जुर्माना बढ़ने से प्रदूषण,बीमावडीएल बनवाने के लिये वाहनचालकों की उमड़रही भारी भीड़ 

जुर्माना बढ़ने से प्रदूषण,बीमावडीएल बनवाने के लिये वाहनचालकों की उमड़रही भारी भीड़ 


 गाजियाबाद। बिना डर के कानून का पालन नहीं होता ये साबित कर दिया है नये मोटर व्हीकल एक्ट ने। एक सितम्बर से इस एक्ट के लागू हो जाने के बाद यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना बढ़ाकर दस गुना से बीस गुना कर दिया गया है। बढ़े जुर्माने का वाहन चालकों में डर साफ दिखाई दे रहा है। अब गाजियाबाद की सड़कों पर 90 प्रतिशत दुपहिया चालक हेलमेट पहन कर चल रहे हैं। कार चालक व उसके बगल में बैठने वाला व्यक्ति भी सीट बेल्ट लगाकर चल रहा है। ये हाल तो जब है कि उ.प्र. सरकार ने बढ़े हुये रेट से जुर्माना वसूलने के आदेश अभी जारी नहीं किये हैं। नये कानून का डर इतना है कि अब नाबालिग भी सड़कों पर वाहन नहीं चलता रहे हैं। नहीं तो पहले हालात ऐसे थे कि 14,15 साल के नाबालिग लड़के-लडकियां भी सड़कों पर धड़ल्ले से स्कूटी दौड़ाते थे। अब तो महिलाएं भी अपने बालों की चिंता किये बिना हेलमेट पहन कर चलती हैंप्रदूषण प्रमाण पत्र बनवाने के लिये प्रदूषण जांच केन्द्रों पर 70 से 80 वाहन रोज आ रहे हैं। गाजियाबाद में कुल 115 प्रदूषण जांच केन्द्र हैं। यानि 9 हजार वाहनों के रोज प्रदूषण प्रमाण पत्र बन रहे हैं। ये सिलसिला एक हफ्ते से जारी है। इसका मतलब साफ है कि अब तक ये वाहन बिना प्रमाण पत्र के चल रहे थे। जुर्माने से बचने के लिये अब प्रदूषण केन्द्रों, बीमा कम्पनियों के दफ्तर हो या आरटीओ कार्यालय सभी जगहों पर वाहन चालकों का मेला सा लगा हुआ है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पांच सितंबर के बाद से किसी भी दिन प्रदूषण की जांच कराने वाले वाहनों की संख्या 80 हजार से कम नहीं हुई है। प्रदूषण जांच के लिये भी लोग सुबह तीन बजे से ही लाइन में लग रहे हैं। हालत यह रही कि कई प्रदूषण जांच केंद्रों पर तो वाहन चालक अपने दोपहिया वाहनों को खड़े करके केंद्र पर तैनात कर्मचारी को चाबी भी दे जाते हैं कि बाद में आकर वाहन ले जायेंगे। सुबह प्रदूषण जांच केंद्र खुलने से पहले ही वाहनों की लाईन लगी मिलती है। जिन प्रदूषण केन्द्रों को कोई पूछता नहीं था आज वहीं रात में दस बजे तक भी वाहन चालक प्रमाण पत्र लेने के लिए लाईन में इंतजार कर रहे हैं। वाहनों का बीमा कराने वालों की संख्या में भी इजाफा अब लोग पुरानी गाड़ियों का भी बीमा कराने लगे हैं। यातायात विभाग के नये नियम लागू होने के बाद अचानक पुरानी गाड़ियों का बीमा कराने वालों की संख्या में करीब 20 फीसदी का उछाल आ गया है। दो पहिया हो या चार पहिया वाहन, सभी के पुरानी गाड़ियों के इन्श्योरेंस कराए जा रहे हैं। नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के वरिष्ठ एजेंट विवेक चटर्जी के अनुसार पहले लोग दो पहिया का एक बार बीमा कराते थे। बहुत मुश्किल से दुसरी व तीसरी बार लोग इसका नवीनीकरण कराने आते थे। गाड़ी तीन चार साल पुरानी हुई तो दो चार फीसदी को छोड़ कर बीमा कराने कोई नहीं आता था। लेकिन अब तक काई नहा आता थालाकन अब तक हालात यह हैं कि हमें बीमा करते-करते कब दिन हुआ कब रात पता ही नहीं पड़ पा रहा है। 115 समितिको करने का लाइसेंस जारी परिवहन विभाग की ओर से गाजियाबाद में करीब 115 समितियों को प्रदूषण जांच केन्द्रों के लिए लाइसेंस मिले हैं। 20 अगस्त तक सभी केंद्र संचालकों को ऑनलाइन व्यवस्था करनी थी, लेकिन 115 में से सिर्फ 60 ने ही व्यवस्था की है। इसके विपरीत वाहन चालकों से प्रदूषण प्रमाणपत्र के लिए जांच केन्द्र वाले तीन गुना पैसे तक वसल कर रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार फर्जी रसीद देना गुनाह है। अगर कोई ऐसा कर रहा है तो उसे पकड़ा जाएगा। उस पकड़ा नये कानन से पहले बिना प्रदूषण प्रमाण पत्र व बीमा के दौड़ रहे थे वाहन जिस तरह से एक सितम्बर के बाद से वाहन चालक अपने वाहनों का प्रदूषण प्रमाण पत्र व बीमा करा रहे हैं। उससे साफ जाहिर है कि अब तक ये लोग बिना प्रमाण पत्रों के ही अपने वाहनों को सड़कों पर दौड़ा रहे थे। यदि पकड़े भी गये तो मात्र सौ-दो सौ रूपये देकर पीछा छुड़ा लेते थे। लेकिन अब जुर्माना हजारों रूपये हो जाने के बाद इनके पास वाहनों का बीमा व प्रदूषण पत्र बनवाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है। 


