अब ‘शाह' हैं तो संभव है।

अब 'शाह' हैं तो संभव है।


भाजपा के रूप में उभरे शाह ने दी हर को मात प्रधानमंत्री को साकार निभा रहे हैं भूमिका! अब नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपनों को साकार करने में गृह मंत्री अमित शाह किया अब 'शाह' को अहम् भूमिका रही है। वैसे तो 2014 के लोकसभा चुनाव में तथा उनके बाद हुए देश की विभिन्न विधानसभाओं के चुनावों में भारी मतों से भाजपा को जीत दिलाने में जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि ने अपना काम किया, वहीं भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की रणनीति व परिश्रम का सर्वाधिक योगदान रहा। इन चुनावों में अप्रत्याशित जीत हासिल करने वाले अमित शाह को उससे पहले बहुत कम लोग जानते थे। पहले लोकसभा व फिर विधानसभाओं में अपनी सरकारें बन जाने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने अमित शाह को रणनीतियों का लाभ लेने और अपने सपनों को साकार करने के लिए मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया। जब अपनी दूसरी पारी में प्रधानमंत्री मोदी ने राजनाथ सिंह के स्थान पर अमित शाह को गृह मन्त्री की कमान सौंपी तो यकीनन देश में काफी लोगों को अटपटा लगा क्योंकि आज भी राजनाथ सिंह के प्रशासकों में हर देशभक्त शामिल है। इसलिए प्रधानमंत्री __ मोदी ने जनभावनाओं को समझते हुए अमित शाह को गृह मंत्री जरूर बना दिया लेकिन अपने बराबर में दो नम्बर का स्थान आज भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को ही दिया। कायदे में प्रधानमंत्री के बराबर में दूसरे नंबर की कुर्सी पर नियमानुसार गृहमंत्री ही बैठते हैं। इससे लोगों में एक अच्छा संदेश गया। गृहमंत्री की शपथ लेते ही अमित शाह ने जो कर दिखाया उसे कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था। देश के बड़े से बड़े प्रिन्ट व इलेक्ट्रानिक्स मीडिया जगत से जुड़े लोग भी अमित शाह के इरादे को नहीं भांप सके उन्होंने एक ही झटके में कश्मीर से धारा 35 ए च धारा 370 हटा कर दोनों सदनों से एक ही दिन में पास करवा दिया जबकि राज्यसभा में तो बहुमत भी नहीं है, जब तक विपक्ष के लोग कुछ समझ पाते तब तक धारा 370 एक इतिहास बन चुकी थी। सभी को आश है। कश्मीर के इस नंगे तार को कोई भी राजनैतिक पार्टी सूने की हिम्मत नहीं करती थी। सभी को अपनी-अपनी बोट कटने एवं कश्मीर में कल्ले-आम होने का डर था लेकिन धारा 370 हटे चार महीने से ज्यादा हो गये लेकिन अभी तक कश्मीर में पुलिस की गोली से एक भी आदमी मरना तो दूर, पायल भी न हुआ। इसी तरह दूसरा सबसे बड़ा कार्य अमित शाह की रणनीति ने वो कर दिखाया जो सैकड़ों साल से कोई नहीं कर पाया लेकिन वायदे वायदे जरूर घोषणा पत्रों में होते चले गये वह था "अयोध्या में रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण" प्रकरण। वैसे तो यह निर्णय उत्चत्तम न्यायालय की संवैधानिक पीठ ने एक माह में लिया था लेकिन इस निर्णय के दिन व बाद में कोई हिंसात्मक कार्यवाही न हो इसके लिए अमित शाह ने ऐसी रणनीति तैयार की कि देश में कहीं भी, एक भी साम्प्रदायिक दंगा करने को कोई हिम्मत भी नहीं कर सका। चारों तरफ शॉने ही रही। इसके लिए प्रधानमंत्री मोदी से ज्यादा श्रेय अमित शाह को ही दिया जा रहा है। नागरिकता संशोधन बिल को दोनों सदनों में लम्बी बहस, करके तथा सभी विपक्षी सांसदों के पुरजोर जवाब देकर न केवल सन्तुष्ट किया बल्कि पास कराकर देश में कानून के रूप में लागू करा दिया। इसके अलावा तीन तलाक बिल, अल्पमत राज्यसभा से पास होने पर भी सबको आशर्य है। इन सब कारों से अब देश में ये संशोधित आवाज सुनाई दे रही है कि "शाह" है तो संभव है, जो नारे फले 'मोदी है तो मुमकिन है' पर लगने थे अब लोग समझने लगे हैं कि प्रधानमंत्री के सपनों को अमलीनमा पहनाने वाली असली ताकत अमित शाह ही हैं जिसके पास विपक्षियों के प्रत्येक सवाल का तर्क व प्रमाण सहित जवाब मौजूद है। अब देश मोदी व शाह की जोड़ी से जनसंख्या नियन्त्रण बिल पेश करने व पास कर कानून बनाने की उम्मीद लगाये हुए हैं। यदि अगले सत्र में जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू हो गया तो देश विकास के पथ पर चल निकलेग। इसलिए देश के लोगों में यह विश्वास होने लगा है कि 'शाह है तो सम्भव है'।