यदि कैंसर से चाहते हो दूरी, तो हरी सब्जियां नहीं हैं जरूरी
प्रदेश में करेला, परमल, हरी मटर व तोरई हैं नुकसान दायक
प्रदेश में करेला, गाजियाबाद। यदि कोई व्यक्ति औछााि बीमार हो जाये तो डाक्टर उसे रोटी प्रशासन छोड़कर हल्का खाने की सलाह देते हैं। डाक्टर मरीज को फल, हरी सब्जी व दूध का सेवन करने को कहते हैं। लेकिन इन डाक्टर साहब को शायद पतानहीं है ये सब खाने से तो अच्छा है कि आदमी रोटी आदि ही खा ले। क्योंकि आज सरकारी आंकड़ों के अनुसार बाजारों में 67 प्रतिशत दूध नकली बेचा जा रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश में हरी सब्जियों को ताजा प चमकदार दिखाने के लिये उन पर ऐसा विभाग (एफ.एस.डी.ए) द्वारा 18 खतरनाक केमिकल लगाया जा रहा जिलों में हरी सब्जियों के 600 है। ये फल व सब्जी फायदा नहीं नमूने लिये गये। जिन्हें सरकारी लेब बल्कि सेहत को और खराब कर में जांच करने के बाद अदरक, हरी रही हैं। उ.प्र. में खाद्य सुरक्षा एवम् मटर, परमल में ऐसे रसायन पाये गये जो मानव के लीवर, किडनी व आंत सम्बंधित अंगों पर घातक साबित हो रही है। सरकारी सूत्रों के अनुसार सब्जियों को चमकाने के लिये मैलाकाइड ग्रीन केमिकल प्रयोग किया गया। वहीं अदरक को सफेद व नरम ताजा दिखाने के लिये उसे तेजाब में 'भिगोकर धोया जाता है। प्रदेश के जिन 18 जिलों से नमूने उठाये गये हैं उनमें गाजियाबाद भी शामिल है। यानि सरकार ने गाजियाबाद में बेची जा ताजा व चमकदार सब्जियों को असुरक्षित माना है। वैसे भी गाजियाबाद में सब्जी को उगाने में नाले या सीवर का पानी ना लवकागेन्दपिरमा जना ही बोकर केवल प्रयोग किया जाता है बल्कि नाले के गन्दे पानी में ही धोकर सब्जियां बाजार में बेची जा रही हैं। इन सब्जियों को खाकर ज्यादातर लोग बीमार पड़ रहे हैं। चिकित्सक बताते हैं कि ऐसी सब्जी खाकर सादा जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति को भी कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है। जिसका सबसे बड़ा कारण ये प्रदूषित व जहरीली सब्जियां का सेवन है। अपर मुख्य सचिव डा. अनीता भटनागर जैन के निर्देश पर अगस्त महीने में 18 जिलों में सब्जियों की जांच कराई उन जिलों के नाम हैं। इटावा, सम्भल, मुरादाबाद, आगरा, कानपुर, जालोन, हाथरस, हरदोई, कासगंज, मैनपुरी, फिरोजाबाद, रामपुर, मुजफ्फरनगर, अमरोहा, सिद्धार्थनगर, गाजियाबाद व औरेया।
चमकीली अदरक नहीं, ये जहर है जनाब आज बाजार में दो तरह की
आज बाजार में दो तरह की अदरक बिक रही है। जिसके रंग रूप को देखकर आप तुरन्त खरीदने को लट्ट हो जाओगे। इसका भाव सौ रुपए प्रति किलो है, वहीं पुरानी सी दिखने वाली अदरक इससे ढाई गुना महंगी है। यानि ढाई सौ रुपए किलो। आप कहेंगे कि ये क्या बात हुई जब देखने में ताजा व सुंदर अदरक एक सौ रुपए तो फिर ये पुरानी सी अदरक ढाई सौ रुपए क्यों है। भाई दुकान दार पागल नहीं है वो पुरानी व बेकार अदरक को एक रात तेजाब में भिगोकर रखते हैं। तेजाब से अदरक का पुराना छिलका उतरकर इस खराब सड़ी अदरक का इस तरह मेकअप कर देता है कि लोग अच्छी चीज को छोड़कर कैंसर जैसी बीमारी परोसने वाली अदरक को अपने परिवार को खिला रहे है। सवाल यह है कि चीज को छोड़कर जनता तो बेचारी नासमझ है, लेकिन लाखों रुपए मासिक वेतन लेने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियो के मुंह और आंखों पर किसने पट्टी बांध रखी है।