मेरी राय

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भय बिन होय ना प्रीत


एक सितम्बर से नया मोटर व्हीकल एक्ट केन्द्र सरकार ने लागू कर दिया लेकिन अभी तक कई राज्यों ने इससे दूरी बना रखी है। इन राज्यों में पुराने डरे से ही चालान जरूर काटे जा रहे हैं। लेकिन यातायात विभाग द्वारा चालान काटने की संख्या में जरूर बढ़ोत्तरी हुई है। यहां पर बेशक चालान की धनराशि वही पुरानी वाली है। लेकिन लोगों में नये मोटर व्हीकल एक्ट के प्रति भय नरूर बन गया है। निन चार राज्यों में अपने यहां इस कानून को लागू नहीं किया गया है उनमें राजस्थान, मध्यप्रदेश, पंजाब व पश्चिम बंगाल है, जहां भानपा की सरकार नहीं है। इन चारों राज्यों ने तो अपने यहां इस कानून को लागू करने से ही मना कर दिया, वहीं पांचवे राज्य उ.प्र., जहां की योगी सरकार है। वहां भी मोटर व्हीकल एक्ट लागू नहीं हुआ है। उ.प्र. के सूत्रों का कहना है कि प्रदेश स्तर पर सिस्टम अपलोड़ नहीं हुआ है। जिस कारण कानून को लागू करने में थोड़ा विलम्ब हो रहा है। सारा सिस्टम अपलोड़ होने के बाद ही उ.प्र. में लागू किया जायेगा। इस नये मोटर व्हीकल एक्ट को इलैक्ट्रानिक मीडिया व प्रिन्ट मीडिया से ज्यादा कवरेज, सोशल मीडिया से मिल रही है। जहां चुटकुले, लेख व व्यंगों के माध्यम से पूरे देश में नियम तोड़कर वाहन चलाने वाले चालकों को आतंकित कर रखा है। नये कानून के अनुसार जुर्माने की राशि को, पांच गुना से 20 गुना तक बढ़ाया गया है। सवाल यह है कि धनराशि में इतनी बड़ी बढ़ोत्तरी के पीछे सरकार की क्या मंशा रही है। शायद जुर्माने की राशि से सरकारी खजाने को भरना तो, सरकार का दरादा नहीं रहा होगा। क्योंकि सरकार के पास तो ऐसे सैंकड़ों हाथ हैं जिनके द्वारा वो हजारों करोड़ रूपये एकत्र कर सकती है। केन्द्र सरकार का इरादा भारी जुर्माने का डर दिखाकर लोगों को यातायात नियमों का पालन कराना रहा होगा। अन्य देशों के मुकाबले हमारे देश में यातायात व्यवस्था बहुत ही बदहाल है। दूसरे देशों में लोग गाड़ी चलाते समय कानून तोड़ने से बहुत डरते हैं। क्योंकि अमेरिका, दुबई, कनाड़ा, रूस, लंदन, जापान, सिंगापुर व इटली में तो वाहन चालकों के लाइसेंस ही बहुत सारे टेस्ट देकर बनते हैं, इतनी जांचों से गुजरने के बाद यदि कोई वाहन चालक सड़क पर, गलत गाड़ी ड्राईव करता है तो सबसे पहले वहां की सरकार उसका लाइसेंस निरस्त कर देती है। विदेश में ड्राईविंग लाइसेंस का बहुत ज्यादा महत्व है। अगर आपके पास केवल ड्राईविंग लाइसेंस है तो आप अमेरिका में कहीं से भी कोई भी हथियार इस तरह सरीद सकते हैं जैसे सन्नी खरीद रहे हो। उसके लिये अलग से भारत की तरह, शस्त्र लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती। आज हमारे देश में दलालों के माध्यम से, उन व्यक्तियों के भी ड्राईविंग लाइसेंस बन जाते हैं जो वाहन चलाना भी नहीं जानते हैं। इसी लिये हमारे देश में ड्राईविंग लाइसेंस बनाने में बहुत ज्यादा सख्ती नहीं है, वहीं ट्रैफिक नियम तोड़ने पर अब तक जुर्माना भी इतना सामान्य सा था कि कोई भी वाहन चालक जुर्माने की राशि यातायात की के मुंह पर फेंक कर निकल जाता था। जैसे हेलमेट न पहनने पर मात्र एक सौ रूपये जुर्माना था इसलिये किसी को कोई डर नहीं था। उनको मालूम था कि पकड़े जाने पर सिपाही को सौ रूपये देकर पीछा छुड़ा लेंगे। लेकिन सरकार द्वारा अब नियम तोड़ने पर जो जुर्माना राशि में बढ़ोत्तरी की गई है उससे बचने के लिये अब लोगों में ट्रैफिक नियमों के प्रति सनगता देखी जा रही है, जो व्यक्ति पहले हेलमेट लगाना अपनी शान के खिलाफ समझाता था अब भारी जुमाने के डर आज हमारे देश में दलालों के माध्यम से, उन व्यक्तियों के भी ड्राईविंग लाइसेंस बन जाते हैं जो वाहन चलाना भी नहीं जानते हैं। इसी लिये हमारे देश में ड्राईविंग लाइसेंस बनाने में बहुत ज्यादा सख्ती नहीं है, वहीं ट्रैफिक नियम तोड़ने पर अब तक जुर्माना भी इतना सामान्य सा था कि कोई भी वाहन चालक जुर्माने की राशि यातायात की के मुंह पर फेंक कर निकल जाता था। जैसे हेलमेट न पहनने पर मात्र एक सौ रूपये जुर्माना था इसलिये किसी को कोई डर नहीं था। उनको मालूम था कि पकड़े जाने पर सिपाही को सौ रूपये देकर पीछा छुड़ा लेंगे। लेकिन सरकार द्वारा अब नियम तोड़ने पर जो जुर्माना राशि में बढ़ोत्तरी की गई है उससे बचने के लिये अब लोगों में ट्रैफिक नियमों के प्रति सनगता देखी जा रही है, जो व्यक्ति पहले हेलमेट लगाना अपनी शान के खिलाफ समझाता था अब भारी जुमाने के डर से सिर पर हेलमेट पहन कर ही लोग घर से निकलते हैं। आज हमारे देश में दलालों के माध्यम से, उन व्यक्तियों के भी ड्राईविंग लाइसेंस बन जाते हैं जो वाहन चलाना भी नहीं जानते हैं। इसी लिये हमारे देश में ड्राईविंग लाइसेंस बनाने में बहुत ज्यादा सख्ती नहीं है, वहीं ट्रैफिक नियम तोड़ने पर अब तक जुर्माना भी इतना सामान्य सा था कि कोई भी वाहन चालक जुर्माने की राशि यातायात की के मुंह पर फेंक कर निकल जाता था। जैसे हेलमेट न पहनने पर मात्र एक सौ रूपये जुर्माना था इसलिये किसी को कोई डर नहीं था। उनको मालूम था कि पकड़े जाने पर सिपाही को सौ रूपये देकर पीछा छुड़ा लेंगे। लेकिन सरकार द्वारा अब नियम तोड़ने पर जो जुर्माना राशि में बढ़ोत्तरी की गई है उससे बचने के लिये अब लोगों में ट्रैफिक नियमों के प्रति सनगता देखी जा रही है, जो व्यक्ति पहले हेलमेट लगाना अपनी शान के खिलाफ समझाता था अब भारी जुमाने के डर से सिर पर हेलमेट पहन कर ही लोग घर से निकलते हैं। अभी तक यूपी के लोग दिल्ली पुलिस से जरूर खौफ साते थे लेकिन यू.पी. गेट आते ही कार चालक सबसे पहले सीट बेल्ट खोलते थे और दुपहिया वाहन चालक हेलमेट को उतार कर लटका लेते थे। नये कानून के बाद अब तो हालात यह हो गये हैं कि गाजियाबाद की गलियों में भी लोग हेलमेट लगाये दिखाई दे रहे हैं।


