निर्भया कांड की सातवीं बरसी पर विशेष
सात साल बाद भी तारीख पे तारीख...
निर्भया कांड के अभियुक्तों को यहां दी जाएगी फांसी
तिहाद जेल में फासीका तल जेल नबर-3 में हाजेलक। अहर जाते ही सीने हायकी और जानकबाद लगभग 501 'स्कायर मीटर की एक छोटी सी बिल्डिग है, इसे 'फासी कोती' करते है। इसके गेट पर हरदम ताला लगा रहता है। फांसी कोटी के गेट से अंदर घुसते ही लेफ्ट साइड में फांसी का तथा है। इसमें फासी देने वाले प्लेटफामक नाव एका 'बेसमेट बनाया गया है। बेसमेंट में जाने के लिए करीब 201 सदिया है । जिनसे नीचे उतरकर फासी पर लटकारगर कदा के मृत शरीर को बाहर निकाला जाता है। क्रोध से भर गया। इन दो जगहों से मंगाई जा सकती है फांसी की रस्सी 'जेल सूत्रों का कहना है कि वैसे तो फांसी देने के लिए व्हा विशेष रस्सी बिहार प्रदेश के बक्सर जेल से ही मगाई। जाएगी। लेकिन एगेकी यरवदा सेंट्रल जेलनेमीएसी विशेष 'रस्सिया बनती है। लिहाज तिहाड़ जेल प्रशासन वहा से भा। रस्सी मंग सकता है। जेल अधिकारियों का कहना है कि 'दया याचिका खारिज होते ही वैसे ही देश में जहा भी जल्लाद उपलब्ध होगा, उसे बुला लिया जाएगा। इसने गुजरात 'महाराष्ट्र, बगाल और यूपी में से कहीं से भी फासी देने के लिए जल्लाद को बुला लिया जाएगा। बाहर निकाल ली। किया था।
अब तक सिर्फ '57' ही लटकाए गए फांसी पर 2004 से 2014 तक हुई 1303 लोगों को फांसी की सजा अपने देश में गंभीरतम अपराध के लिए अपराधी के गले में रस्सी का फंदा डालकर फासी की सजा का प्रावधान है लेकिन दया याचिका की लंबी प्रक्रियके चलते इससजा कोअंजामतक पहुंचाने में अधिक विलम्बहोजता है ऐसालगता है किइसलंबी प्रक्रिया में ज्यादा समय लगने के कारण अपराधियों में फांसी की सजा के प्रति खौफ खत्मसा हो गया है। कहीं ऐसा तो नही इस वजह से ही गभीरतम अपराव करने से लोगों को डरन्ही लगत है। स्थानीय अदालत से शुरू हुए गभीरतम केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के निर्णय तक पहुंचने में को लगजाते हैं। सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा सुनाये जाने के बाद महामहिम राष्ट्रपति के पास दया याचिका के लिए केस लबित रहता है। इसमें भी काफी समय लगजाता है। तबक्क भुक्तभोगी की आयु इतनी हो जाती है कि उसमें केस लड़ने की शक्ति नहीरह जाती है। कईचारते पैरवीकमजेर होनेसेअपराधी बब निकलता है। यही वजह है कि देश की आजादी से लेकर अब तक सिर्फ 57 अपरावियों कोहीफासी पर लटकाया गया है। दिसम्बर 2012 मेहुएबहुचतिनिर्भया बलात्कार एवं जघन्य हत्याकांड के वर अभियुक्तों को फांसी की सजा देने की तैयारी क्लरही है। सजा देने की तैयारी कब तक पूरी हो पाती है यह देखने वाली बात है। डेथ वारंट-इसे भरने के बाद तोड दी जाती है
