मोदी व शाह में ये कैसा भ्रम

मोदी व शाह में ये कैसा भ्रम


जनता के दरबार में सरकार की साख हो रही है कम


एनआरसी हो या हो डिटेंशन सेंटर, गलतफहमी बढ़ा रही हैं टेंशन


बड़ा कन्फ्यू जन है भाई


. सीएए, एनआरसी और एनपीआर के बारे में अन्जान हैं सामान्य लोग


पिछले एक सप्ताह से पूरा देशदगो की आग में झुलस रहा है। बड़े पैमने पर लोग हिसक होकर सड़कों पर उतर आये हैं। क अवनक इतने हिसक कैसे हो गये, इसका कारण यह रहा कि इन दिनों तीन शब्द सीएए, एनआरसी और एनपीआर काफी चर्चा में हैं। असामाजिक तत्व इन मेले-भालेलोग के अशिक्षित होने का लाभ उठा रहे हैं और उन्हें इसतरह के आंदोलन करने के लिए उकसा रहे हैं। सबकोभली प्रकार मालूम है कि मुस्लिम वर्ग में कम शिक्षा है, इसकालमकुछ तत्व उठाकर उन्हें मुद्दे से भटका देते हैं


नई दिल्ली। पूरे देश में सीएची, एनपीआर और एनआरसी को लेकर माहौल गरमाया हुआ है। ऐसे में पिछले छह साल की सरकार में पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बीच इन गर्म मुद्दों पर अलग-अलग बयान से जनता में ना केवल इन दोनों ही नेताओं की सास कम हो रही है बल्कि आपसी सामंजस्य भी कम दिखाई दे रहा है। इसका नतीजा झारखंड के चुनावी नतीजों ने दिखा दिया है। इन दोनों शीर्ष नेताओं के कुछ विरोधाभासी बयानों से सरकार की सास तो घट ही रही है तथा यह लग रहा है दशकों से विवादित रहे मुद्दों पर एक के बाद एककामयाबी मिलने से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह पर आंख मूंद कर भरोसा कर रहे हैं और गृह मंत्री अपनी कामयाबी की बुलंदियों पर चढ़ते हुए कुछ ज्यादा हो जोश में आ गये हैं। हाल के बयानों से ऐसा लग रहा है कि दोनों के बीच कम्युनिकेशन गैप भी है। इसी गैप ने प्रधानमंत्री से सार्वजनिक मंच पर गलतबयानी करवा दी और खिल्ली भी उड़ाई जा रही है और एक मामले में गृह मंत्री अमित शाह की भी, पहली बार प्रधानमंत्री को धमा लगा है। 2019 में मोदी सरकार के सत्ता वापसी के बाद अमित शाह को गृह मंत्री बनाया गया तो उन्होंने सात माह के अन्दर कश्मीर से धारा 370 हटवा दी, तीन तलाक का बिल पास करवा दिया और अयोध्या का रामजन्म भूमि विवाद के सन्दर्भ में उच्चतम न्यायालय के फैसले के दौरान अमन चैन व कानून-व्यवस्था बनाये      


रखने में भी सफल हुए हैं। तीनों मुद्दों पर विपक्षी दलों को जनता के बीच कठघरे में ऐसा खड़ा कर दिया गया कि जो भी चोलता उसे हिन्दू विरोधी करार दिया जाता। इसलिए सभी मनमसोस कर मौके की तलाश में लग गये। इस चीच जोश में, गृह मंत्री ने नागरिकता संशोधन बिल लाने का ऐलान किया तथा दोनों सदनों से पास कराकर कानून बनवाने में भी सफलता प्राप्त कर ली। इस बात की जानकारी मिलते ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में धन्यवाद रैली का नाटकीय आयोजन किया गया। इस रैली में एक तीर से कई निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जहां एक और दिल्ली के चुनाव का बिगुल फूंक दिया वहीं विपक्षी दलों और देश के मुस्लिमों पर अपना आक्रोश निकाला। इस लगभग डेढ़ घंटे के भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जहां गृह मंत्री अमित शाह के नागरिकता संशोधन चिल की जमकर हिमायत की कहीं उन्होंने एनआरसी पर अमित शाह की यह किरकिरी कर दी कि अभी इस मुद्दे पर न तो मंत्रिमंडल और न ही संसद में किसी तरह की चर्चा हुई है। इसलिए एनआरसी को देश में अभी  लागू नहीं किया जा रहा है। उधर तहत कई राज्यों में डिटेंशन सेंटरों के प्रधानमंत्री ने डिटेंशन सेंटर पर प्रम निर्माण की शुरुआत हो चुकी है। फैलाने वाला बयान दिया कि देश में दोनों शीर्ष नेताओं द्वारा पहली कोई डिटेंशन सेंटर है ही नहीं, जबकि बार सार्वजनिक रूप से विरोधाभासी अगले ही दिन एक टीवी से इंटरव्यू में बयान दिये जाने से, अनेक सवाल गृहमंत्री ने कहा कि देश का सबसे खड़े कर दिये हैं। बड़ा डिटेंशन सेंटर असम के नागरिकता संशोधन बिल को ग्वालपाड़ा के मतिया में बन रहा है, असलीयत्त छुपाकर इसके बारे में कुछ जिसको गृह मंत्रालय ने न केवल सियासी दलों ने मुस्लिमों में मंजूरी दी बल्कि इसके लिए 46.51 गलतफहमी फैलाकर उन्हें हिंसक करोड़ रुपये का बजट दिया। यही नहीं आन्दोलन करने के लिए उकसा दिया, गृह मंत्रालय ने पिछले सत्र में संसद जिससे पूरे देश के सभी प्रमुख शहरों पटल पर असम के छह डिटेंशन में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आये सेंटरों की भी जानकारी दी जा चुकी तथा हिंसक आंदोलन में सरकारी है। इससे पहले जुलाई 2019 में सभी सम्पत्तियां, पुलिस चौकी, वाहन आदि राज्यों को डिटेंशन सेंटर बनाने के क्षतिग्रस्त किये गये, लोग मोदी सरकार लिए निर्देश भेजे गये हैं। इन निर्देशों के के विरोध में नारे लगाने लगे।