पैकेज्ड दूध है जहर'

अब विश्व स्वास्थ संगठन ने दी है चेतावनी


पैकेज्ड दूध है जहर'


गाजियाबाद। जैसा परमार्थ संदेश ने अपने अंक 51 में 'दूध नहीं, जहर पीता है इंडिया' शीर्षक से प्रकाशित खबर के माध्यम से देश में 50 करोड़ लीटर दूध प्रतिदिन सिंथेटिक पिया जा रहा है से अवगत कराया था। हालांकि यह दावा देश के एनीमल वेलफेयर बोर्ड के सदस्य मोहन सिंह अहलूवालिया ने किया था। अब इसी पर एक और रिपोर्ट चौंकाने वाली आई है। __ अब डब्लूएचओ (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन) ने भारत में खपत होने वाले पैकेट बंद दूध में 'जहर' पर अपनी मुहर लगाते हुए चेतावनी दी है कि भारत में पैकेट बंद दूध पीने वालों की संख्या को नहीं रोका गया तो 2025 तक काफी लोग गम्भीर रूप से बीमार हो जाएंगेडब्लूएचओ ने भारत के बाजारों का सर्वे करने के बाद खुलासा किया है कि देश में कच्चे दूध के मुकाबले दो गुना दूध जहरीला एनसीआर में तो है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि दूध किया की गुणवत्ता में यदि सुधार नहीं प्रतिशत किया गया तो भारत की 87 प्रतिशत आबादी 2025 तक पहुंचते-पहुंचते कैंसर से ग्रस्त हो जाएगी। 


एनसीआर में तो 65 प्रतिशत तक पैकेट बंद दूध का ही है प्रयोग


देश के दूसरे महानगरों व एनसीआर दिल्ली में तो लगभग 60 प्रतिशत दूध पैकेट बंद का ही प्रयोग होता है। 2607 दूध के भरे गए नमूनों के अनुसार उन्हें जहरीला दूध पाया गया है। जब जनता जहरीला दूध पिएगी तो कैंसर होना तो स्वाभाविक ही है। आज जब सरकार स्वयं मान रही है कि 64 करोड़ लीटर प्रतिदिन खपत के विरूद्ध हम केवल 14 करोड़ लीटर दूध ही पशुओं से प्राप्त कर रहे हैं, इसका मतलब साफ है कि बाकी दूध तो नकली ही पिया जा रहा है। सभी को भलीभांति मालूम है कि देश में मांग के अनुरूप दूध का उत्पादन कम है। इसके बावजूद भी आज बाजार दूध व दूध से निर्मित उत्पादन से अटे पड़े हैं। इसको देखते हुए डब्लूएचओ की चेतावनी ठीक होती प्रतीत हो रही है। आज वैसे भी दूध के अलावा सब्जी, फल, मावा, दवाई, अनाज, दाल आदि तो हम सब नकली व रासायनिक खा रहे हैं। तभी तो आज भी 25-30 प्रतिशत लोग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से मर रहे हैं। आश्चर्य यह है कि जिन 25-30 प्रतिशत लोगों को कैंसर हो रहा है उन में से लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं, बच्चे अथवा वो आदमी है जिन्होंने कभी शराब, पान, तंबाकू तक का सेवन नहीं किया। इसलिए वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट को देखते हुए भारत के लोगों को पैकिट दूध से दूरी बनानी चाहिए जो इसके बाद भी सचेत नहीं होंगे तो कैंसर की चपेट में आने के बाद फिर पछताने के सिवा उनके पास कुछ नहीं बचेगा।