मोबाइल देव, यदि तुम ना होते..

मोबाइल देव, यदि तुम ना होते..


मोबाइल आज मोबाइल आदमी की चौथी अहम आवश्यकता बन गया है। पहले तीन अहम आवश्यकताएं रोटी, कपड़ा और मकान थी। यदि दूसरे शब्दों में कहा जाएं तो आन मानव के जीवन में रोटी, कपड़ा और मकान से पहली व महत्त्वपूर्ण आवश्यकता मोबाइल को माना नाने लगा है। निस के बिना आदमी एक पल भी नहीं रह पाता है। मुझे आश्चर्य होता है आज का यह मानव जो मोबाइल से एक पल भी बिछड़ना नहीं चाहता, वहीं मानव आज से 25 वर्ष पहले तक बगैर मोबाइल के आखिर किस तरह नीया होगा। जब 1995 तक इस मंत्र का अविष्कार नहीं हुआ था। उन कष्टपूर्ण पलों की केवल कल्पना ही की जा सकती है। आज मोबाइल वियोग में ये मानव अपने को किस तरह असहाय महसूस करता है। इस पर वैसे तो सोशल मीडिया पर समय-समय अनेक चुटकले वायरल होते रहते है। मुझे एक चुटकुला समाज पर अत्यंत व्यंग कसते हुए महसूस हुआ है। वह पाठकों की नजर है। एक अस्पताल में एक महिला के सर्जरी से बच्चा हुआ। महिला को तीन चार घंटे बाद होश आया तो वह आंख मीचे-मीचे हाथ से बिस्तर पर कुछ तलाशती रही। जच्चा महिला के पास खड़ी नर्स से जना का दर्द देखा नहीं गया वह महिला को सांतचना देते हुये बोली बहन, शायद आप अपने नवजात बच्चे को चिस्तर पर टटोल रही हो। दरअसल, बच्चा थोड़ा कमजोर था इसलिए डाक्टरों की सलाह पर उसे कुछ घंटों के लिए नर्सरी भेज दिया है। थोड़ी बहुत देर के लिए मैं बच्चे को लाकर तुम्हें दिखा दूंगी बच्चा बिल्कुल स्वस्थ व सुदर है। तुम बिल्कुल चिंता ना करो। नर्स के ये बचन सुनते ही जच्चा गुस्से में फट पड़ी और कहा नर्स बिल्कुल पागल हो। मैं तो अपना मोबाइल हूंड रही हूं। जो आपरेशान से पहले यहीं छोड़ा था। तो यह स्थिति आन मोबाइल की हो गई है। अब कभी- कभी मैं सोचता हूं यदि मोबाइल देव आप नही होते तो धरती पर इस मानव जाति का क्या होता। आपके चिना से भोले-भोले प्रापी अपना समय किस तरह व्यवीत करते आपने आते ही सबसे पहले जो अपने भक्तों को रिस्ट वॉच से मुक्ति दिलाई। जिस व्यक्ति की मुट्ठी में देव आप विराजमान है उस अभागे को कलाई में घड़ी बांधने की क्या आवश्यकता है। आपके दिल में तो पूरी दुनिया की पड़ियों का वास है। अब मात्र 5 से 10% तक शौकिया व्यक्ति कलाई की घड़ी बांधता है। काश, मोबाइल देव यदि तुम नहीं होते तो आदमी भी इतना व्यस्त नही रहता, तब वह साली आदमी क्या करता, हो सकता है। खाली बैठे-बैठे वो आदमी घर में पत्नी से उलझता या कहीं और सिर मारता। आपके आगमन मात्र से ही आदमी के जीवन में एक नई क्रांति आ गई है। अदमी को ना तो खाने के लिए समय बचा है, ना ही शान्ति के साथ ड्राइव करने का अब तो परिवार व मित्रों से भी बात करने को मुशकिल से समय निकालना पड़ता है। बल्कि सच्चाई तो यह है कि मित्रों को भी हमारे अन्दर कम, बल्कि आप में ज्यादा रूचि लगती है। गदि श्मशान में किसी के शोक में जाना भी पड़े तो ये कमखत मोबाइल वहाँ भी पीछा नही छोड़ना। कई बार तो मोबाइल सुनने के लिए लघुशंका को रोकना पड़ा है। अच्छे खासे हसते खेलते परिवारों को उनाड़ने में भी हे देव आपको इस यंत्र को बड़ी कामयाची मिली है। अनेक नव विवाहिता तो आपकी ही कृपा से अपनी सुसराल को बनाये मायके में बैठने को मजबूर हो गई है। क्योंकि इधर लड़की ससुराल के लिये विदा हुई साथ में लटक कर आप भी नवविवाहिता के साथ बिन बुलाये मेहमान की तरह ससुराल पहुंच गये और लड़की की नई ससुराल में पहुंकर, लड़की की मां के साथ जो आपने लीलाएं रचनी शुरू की वह लीलाएं तब तक नहीं रुकी जब तक वह बेचारी अपने पिया से बिछुड़ कर मायके वापस ना आ गई। ये मोबाइल महाश्य लड़की की मां से, उसकी नई-नई ससुराल में हर वक्त बतियाते रहे। इसी बतियाने में 'पुत्री प्रेम' तो मां का जागृत होना ही था। लड़की की मां ने आप जैसे 'परिवार तोड़क यन्त्र' के माध्यम से ही बेटी को चैन से न होते.. तो ससुराल में रहने दिया न ही उसे इतना समय दिया कि वह ससुराल के लोगों को और वहां के वातावरण को समझने व अपनाने लगे। आपके अन्दर केवल इतने ही गुण नहीं हैं, आप तो गुणो की सान है जब से आप अवतरित हुये हैं तब से महोदय ऐसी अनेक वस्तुये, जो कभी मानव के साथ साये की तरह रहती थी वह आपके पेट की भेट चड़ गई। अपनी मुट्ठी के अन्दर समा जाने वाले इस यन्त्र के पेट में क्या-क्या समाया हुआ है यानि अपने आने के बाद इन्होंने किनकिन चीजों के अस्तित्व को समाप्त कर दिया। उनमें प्रमुख रूप से टार्च, कैलकुलेटर, धनराशि, पत्र व्यवहार, कैमरा व ट्रांजिस्टर आदि तो है ही। हे मोबाइल देव आप वास्तव में महान हैं। मैं सोचता हूं कि यदि आप इस धरती पर नहीं आते तो यह मानव का विशेष रूप से महिलाओं का टाइम पास कैसे होता। एक बार पुनः आपके चरणों में प्रणाम


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