मेरी राय

मेरी राय   


डिबेट में पाकिस्तानी पैनेलिस्ट को बुलाना क्या राष्ट्रद्रोह' नहीं?


आजादी के बाद शायद ही कोई ऐसा वर्ष बीता हो जिस वर्ष हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान से, सीमा पर हमारे जवानों से तकरार न हुई हो। 1947 से 2019 के बीच 72 वर्ष के काल खण्ड पर यदि नजर डाले तो इस बीच हमें पाकिस्तान से तीन युद्ध लड़ने पड़े जो 1965, 1971 व 1999 में लड़े गये। मुझे याद है कि 1965 व 1971 में जब टेलीविजन का आविष्कार भी नहीं हुआ था तब मनोरंजन का एक मात्र साधन केवल रेडियो व ट्रांजिस्टर ही हुआ करते थे जिनके द्वारा देशवासी गाने व नाटिका आदि सुना करते थे। वहीं देश विदेश के समाचार भी इसी रेडियो के माध्यम से ही देशवासियों तक पहुंचाये जाते थे। मुझे अच्छी तरह याद है कि 1965 व 1971 में जब पाकिस्तान के साथ भारत का दो बार युद्ध हुआ था। तो उस समय युद्ध के ताजा समाचार जानने हेतू रेडियो ही एक मात्र साधन होता था। जहां इकट्ठे होकर लोग ताजा जानकारी हासिल करते थे। कभी-कभी रेडियो की तरंगे पाकिस्तान रेडियो स्टेशन की तरंगे पकड़ लेता था। अथवा कुछ पाकिस्तान परस्त लोग जान बूझ कर भी पाकिस्तानी रेडियो के समाचार सुना करते थे। युद्ध के दिनों में, रेडियो पर पाकिस्तान के समाचार सुनना उन दिनों जुर्म था। जो भी व्यक्ति पाकिस्तानी रेडियो के समाचार सुनता मिलता था उसके विरूद्ध पुलिस कार्यवाही करती थी। पाकिस्तानी रेडियो के समाचार सुनने वाले को देश का दुश्मन माना जाता था। लेकिन आज वक्त कितना बदल गया है जो बाते पहले कानूनी जुर्म होती थी। अब वो रोज शाम को चलन में आ गई हैं। जैसे ही शाम को चार बजते हैं वैसे ही सभी टी.वी. न्यूज चैनलों पर डिबेटों का बाजार सज जाता है और एंकर दोनों पक्षों को एक दूसरे के विरूद्ध भड़का कर माहौल को और गर्म बना देते हैं। ये न्यूज चैनल ही रोज कोई न कोई गर्म मुद्दा चुन ही लेते हैं। फिर उस मुद्दे पर बहस करने के लिये दोनों पक्षों को बैठा लेते हैं। आज कल तो रोज भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध के आसार बन बिगड़ रहे हैं। ऐसे हालात में अपनी टीआरपी बढ़ाने के लिये गर्मा गरम डिबेट कराने हेतू पाकिस्तान के नुमाइंदो को भी बुलाया जाना आम हो गया है। वो पाकिस्तानी पैनेलिस्ट हमारे देश के न्यूज चैनलों पर आकर हमारे देश के विषय में उल्टा-सीधा कहते हैं, कभी-कभी तो ये पैनेलिस्ट पूरे देश को धमका कर चले जाते हैं तथा हमारे देश के एक अरब से ज्यादा दर्शक उस पाकिस्तानी पैनेलिस्ट की बदतमीजी को चुपचाप सहन करने पर मजबूर हो जाते हैं। क्या ये "राष्ट्र द्रोह" नहीं है कि आप मात्र अपनी जरा सी टीआरपी बढ़ाने के लालच में, दुश्मन देश के व्यक्ति को टी.वी. पर बुलाकर देश को गाली सुनवाते हो। क्या किसी ने कभी ऐसा देखा है कि पाकिस्तानी टी.वी. न्यूज चैनलों पर, भारत के किसी नेता को बुलाकर उन्होंने पाकिस्तान को गालियां सुनवाई हों। ये तो हम ही हैं जो मात्र चंद नोटों के लिये, अपने देश को गालियां सुनवाने में इनको तनिक भी शर्म नहीं आती। इनको देश की इज्जत से ज्यादा प्यारी अपनी बढ़ती हुई टीआरपी है, जिससे इनको मोटी कमाई होती है। इससे चैनल के दर्शक भी बढ़ते हैं साथ ही कम्पनियों के विज्ञापन भी ज्यादा मिलते हैं। इसलिये सभी न्यूज चैनल पाकिस्तानी पैनलिस्ट को बुलाकर अपनी कमाई बढ़ा रहे हैं। 


 राय यह है कि दुश्मन देशों के पैनलिस्ट को डिबेट में बुलाना कानूनी रूप से भारत की जनता का अपमान है इसे सरकार द्वारा तुरन्त वर्जित कर देना चाहिये और जो चैनल दुश्मन देश के व्यक्ति से हमारे देश की निन्दा करवाये उस चैनल पर कमसेकम “राष्ट्रद्रोह"कीधारातो अवश्य लगनी चाहिये तथा सम्बंधित चैनल की मान्यता भी तुरन्त समाप्त होनी चाहिये।जब आज से लगभग 50 साल पहले तो रेडियो पर दुश्मन देश के समाचार सुनने पर ही सजा हो जाती थी, अब तो न्यूज चैनल पर प्रत्यक्ष रूप से, दुश्मन देश के प्रतिनिधि को बैठा कर अपने देश को गालियां दिलाते हैं। इससे बड़ा" राष्ट्र द्रोह" और क्या हो सकता है।


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