अब समान नागरिक संहिता की बारी

संसद का शीत सत्र आज सेः धारा 370 व अयोध्या हुए फतह


अब समान नागरिक संहिता की बारी


जानिए क्या है समान नागरिक संहिता


समान नागरिकसहितायानी यूनिफॉर्म सिविल कोडका अर्थ होता है भारतमेरहने वाले हर नागरिक के लिएएक समान कानूनहोना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। समान नागरिक संहिता में शादी, उलाक और जमीन-जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्मर्स कोई ताल्लुक नही है। युनिफॉर्म सिविल कोड लागु होने से हरमजहब के लिए एक जैसा कानून आ जाएगा। यानी मुस्लिमों को भी तीन शादियां करने और पत्नी को महज तीन बार तलाक बोले देने से रिश्ता खमकर देने वाली परंपराखामहोजाएगी।वर्तमान में देश में रहने वाले हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के अधीन करते हैं। फिलहाल मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदायकापर्सनलल है जबकि हिन्दूसिविल लॉकेतहत हिन्दू सिख जैन औरबौद्ध आते हैं। सविधानमेसमननगरिकसहिता को लागूकरना अनुच्छेद 44 के तहत राज्य की जिम्मेदारी बताया गया है, लेकिन ये आज तक देश में लागू नहीं हो पाया।


नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी लम्बे समय से सत्ता में आने के लिए तीन प्रमुख वायदे जनता से करती आरही है। ये तीन प्रमुख वायदेथे कश्मीर से धारा 370 को हटाना, अयोध्या में जन्म भुमि विवाद का सर्वमान्य हल निकालना और समान नागरिक संहिता को लागू कराना। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने दूसरी बार प्रचंड बहुमत से आने के बाद दो वायदे देश की जनता से अब तक पूरे कर चुकी है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में पहलावायदा कश्मीरसेवरा 370 को हटाकर पूरा किया और इनका दूसरा वायद उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में मंदिर निर्माणका फैसला देकर पुराकर दिया। अब केवल बीजेपी सरकार समान नागरिक सहितका बिलपासकरानाशेष है। जिसे सरकार सेमवार से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में पारित कराने के लिए तैयार है। सोमवार से शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिकता विधेयक पेश करने के अलावा जम्मू कश्मीर की (स्थिति, आर्थिक मन्दी और बेरोजगारी जैसेमवेपर सतापक्ष और विपक्ष के बीच टकराव होने कीसंभावना है। नागरिकता (संशेचन) विधेयक कोपरित कराने के अलावा इस सत्र के दौरान दो अहम अध्यादेशों को कानून में परिवर्तित कराना भी सरकार की येजना में शामिल है। आयकर अधिनियम, 1961 और वित अधिनियम, 2019 में संशोधनको प्रभावी बनाने के लिए सितंबर में एक अव्यादेश जरी किया गया था.जिसका उरेश्य नई एवं घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर में कमी लाकर अधिक मन्दीकोरोकना और विकासको बदावादेना है।दुसरा अध्यादेश भीसितंबर में जारी किया गया था जिसमें ई-सिगारेट और इसी तरह के उत्पाद की विक्री निर्माण एवं भहारण पर प्रतिबंध लगाया गया है। लोकसभा चुनाव में मिले अपार जनादेश के साथ सता में वापसी करने वाली भाजपा के नेतत्व वाली राजग सरकार का कह इस कार्यकाल में दूसरा संसदसत्रह संसदकापहलसत्रकाकी बहतर रहा।