध्यान रखें।


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