ये है दास्ताने गाजियाबाद जहां भूमाफिया हो रहे हैं आबाद
गाजियाबाद। सरकार चाहे जिसकी भी हो भूमाफियाओं में कोई भय नहीं होतायहां प्लाट खरीदने वाले बर्बाद हो रहे हैं और सरकारी जमीन को भी कब्जा कर बेचने वाले भूमाफिया आबाद हैं। अब जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने भूमाफियाओं पर शिकंजा कसने के लिये आपरेशन चक्रव्यूह शुरू करने का ऐलान किया है। आपरेशन चक्रव्यूह कितना प्रभावशाली साबित होगा ये तो आने वाला समय ही बतायेगालेकिन अब तक तो कोई भी जिलाधिकारी भूमाफियाओं के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने में कामयाब नहीं हो पाया है। योगी सरकार में भी भूमाफिया बेखौफ हैं। धड़ल्ले से जमीनें कब्जाकर बेची जा रही हैं। 'एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स' का गठन होने के बाद भी इन भूमाफियाओं के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई है। शहर में अकेले नगर निगम की अरबों की जमीन पर अवैध कब्जे हो चुके हैं। दिल्ली से सटे होने की वजह से भूमाफियाओं की नजर गाजियाबाद में खाली पड़ी सरकारी जमीनों पर टिकी है। डूंडाहेड़ा, विजय नगर, प्रताप विहार, अकबरपुर- बहरामपुर, मवई, सिद्धार्थ नगर, नूरनगर, सिहानी, करहेड़ा, अर्थला समेत कई गांवों की जमीन पर सिर्फ कब्जे ही नहीं बल्कि इमारतें तक खड़ी हो चुकी हैं। ऐसे में अब इतनी बड़ी तादाद में मकानों को गिराकर जमीन खाली कराना टास्क फोर्स के लिए आसान काम नहीं है। अकबरपुर-बहरामपुर में 85 बीघा जमीन चरागाह के लिए छोड़ी गई थी। पहले यहां पर जानवरों को चराया जाता था और यह जमीन सरकारी रिकार्ड में आज भी चरागाह के रूप में दर्ज है। इस जमीन का टाइटल बदला नहीं जा सकता लेकिन अब यहां पक्के मकान बन चुके हैं। भूमाफियाओं ने इस सरकारी जमीन पर प्लाटिंग कर बेच दी है। राजकुमार नाम के एक व्यक्ति ने चरागाह की जमीन खाली कराने के लिए हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी। हाईकोर्ट भी जमीन खाली कराने का आदेश दे चुका है और कोर्ट के आदेश पर दो बार ज्वाइंट पैमाइश भी हो चुकी है। बावजूद इसके जमीन खाली नहीं कराई जा सकी है। माफिया इस तरह बेच भूमाफिया सबसे पहले सरकारी जमीन का रिकार्ड तहसील से निकलवाते हैं और खाली पड़ी सरकारी जमीन के आसपास थोड़ी प्राइवेट जमीन खरीद लेते हैं। इसके बाद प्राइवेट जमीन का सौदा किया जाता है, रजिस्ट्री भी प्राइवेट जमीन की होती है लेकिन कब्जा सरकारी जमीन पर दे दिया जाता है। जमीन खरीदने वाले लोग अगर तहसील का रिकार्ड देखते हैं तो उन्हें इस धांधली का पता नहीं चलता और भोले-भाले लोग भूमाफियाओं के जाल में फंस जाते हैं। इसके बाद भूमाफिया प्लॉट बेचकर चले जाते हैं लेकिन नुकसान खरीदारों का होता है।
टास्क फोर्स बनी, डीएम और नगरायुक्त भी हुए थे शामिल
मंडलायुक्त की अध्यक्षता में एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स का गठन हो गया है। जिला स्तर पर बनने वाली इस टास्क फोर्स में डीएम, एसएसपी, मुख्य वन संरक्षक, जीडीए वीसी, नगरायुक्त को शामिल किया गया है। मंडल स्तर पर इस टास्क फोर्स में आईजी, डीआईजी, चीफ इंजीनियर पीडब्ल्यूडी, चीफ इंजीनियर सिंचाई विभाग और उपनिदेशक पंचायत राज भी शामिल रहेंगे। मंडलायुक्त ने संबंधित अधिकारियों को पत्र भेजकर इसकी जानकारी दी थी। लेकिन टास्कफोर्स भी भूमाफियाओं का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाई। सरकारी जमीन पर बालाजी विहार कालोनी बसा कर भूमाफिया तो मालामाल होकर चलते बने लेकिन यहां जिन गरीब लोगों ने अपने जीवन भर की कमाई लगाकर अपने लिये घर बनाये उप पर बुलडोजर चल रहा है। एक भी भूमाफिया के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। अब देखना है कि जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय का आपरेशन चक्रव्यूह किस तरह भूमाफियाओं पर प्रभावी कार्रवाई कर पायेगा
राजनगर एक्सटेंशन में भी 1500 करोड़ की जमीन का अता पता नहीं
करोड़ की जमीन का अता पता नहीं राजनगर एक्सटेंशन के बीच आचुकी निगम की बेशकीमती 60 एकड़ से ज्यादा जमीन निगम के रिकार्ड में तो है लेकिन मौके पर इसका कोई अतापता नहीं। सरकारी जमीन पर भूमाफिया प्लाटिंग कर रहे हैं। नूरनगर, सद्दीक नगर, नंदग्राम और करहेड़ा क्षेत्र में सरकारी जमीन को प्राइवेट बताकर बेचा जा रहा है। करीब 1500 करोड़ की कीमत वाली इस जमीन को चिह्नित कराने के लिए नगर निगम ने मंडलायुक्त से मदद मांगी थी। निगम के संपत्ति विभाग ने मंडलायुक्त को उन खसरा नंबरों की भी लिस्ट भेजी है जो सरकारी रिकार्ड में नगर निगम के नाम है। बावजूद इसके अब तक न तो यहां ज्वाइंट पैमाइशहुई और नही जमीन से कब्जे हटे।