श्री व्हीलर चालकों के लिये ना सीट बेल्ट न हेलमेट


 दोपहिया व चार पहिया वाहनों पर ही हैं सभी नियम लागू


दोपहिया व चार गाजियाबाद ।मोटरव्हीकलएक्ट के तहत दुपहिया वाहन चालकों के लिए हेलमेट व चार पहिया वाहन चालकों के लिए सीट बेल्ट अनिवार्य हैं। इतना ही नही कार चालक के साथ ही उसके बगल की सीट पर बैठने वाले के लिए भी सीट बेल्ट अनिवार्य है। लेकिन थ्रीव्हीलरचालको के लिए न तो हेलमेट और न सीट बेल्ट जरूरी है। जबकि थ्रीव्हीलर चालक अपने साथ तीन सवारियों को बैठाकर उनका जीवन भी जोखिम में डाल कर चलते है। सड़कों पर सबसे ज्यादा यातायात नियमों का उल्लघन तिपहिया चालक करते हैं । उनकाजहांमन करता है। वही थ्रीव्हीलर रोक कर खड़े होजाते हैं । जब सुरक्षा के लिहाज से स्कूटर, बाइक चालको के लिए हेलमेट पहनना जरूरी है। और कार चालको को सीट बेल्ट बांधनी जरूरी है। तो फिर थ्रीव्हीलर चालक पर भी तो ऐसा कोई नियम क्यों लागू नही किया गया। जो अपने साथ 6 यात्रियों को भी खतरे में डालता हैं। अभी पुलिसनेजब आपरेशन चक्रव्यूह चलाया था। तब करीब पांच सौ थ्रीव्हीलरों को सीज किया गया था। क्योंकि इनके पासनतोगाडीसे संबंधित कोई कागज थे और न ड्राइविंग लाइसेस। सरकार को थ्रीव्हीलर चालको के लिए भी सुरक्षा सीट बेल्ट का प्रावधान करना चाहिए। ताकि वे लिए अपनी एक सीट पर तीन अतिरिक्त यात्रियों की चालको जान जोखिम में न डाल पाये। 


जुगाड़ वाहन व ट्रैक्टर ट्रॉली चालकों को नहीं जरूरी है ड्राइविंग लाइसेंस


गाजियाबाद। सड़कों प बेलगाम दौड़ रहे जुगाड़ वाहनव ईटरोड़ो से भरी ट्रैक्टर ट्रालियां जानलेवा साबितहारहाहा जुगाड़ वाहनापरता काई नबर भी नहीं होते है। ये किसी को टक्कर भी मार दे तो भी नंबर न होने से पुलिस भी इन पर कार्रवाई से बचती दिखाती है। ____ मोटर साइकिल व स्कूटरों के इंजन तैयार तीन पहियां जुगाड़ वाहनमहानगर की सड़कों पर भारी सामान लेकर बेलगामदौड़ते रहते हैं । इनके चालको के पास ड्राईविंग लाइसेंस नही होता है। क्योंकि जुगाड़ वाहनों पर नंबर नहीं होने की वजह से इन्हें चलाने वालों को किसी तरह का चालान होने का भी खतरा नही होता हैं ।जुगाड़ वाहनों को दखकर यातायात पुलिस हा या फिर सिविल देखकर यातायात पुलिस हो या फिर सिविल पुलिस मूक दर्शक बने रहते हैं। जबकि बाइक पर दौड़ा रहे थे। यदि पकड़े भी गये तो मात्र सौ-दो सौ रूपये देकर पीछा छुड़ा को नहीं जरूरी या स्कूटी वालों को देखते ही ऐसे लपकते हैं, जैसे शिकार पर श शिकार पर शेर झपटता है। ये ही हाल ईट व समिट ढानवाला ट्रक्टर ट्रालियों को बिना ड्राइविंग लेते थे। लेकिन अब जुर्माना हजारों रूपये हो जाने के बाद इनके पास वाहनों का लाइसेंस के ईट पाथने वाले ट्रैक्टर ट्राली को बेलगाम दौड़ते रहते हैं। इन्हें किसी नियम कानून की कोई परवाह नहीं है। बीमा व प्रदूषण पत्र बनवाने के अलावा कोई चारा नहीं बचा है।