मेरी राय
आखिर 'नागरिकता पर ही बवाल क्यों...?
पर ही बवाल आज देश का कोई राज्य तथा राज्यों का कोई ऐसा शहर नहीं बचा है, जहां बबाल न हो रहा हो। सरकार जेएनयू से हंगामे को शान्त कर भी नहीं पाई थी कि देश की सारी यूनिवर्सिटियों में हंगामा शुरू हो गया है। फिर पक्षिमी बंगाल में नागरिकता कानून के विरोध में प्रदेश की मुख्यमंत्री स्वयं आंदोलनकारियों के साथ सड़क पर निकल पड़ी और उन्होंने तो इस विषय में संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप की मांग भी उठाकर, देश की सरकार पर अविश्वसनीयता का प्रश्न चिन्ह लगा दिया। आज नागरिक संशोधन कानून को लेकर, मुस्लिम वर्ग देश के आज नागरिक संशोधन कानून को लेकर, मुस्लिम वर्ग देश के तकरीबन हर शहर में बवाल मचाये हुए है। पुलिस प्रशासन के साथ हर शहर में प्रदर्शनकारियों की भिड़त भी हो रही है। गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को तो इलेक्ट्रानिक्स चैनल पर न्यूनों में आगजनी, तोड़फोड़ के भयानक दृश्य देखकर,देशहित में सोचने वाला प्रत्येक व्यक्ति चिंतित था कि आखिर आज हमारे देश में क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है।
किसी के भी दिमाग में इस 'क्यों का उत्तर नहीं समझ आ रहा था क्योंकि नागरिकता संशोधन बिल के पास होने से देश में रह रहे किसी भी वर्ग के नागरिक की नागरिकता पर तो कोई प्रभाव पड़ ही नहीं रहा था। फिर प्रदर्शनकारियों में इतना गुस्सा क्यों था। बगैर किसी मतलब के उग्र होकर आये प्रदर्शनकारियों को देखकर लग रहा था कि उन्हें भड़का कर भेजा गया है।
इस बिल का असर तो, दूसरे देश से हमारे देश में शरण लेने आने वाले नागरिकों पर पड़ रहा था, जिससे भारत में पहले से ही रह रहे मुस्लिम वर्ग का कोई नुकसान भी नहीं है। फिर इतनी तैयारी व एकजुटता के साथ, बगैर किसी वजह के लाखों लोग देश के सभी कोनों से उतरकर सड़कों पर हिंसक क्यों हो गये। क्या बगैर किसी मतलब के इतने सारे व्यक्ति, पुलिस से आकर भिड़ गये, पुलिस पर पत्थर फेंकने लगे, ट्रेनों, बसों, कारों व मोटरसाइकिलों के साथ-साथ पुलिस चौकी, थाने, पुलिस की गाड़ियों को भी पथराव करके तोड़फोड़ व आग लगाने लगे। क्या ये सभी पागल थे, नहीं ऐसा बिलकुल नहीं था।
पुलिस के अनेक समझाने, चेतावनी देने पर भी ये लोग डटे रहे तो इसके पीछे कोई न कोई कारण तो रहा होगा, जिसे तलाशना होगा। इस तरह के बड़े व अचानक हिंसक आंदोलन ने सरकार की नींद उड़ा दी है। क्योंकि सरकार को बिलकुल उम्मीद नहीं थी कि इस नागरिकता संशोधन बिल पर देश में कहीं विरोध होगा क्योंकि इस बिल से तो देश के अन्दर रह रहा कोई भी नागरिक प्रभावित था ही नहीं। इसके विपरीत जिन बड़े मसलों पर सरकार को बवाल होने की उम्मीद थी, वहां कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई। जिनमें कश्मीर से धारा 370 हटाने, तीन तलाक प्रथा की समाप्ति करने व राम जन्मभूमि विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के समय, देश में नागरिकों व सरकारों को यह आशंका थी कि इन फैसलों लेकर बवाल हो सकता है, जिससे निपटने की पूरी तैयारियां भी की गई थीं लेकिन इनके विरोध में पूरे देश से एक भी प्रतिक्रिया नहीं आई।
लेकिन जहां हंगामे की उम्मीद नहीं थी, वहां पूरा देश अशान्त हो जाये, गोलीबारी में एक दर्जन से ज्यादा व्यक्ति मर गये और अरबों रुपये की सम्पत्ति नष्ट कर दी गई तब यह जरूर सोचना पड़ेगा कि ऐसा क्यों हुआ। क्योंकि पूरे आन्दोलनों में 18 वर्ष से कम के युवक ज्यादा थे। उनसे बात करने पर कोई भी आन्दोलन की सही वजह नहीं बता पाया।
राय है कि इस संकट को केन्द्रीय सरकार व देश में रह रहे प्रशुद्ध नागरिकों को हल्के में नहीं लेना चाहिए।यह आंदोलन किसी बड़े संकट के आगे आने वाले किसी बहे संकट को आगाज कर रहा है। लगता है कि किसी देशद्रोही ने अपने को छिपा कर पूर्व नियोजित ढंग से इतना बड़ा बवाल करवा दिया, उस चेहरे को उजागर करनाळुत जरूरी है। इसहगमेके पीछे किसी न किसी देशद्रोहीकातोहाब है, जिससे प्रेरित होकर येलोग इतने आक्रामकहूए. क्योकि हंगमाकरनेवालों में अधिकतरलोग इसबात से अंजान कि कि वह किसके विरोध में आये है,कईको तो नागरिकता संशोधन बिल के बारे में कुछ भी पता नहीं था।इन लोगों को तो यह कहकर भड़काया गया था कि तुम्हें अब देश से निकाल दिया जाएगा, तुम्हारे लिये अलग से कैम्प बनाये जा रहे है वसभी सुविधाएं छीन लीजएंगी। इस देश में मोदी-अमित शाह केवल हिन्दुओं कोही रखेंगे, बाकी मुस्लिमों को देश से बाहरजना पड़ेगा।मुस्लिम वर्ग मेशिक्षाकातेअभाव है ही। इसीकालाभ उठाकरतोमुस्लिम युवाओं को उत्तेजित करके पथरावव आगजनी कराई गई।
विरोधी राजनैतिक पार्टिय इस आन्दोलन में सीधे तौर पर तो सड़क पर नही दिखाई दी लेकिन पीछे से पीठ जरूर थपथपा रही है। पुलिस ने जितने साहस से इस आन्दोलन का सामना किया, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए, कम है। यदि पुलिस बीच में आकर प्रदर्शनकारियों को न रोकती तो आजदेश में अराजकता की ऐसी आग सुलगती, जिसे सभालना मुश्किल हो जाता। इसलिए इस विषय को गम्भीरतालेना होगातथा उनदेशद्रोही केहरों को न केवल उजागर करना होगा बल्कि सखा सजादेना भी अतिआवश्यक है। तभी औरों को सबक मिलेगा।