पन्द्रह सितम्बर तक करो इंतजार, हो सकता है दोनों आ जाओगे बाहर

पन्द्रह सितम्बर तक करो इंतजार, हो सकता है दोनों आ जाओगे बाहर


 


__ माहौल ठीक रहने पर, पन्द्रह सितम्बर तक नेताओं की सशर्त रिहाई की संभावना, अलगाववादियों की रिहाई पर जल्दी कोई फैसला नहीं


 नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में माहौल ठीक देख केंद्र सरकार ने फिर से सियासी गतिविधियां सामान्य करने की तैयारी शुरू कर दी हैं। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए एहतियातन हिरासत में लिए मुख्य धारा के सियासी दलों के नेताओं व कार्यकताओं की रिहाई भी जल्दी शुरू हो जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने चरणबद्ध रिहाई का कार्यक्रम तय कर दिया है। पहले चरण में 190 लोगों को रिहा करने की तैयारी है। अलबत्ता, दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की रिहाई 15 सितम्बर के बाद ही हो सकती है। राज्य गृह विभाग के अधिकारी ने साफ किया कि फिलहाल केवल मुख्यधारा के सियासी दलों के नेताओं को रिहा किया जाना है। हिरासत में लिए गए अलगाववादी खेमे के किसी भी नेता को रिहा नहीं किया जायेगा। सरकार इसका भी ध्यान रखेगी कि रिहाई बाद यह नेता किसी तरह से कानून व्यवस्था की स्थिति का संकट पैदा न करें। यह प्रक्रिया सितंबर के दूसरे पखवाड़े के आसपास शुरू होगी। इसकी भी एक कार्ययोजना बनाई गई है। इसके तहत इन नेताओं को किसी सियासी बैठक या बड़ी रैली से दूर रहना होगा और विवादास्पद और भड़काऊ बयानबाजी से बचना होगा। अन्यथा, इन्हें दोबारा हिरास। में लिया जाएगा। कश्मीर में प्रशासन ने हालात पर काबू पाने के लिए नेशनल कांफ्रेंस, कांग्रेस, पीडीपी, माकपा, पीडीएफ, अवामी इत्तेहाद पार्टी, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट, पीपुल्स कांफ्रेंस समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के करीब डेढ़ हजार नेताओं व कार्यकताओं को हिरासत में लिया है या फिर उन्हें नजरबंद बनाया गया है। दो पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी हिरासत में हैं, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला अपने ही घर में नजरबंद हैं। सज्जाद गनी लोन और इमरान रजा अंसारी समेत 45 प्रमुख नेताओं को शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर परिसर में स्थित सेंटूर होटल में रखा गया है। इस होटल को सबजेल का दर्जा दिया गया है। राज्य गृह विभाग के अधिकारियों ने बताया कि घाटी के हालात की लगातार समीक्षा करने और विभिन्न एजेंसियों की फीडबैक के आधार पर हिरासत में लिए गए या फिर नजरबंद बनाए गए राजनेताओं व कार्यकताओं को रिहा करने का फैसला किया गया है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृहमंत्रालय का मानना है कि इन लोगों की रिहाई से जम्मू-कश्मीर में विशेषकर कश्मीर घाटी में एक तरह से हालात को सामान्य बनाने और राजनीतिक गतिविधियों को शुरू करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा अक्टूबर के अंत तक राज्य में पंचायत राज व्यवस्था के तहत ब्लॉक विकास परिषदों के चुनाव भी होने हैं।