बनारस मंदिर-मस्जिद विवाद की सुनवाई शुरू

अयोध्या मंदिर राम जन्म भूमि विवाद सुलझा तो


बनारस मंदिर-मस्जिद विवाद की सुनवाई शुरू


9 जनवरी 2020 को बनारस जिला कोर्ट में लगी तारीख 


15 अगस्त 1947 को वहां मंदिर तथा या मस्जिद इसके सर्वे की मांग 


लखनऊ। सैकड़ों साल से चल रहे अयोध्या के रामजन्म भूमि विवाद पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने साक्ष्यों के आधार पर ऐतिहासिक निर्णय देकर, उसका पटाक्षेप कर दिया तथा 19 लोगों द्वारा प्रस्तुत पुनर्विचार याचिकाएं भी खारिज कर दी। इस तरह अदालत ने जहां एकमत निर्णय देकर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण हेतु सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूर्ण कर दी है, वहीं अब बनारस मंदिर-मस्जिद विवाद भी छिड़ गया है। अब इस मामले में बनारस की जिला अदालत ने सुनवाई के लिए तारीख देनी शुरू की दी है। जैसा कि आपको ज्ञात होगा कि बनारस के ज्ञानवापी परिक्षेत्र में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर व मस्जिद दोनों हैं। वहीं दूसरे पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद का दावा है कि जिस दिन देश आजाद हुआ था, 15 अगस्त 1947 को, उस दिन वहां पर मस्जिद थी। जबकि मंदिर कमेटी उस दिन बनारस के ज्ञानवापी परिसर में बाबा विश्वनाथ मंदिर होने का दावा कर रही है। इस विवाद के निस्तारण हेतु जिला अदालत बनारस में 1991 से सुनवाई चल रही है। हिन्दू पक्ष की ओर से इस विवाद दर्ज कराने वाले पंडित सोमनाथ व्यास, डॉ. रामरंग शर्मा, दोनों की तो मृत्यु हो चुकी है। अब इनके स्थान पर मंदिर का प्रतिनिधित्व कर रहे वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी के अनुसार ज्ञानवापी क्षेत्र के विवादित परिसर में देश के द्वादश ज्योतिलिंग में से एक स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ स्थापित हैं। उन्होंने दावा किया है कि इसी मंदिर परिसर पर ज्ञानवापी का प्राचीन कुआं आज भी मौजूद है। मंदिर कमेटी का आरोप है कि 15 अगस्त 1947 को भी यहां मंदिर था। लेकिन मंदिर परिसर पर कब्जा कर मस्जिद बना दी गई। अब इस प्रकरण की सुनवाई हेतु नौ जनवरी 2020 की तारीख जिला अदालत बनारस ने तय की है। मंदिर पक्षकार विजय शंकर रस्तोगी ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि इस विषय में पुख्ता साक्ष्य खोजने हेतु भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग जैसी एक्सपर्ट एजेंसी से सर्वे करा लिया जाए। अब इस विषय में नौ जनवरी 2020 को जिला अदालत बनारस में सुनवाई शुरू होगी। इसमें देखना है कि अदालत क्या निर्णय लेती है।