दिल्ली चुनावः मोदी की हुंकार के बादशाह ने बढ़ाए कदम
कांटे की टक्कर में केजरीवाल भी कम नहीं
81 प्रतिशत हैं हिंदू वोटर, राष्ट्रवाद की लहर चली तो पलट सकती है बाजी
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही ये कयास लगने शुरू हो गये है कि दिल्ली में चलेगी झाइया खिलेगा कमला सभी दलों ने अपनी-अपनी तैयारियों को तेजकर दिव है। दिल्ली के वोटरों की बात करें तो यहां पर सबसे अधिक 81 प्रतिशत हिन्दूमतदाता है, 12 प्रतिशतमुस्लिम मतदाताहैं पांचफीसदी सिख वोटर है ते ईसाई वजन वोटर भी एक-एक प्रतिशत हैं। इन चुनावों में यदि आप सरकारद्वारा दी जा रही फ्री सुविधाओं का प्रभाव रहा तोअरविंद केजरीवाल का खासा दबदबा रह सकता है, जैसा कि उनके चुनाव के बाद वाले बयान से दिख रहा है जिसमें उन्होंने कहा है कि आपको लगे कि हमने काम किया है तभी वोट देनवरना मत देना।
दूसरी ओर यदि सीएए का प्रभाव चलाती पसापलट सकता है क्योंकि 81 प्रतिशत हिन्दु अपने मत के बारे में सोच सकते है, जैसा कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हुआहै।जो केवल दिली मरहकरकवल सुविधाओं का उपभोगकरके राष्ट्रवादिता सेदूर रहनेवालेहीसीए, एनआरसीपर अपना रुख बदल सकते है। इनमें इंग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या अधिक हो सकती है। वैसे दिल्ली के वोटरों में पूर्वावलावर्ग और पंजाबी वर्गका बोलबाला है लेकिन मुस्लिम वर्ग भी किसी से कम नहीं है। दिल्ली के लगभग डेढ़ करोड़ वोटर में सबसे अधिक वोट पजाबीवर्गका।इस वर्गको भाजपा का वोट बैंक माना जा सकता है, खासकरसीएए आने के बाद। दूसरा स्थान पूर्वाचलीवर्गका है, यह वोट बैंक केजरीवाल का माना जाता है। इस वोट बैंक में भजपासेचलगाने के लिए प्रधानमत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शह, दिल्ली के सातों भजपईसासद पुराजोरलगरहे हैं। मनोज तिवारी को भजप का अच्यक्षइसीवर्गको मनाने के लिए बनाया गया है। मुस्लिम वर्ग तो आप और काग्रेस में विभाजित हो सकता है। 2015 में आप पार्टी की ऐसी आंधी चली कि उसने पुरे विपक्ष कासुपडासफ कर दिया। 70 में से 67 सीट जीतकर प्रवड बहमत हासिल कर लिया भाजपा सिर्फ 3 सीटों पर सिमट गई। काग्रेस सहित किसी भी पार्टीका खाना तक नहीं सहित किसी भी पार्टीका खाता तक नहीं चल पाया शा। तबसे आप के समीमो अरविंद केजरीचालनेसता संभालकर इन चनायों में निर्णायक भूमिका अदाकरनेवाले गशवबाहरीयोटरांपरसरीमेहरबानिय कर अपनी सियासी जमीन तैयार कर ली है।इसवर्गकीकाली कॉलोनी मेरहनेवाले कोफी बिजली फ्रीफनी फ्रीवाईफाई.फ्री पटाईऔरफीदवाईदेखी है। विवानसभ चनाय मे यही वर्ग मतदान के दिन सबसे अनिकघरोसेबहर निकल कर वोट बलने जात है। इसी वजह से जब चनव की खरीखऐलनहोने से पहले गृहमंत्री अमित तरीखोलनहोने सेपरलेगरमंत्री अमित शाहने अरविंद केजरीवाल को घेरने का प्रयास करते हुए यह पूछा कि वे यह ते बताएं कि उन्होंने पांच साल में काम क्य किया है। केवल अखबारों में झठे प्रवर करके यह दावा किया है कि मैने ये किया मैने वो किया। दिल्ली की जनसंख्या के हिसाब से 1करोड46 लाख वोटरहे।इनमेबहरी और स्थानीयवोटोका औसत 50-50का माना जा सकता है। यानी बाहरी वोटो के बिना दिली की सरकार नहीबन सकती। अवटिली के स्थानी अब दिली के स्थानीय वोटरों मे पंजाबियो का हिस्सा 35 प्रतिशतका है ये लगभग 30 सीटे प्रभावित कर सकते है तोमुस्लिम समुदायका हिस्स 13 प्रतिशत का है, जो दससीटों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। ये सीटेबलीमारान, चादनी चौक, मटिया महल, बाबरपुर, मुस्तफाबाद सीलमपुर, ओखल, त्रिलोकपरी आदि है। इन दोनों वगों के बाद निर्णायक वेटर पवंचल वर्ग से आता है। इसके लगभग 30 प्रतिशत वोटरजिसतरफकारुखकरेंगे, सरकार उस दल की बनेगी। ये वर्ग 25 सीटों में अहमरोल निभाता है। हालांकि चुनावों के लिए प्रमुख रूप सेमहिलसुरक्षा, अवैच कॉलोनी, कानून व्यवस्था, साफ-सफाई, फ्री वाई-फाई जैसे अनेक मुद्दे महत्वपूर्ण बतायेजरहे है लेकिन अरविद केजरीवाल द्वारा दीजा रही 2000 लीटर तक फ्री पनी 200 यूनिट तक फ्री विजली, फ्री वाई-फाई, सरकारी स्कूलों में निजी स्कूलों जैसी पढ़ाई, 156 मोहल्ला क्लीनिकों में मिल रही अच्छीदवाईजैसी सुविधाएं इस चुनावों में अन्यदलपरभारीपडसकती है। भाजपा ने हालाकि 40 लाख परिवारों की कच्ची कॉलोनियों को पका कराने का कामका दावाकरके इसवेट बैकमेसेवल्गालेकी कोशिश की है। भजपा और आपपार्टी के अलावाकाग्रेसकी चर्चा अभी तक नहीं हो रही है लेकिन इसपर्टीका अपना पुराना वोट बैंक है और पार्टी की कुछ परंपरागत सीटो पर काग्रेस प्रत्याशी जीत दर्ज कर सकते है। इसके अलावा बाकीचूनावका भविष्य प्रत्याशियों के चयन को लेकर अपना रंग दिखासकता है। प्रत्याशियों के चयन के बाद पार्टियों में असंतोषसे लेकर बगावततककी स्थिति उत्पन्नहोजनी है। इसका भी असर बुनाव पर पड़ता है।