मेरी राय
जंक फूड है एक धीमा जहर'
बचपन में पहले बच्चों को उनके माता-पिता दूध, दही, मक्खन, घी अधिक से अधिक खिलाते थे ताकि बच्चा शारीरिक रूप से स्वस्थ रहे क्योंकि मान्यता है स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग होता है लेकिन अब वक्त ऐसा बदला है कि बच्चों ने उन पौष्टिक खाद्य पदार्थ से मुंह मोड़ लिया है जो शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। आज का वचपन व युवा उन खाद्य पदार्थों के प्रति ज्यादा आकर्षित रहता है जिनमें पौष्टिक नत्व तो दूर-दूर तक नहीं होते बल्कि उन्हें सेवन करने से शरीर शुरू से ही अनेक रोगों से ग्रस्त हो जाता है। इन्हें आज जंक फूड के रूप में जाना जाता है। ऐसा नहीं है कि बच्चों को इन जंक फूड को खिलाने के लिए प्रेरित किया जाता है बल्कि बचपन से ही ये नई जनरेशन के बच्चे स्वतः ही जंक फूड के प्रति आकर्षित हो जाते हैं। मुझे बहुत अक्षर्ग हुआ कि मेरा लगभग डाई वर्ष का पोता, दूध पीने बचना है लेकिन उसे मैगी उसको इतनी प्रिय है कि वह अपनी मम्मी से जिद करके मैगी बनवाने को तैयार रहता है जबकि हमारे घर में जंक फूड का उपभोग लगभग ना के बराबर है। एफ.एस.एस.ए.आई. ने जांच में पाया है कि नंक फूड में बड़ी मात्रा में फैट, साल्ट, शुगर पाया जाता है, जो शरीर के लिए बहुत ज्यादा हानिकारक होता है। इतना हानिकारक तो वह जब है कि जब नंक फूड में मिलावट ना हो। जबकि आज जंक फूड का स्तर इतना गिर गया है कि यदि चाऊमीन में प्रयोग कैमिकल्स यदि गलती से फर्श पर गिर जाये तो निशान बन जाता है। इसलिए खाने वालों को सोचना चाहिए कि जो कैमिकल्स फर्श पर गिरकर निशान बना देता है, वह शरीर के अंदर जाकर कितना नुकसान पहुंचाता होगा। दूसरे आजकल तो गलियोंमोहल्ले तथा गांवों में भी ठेले-पटरियों पर चाऊमीन, बर्गर, पिजा, मोमोन विकते हैं, जिसमें बहुत ही निम्न स्तरीय खाद्य सामग्री प्रयोग की जाती है जिससे बचपन से ही बच्चों को शुगर, ब्लड प्रेशर, मोटापा, कैंसर जैसी बीमारी घेर लेती है। बचपन की यह लत आगे चलकर स्वास्था के लिए एक बड़ी समस्या बन जाती है। इसी बात को ध्यान में रखकर सरकार ने एक सराहनीय फैसला लिया है कि दिसंबर 2019 से जंक फड उस एरिया में नहीं बेचने दिया जाएगा, जिस एरिया के 50 मीटर के अंदर स्कूल-कॉलेज व छात्रावास होंगे। एफएसएसएआई ने कई तरह की स्टडी का हवाला देकर जंक फूड की बिक्री पर रोक लगाने की सिफारिश की है। दिसंबर के बाद छात्रों से जंक फूड से दूर रखने की सरकार की कोशिश तो है लेकिन छात्रों व उनके अभिभावकों द्वारा इस पर कितना प्रभावी ढंग से अमल किया जाएगा, यह देखने योग्य है। गुजरात सरकार ने तो तुरंत इस आदेश को प्रदेश में लागू कर जंक फूड की बिक्री पर रोक लगाना शुरू कर दिया है।
राय है कि सरकार की इस सराहनीय पहलकान केवल हमें समर्थन करना चाहिए बल्कि सख्ती से दैनिक जीवन में लागू करनाचाहिए।इसमें पहलादायित्व युवा माता-पिता का होगा।यो सर्वप्रथम स्वयं पर नियंत्रण रखकर जंक फूड से दूरी बनानी होगी ताकि वह बच्चों के लिए उदाहरण पेशकर सकें। अब तो व्याह-शादी में भी जंक फूड के स्टाल लगने लगे हैं। इन स्टाल्स को भी हमें अपने व आयोजन से दूर करना होगा. साथ ही सरकार भी स्कूलकॉलेजों के साथ-साथ मेलो, शादियों अन्य इसतरह के दूसरेसमारोह में भीजक फूड के स्टाल लगाने पर कानूनी प्रतिबंध लगए और नागरिक भी अपनाव अपने बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर जंक फूड को जहर' मानते हुए न खुद खाएं और न ही बच्चों को खिलाएं। साथ ही मेरा परामर्श उन लोगों को भी है जो इस व्यवसाय से जुड़े हैं। उनका प्रथम दायित्व है कि वे देशहित में नागरिकों के जीवन व भविष्य को ध्यान में रखते हुएजक फूड के व्यापार को छोड़कर दूसरा अन्यकोई कामकर लें तो बेहतर रहेगा।