कानून एक जुर्म भी एक लेकिन पुलिस के तरीके अनेक

कानून एक जुर्म भी एक लेकिन पुलिस के तरीके अनेक


- बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद दाती महाराज व वीरेन्द्र दीक्षित आज भी खुले में घूम रहे हैं। - आसाराम बापू. गुरमीत राम रहीम व चिन्मयानन्द स्वामी यौन शोषण के मामले में हैं जेल में बंद


नई दिल्ली। देश में कानून एक है, लेकिन एक ही जुर्म में कार्रवाई एक जैसी क्यों नहीं हो रही। ये समझ से बाहर की बात है। बहुचर्चित बलात्कार कांड़ों का कोई मुल्जिम तो सालों से जेल में बंद है लेकिन कोई सालों से पुलिस के हाथ नहीं आ रहा है। बलात्कार के मामलों में जहां आसाराम बापू व गुरमीत राम रहीम जेल में बंद है वहीं चिन्मयानन्द स्वामी अस्पताल में लेटे हैं। वहीं दात्ती महाराज व वीरेन्द्र दीक्षित पर भी बलात्कार के आरोप हैं। इनके खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट भी दर्ज है लेकिन इनको आन तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। वनह किसी को भी पता नहीं है। एक सित्तम्बर 2013 को आसाराम बापू के खिलाफ उसकी एक शिष्या ने यौन शोषण की रिपोर्ट जोधपुर में दर्ज कराई थी। पुलिस ने आसाराम बापू को गिरफ्तार कर चार्जशीट अदालत में  दाखिल की। तब से आसाराम बापू जोधपुर की जेल में बंद है। कपिल सिच्चल व राम जेठमलानी जैसे नामी वकील भी आसाराम बापू की जमानत नहीं करा सके। ऐसा ही कानून ने डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के साथ किया और भी यौन शोषण व हत्या के मामले में रोहतक की सुनेरिया जेल में बंद है। लेकिन दाती महाराज व वीरेन्द्र दीक्षित के साथ पुलिस का रवैया लचीला प्रतीत हो रहा है। बलात्कार व यौन शोषण जैसी संगीन रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद दोनों आज भी पुलिस की पकड़ से दूर खुले में घूम रहे हैं। बलात्कार के केस में फंसे शनिधाम के संस्थापक मदन लाल उर्फ दाती महाराज एवं उसके भाई पर कार्रवाई को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्ती दिखाई थी। गिरफ्तारी न हो पाने की वजह से  सख्ती दिखाते हुए कोर्ट ने केस सीचीआई को सौंप दिया। इससे पहले इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच कर रही थी। इस केस में साकेत कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी। दाती मदन महाराज के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और 377 के तहत केस दर्ज किया गया था। हाई कोर्ट पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट से भी संतुष्ट नहीं दिखाई दी और केस सीबीआई को ट्रांसफर करते हुए सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल करने के आदेश दिए गए। 7 जून को पीड़िता ने महाराज के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। मामला साल 2016 के जनवरी और मार्च महीनों का है। पीड़िता ने दाती महाराज के अलावा 5 अन्य लोगों पर दात्ती का साथ देने की शिकायत दर्ज करवाई थी। लेकिन कार्रवाई अधर में ही लटकी हुई है। दिल्ली के रोहिणी स्थित बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम से दो बार 41,41 लड़कियों को छुड़वाया गया, इनके आश्रमों का इतिहास 19 साल पुराना है। आश्रम के संचालक वीरेंद्र देव दीक्षित का कंपिल में गंगा रोड स्थित आध्यात्मिक ईश्वरीय विद्यालय 1998 में पहली बार चर्चा में आया था। नई दिल्ली के विजय विहार स्थित आध्यात्मिक विश्वविद्यालय सनसनीखेज स्वामी यौन शोषण के मामले मामले की जड़ें फरुखाबाद से जुड़ी हैं। फरुखाबाद में सिकतरबाग मोहल्ले में स्थित वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रम में कोलकाता से लाई गई युवती को बंधक बनाने और उसके साथ यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा था। वीरेंद्र देव दीक्षित के खिलाफ यौन उत्पीड़न, पुलिस से मुठभेड़ समेत अन्य संगीन धाराओं में कई मुकदमे दर्ज हैं। फिर भी कानून के हाथ इसके गिरेबां तक नहीं पहुंच रहे हैं। सवाल यह भी उठता है जब जुर्म एक है पीड़ित सामने है उसने आरोपी के विरुद्ध नामजद रिपोर्ट कराई है, तो फिर पुलिस का रवैया इतना लचीला क्यों। क्या दाती महाराज व वीरेन्द्र दीक्षित को हूंढने में पुलिस फेल हो गई है। यदि अपराधी फरार हो जाता है तो पुलिस अब तक तो सर्विसलांस पर डाल कर उसे बिल में से भी खोद कर निकाल लेती है। इस तरह के पुलिस चमत्कारों से कौन वाकिफ नहीं है। लेकिन यहां तो पुलिस जैसे दोनों अपराधियों की प्रतीक्षा कर रही है कि उनके थाने में आकर गुजारिश करेंगे कि हनूर हमें गिरफ्तार कर लें। पुलिस द्वारा अदालत से कुकी के भी आदेश नहीं लिये गये।