एन.जी.टी. की तन्दूरों पर रोक से हजारों लोग हो जायेंगे बेरोजगार
गाजियाबाद। एनजीटी की सख्ती के बाद नगर निगम गाजियाचाद ने शहर के तमाम तंदूर और भट्टी को बंद करने के आदेश दिए हैं। इतना ही नहीं इस आदेश का पालन ना करने वालों से नगर निगम पांच हजार से लेकर 50 हजार का जुमाना भी वसूलना शुरू कर दिया है। तन्दूर व भट्टियों पर रोक लगने से उन गरीचों की रोजी रोटी पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। जो हजारों लोग रेहड़ी ठेलियों पर नान, मिस्सी का काम करते हैं, शहर में बड़ी संख्या में जगह-जगह सस्ते दामों में लोग तन्दूर में बनी गर्मा गरम नान मिस्सी रोटी खाकर अपना पेट भरते हैं। अब उन्हें इससे महरूम होना पड़ेगा। तंदूर का नाम जुबान पर आते ही खाने को ललक जग जाती है। लेकिन अब तंदूरी खाना खाने वाले शौकिनों का जायका बिगड़ने वाला है। क्योंकि गाजियाबाद में लगातार बड़ रहे प्रदूषण के महेनजर एनजीटी को नजर तंदूरों पर पड़ गई है इसलिये एन.जी.टी. ने कड़ा रूख अख्तियार किया है। एन.जी.टी. ने नगर निगम को आदेश दिया है कि गजियाबाद के तमाम होटल, डाबों आदि पर लकड़ी और कोयले से चलने वाले तमाम तंदूर भट्टी आदि को बंद किया जाए। साथ ही आदेश का पालन ना करने पर जमाना भी वसूल किया जाये। हालांकि नगर निगम द्वारा अभियान चलाकर ऐसे तंदुर भट्टी आदि को बंद किया ज रहा है और नष्ट किया जा रहा है। साथ ही कई होटल हाबों आदि से जुमाना भी वसूला गया है। होटल व ढाबा मालिकों को एक सप्ताह का समय भी दिया गया है कि वो लोग अपने तंदूर भट्टी को गैस से चलाए। वहीं एन.जी.टी के इस आदेश के बाद लोगों की अलग-अलग राय हैं। ज्यादातर लोग एन.जी.टी. के इस आदेश से सहमत नहीं हैं। क्योंकि जहां सड़कों पर चलने वाले तन्दूरों से हजारों लोग नहीं बेरोजगार हो जायेंगे। वहीं इन टेलियों पर गरीब व मध्यम वर्ग के वो लोग जो दोपहर को 15-20 रूपये में अपना लंच कर लेते हैं। उन पर भी आर्थिक बोझ पड़ेगा। कुछ लोगों का कहना है कि हिन्छन नदी में नाले व सीवर गिर रहे हैं तथा पूरी तरह नदी प्रदूषित हो रही है। एन.जी.टी. की निगाह गन्दा नाला बन गई इस हिन्डन नदी की तरफ क्यों नहीं जाती। लोगों का । कहना है कि यदि एन.जी.टी. को मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुये इस पर भी विचार करना चाहिये कि शहर में हरियाली का सपना कहीं हजारों लोगों के घरों में । अन्धेरा ना फैला दे।