नई दिल्ली। ठीक सात बरस पहले 16 दिसंबर की तारीख निर्भया कांड के कारण पूरे देश के लिए स्वाह तारीख बनकर रह गई है। अज भी तारीख पे तारीख का सीन सामने आ रहा है। सात साल बाद भी दोषियों 'को फांसी के फंदे पर लटकाया नहीं ना सका है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2017 में फांसी की सजा पर मुहर लगा दी थी। हाल ही में 'हैदराबाद की डॉ. दिशा कांड के बाद इस मामले पर फिर सरकार पर दबाव बड़ा तो निर्भया कांड के दोषियों के गले में फांसी का फंदा क्रोध लटकता नजर आ रहा है लेकिन छात्रा फिर अदालत की तारीख ने टाल दिया है। अब पटियाला कोर्ट होकर अदालत 18 दिसम्बर को सुनवाई कर फांसी की सजा की तारीख सिर्फ मुकर्रर करेगी। के मित्र उस भयानक रात की कहानी " ने उस रात देश की राजधानी नई वह दिल्ली के वसंत विहार इलाके में दरिंदे एक चलती बस में पांच बालिग और तक एक नाबालिग दरिंदे ने 23 साल की एक लड़की जिसे अब सब निर्भया इन के नाम से जानते है के साथ सामूहिक हैवानियत का जो खेल खेला गया, नहीं उसे जिसने भी सुबह को सुना वही क्रोध से भर गया। पैरामेडिकल की छात्रा निर्भया फिल्म देखने के बाद अपने मित्र के साथ बस में सवार होकर मुनिरका से द्वारका जा रही थी। बस में उन दोनों के अलावा विहार सिर्फ छह लोग थे जिन्होंने निर्भया दिया के साथ छेड़छाड़ कर दी। उसके मित्र द्वारा विरोध करने पर आरोपियों ने निर्भया के मित्र को इतना पीटा कि वह बेहोश हो गया। उसके बाद सारे दरिंदे निर्भया पर टूट पड़े। काफी देर तक अकेली जूझती रही लेकिन आखिर में वो हारकर थक गई तो इन दरिंदों ने पहले निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार किया। यही नहीं उनमें से एक ने जंग लगी लोहे जिम की रॉड से प्रहार करके निर्भया की आतें शरीर से बाहर निकाल ली। किया था। मामले की सुनवाई के बाद में उन शैतानों ने निर्भया और दौरान 11 मार्च, 2013 को आरोपी उसके साथी को दक्षिण दिल्ली के बस चालक राम सिंह ने तिहाड़ जेल महिपालपुर के नजदीक वसंत में आत्महत्या कर ली। इस जघन्य विहार इलाके में चलती बस से फेंक अपराध में शामिल नाबालिग दोषी दिया था। काफी देर के बाद पीड़ित को बाल सुधार गृह में तीन साल लड़की को नाजुक हालत में दिल्ली गुजारने के बाद 20 दिसंबर 2015 के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती को अदालत ने जमानत पर रिहा कर कराया गया। इस मामले को लेकर दिया। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 10 पूरे देश में जब जनता का गुस्सा सितंबर, 2013 को चारों बालिग भड़क गया तो दो दिन बाद आरोपी आरोपियों को दोषी करार दिया और बस ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया 13 सितंबर 2013 को उन्हें मौत गया और उसका नाम राम सिंह की सजा सुनाई। इसके बाद दिल्ली बताया गया। उसी की निशानदेही पर हाईकोर्ट ने 13 मार्च 2014 को पुलिस ने उसके भाई मुकेश, एक चारों चालिग आरोपियों को सुनाई जिम इंस्ट्रक्टर विनय गुप्ता और फल गई मौत की सजा पर मुहर लगा दी। बेचने वाले पवन गुप्ता को गिरफ्तार आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में मौत की इसमें उसमें बब बलात्कार क्लर सजा को चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई 2017 को चारों बालिग आरोपियों की मौत की सजा को कायम रखा। डाई साल पहले फांसी की सजा बहाल होने पर भी इन्हें इनकी किए की सजा नहीं दी गई। घटना के सात बाद भी में अदालत में तारीख पे तारीख का खेल चल -