मेरी राय है कि "भयाबीन होयनाप्रीत " अवघा दूसरे शब्दों में "उडे के आगे तो भूत भी नाचता है"ये दोनों कहावते देश की सड़को पर नियम तोड़ने वालों पर चरितार्थ हो रही हैं। लेकिन उ.प्र. में पुलिसवालों के सिर से लग्जरी कारों काखौफ नहीं उतरा है । गाजियाबाद छोड़ प्रदेशकी राजधानी लखनऊ कोहीक्योनलेले. हरचौराहे पर पुलिसकलेबेचारेस्कूटर, बड़क, स्कूटी, तीन पहिया वाहन को तो पकड़ कर खड़े हो जाते हैं। लेकिन मैने किसी भी पुलिसवालेको लम्जारी गाड़ी को रोककर उसके कागज चैक करते हुये नहीं देखा। मेरे अनुसार सरकार द्वारा सड़कों पर यमराज बनकर रोज औरों की जान लेने वाले, लापरवाह वनासिरण्ये ड्राईवरों को नये व्हीकल एक्ट का डर दिखाकर उन्हें सबक सिखाने कायहतरीका उचित है।वही दूसरी और पुलिस तन्त्रको भीएकबार सखाहोकर, लालववभयके आवरण से बाहर निकलना होगा क्योंकि जिस नियम को तोड़ने पर अब पांच हजार रूपये जुर्माना होता है, पकड़े जाने पर गाड़ीचलाने वाला यहले तो अपने राजनैतिक आकाओं की धौसमुलिसको दिखायेगा यदि पुलिसकर्मी उनके दवाबमेनही आयेतो "सारा जातादेखकर अवालियो बाट"वाले सिद्धांतपर आधी धनराशियुलिसकर्मी कोन्यौछावर के रूप में देने का लालच देगा। पुलिस कर्मियों को स्वयं परव उनके शीर्ष अधिकारियों को अपने अधीनस्थों पर सखशी से यह नजर रखनी होगी कि कहीं नया कानून ट्रैफिक पुलिस में लिये" वारे न्यारे" करने का माध्यमतो नही बन रहा है।