एम.एल.सी.चुनाव:इस तरह होती है मतगणना

एम.एल.सी.चुनाव:इस तरह होती है मतगणना


सामान्य चुनावों से बहुत भिन्न है इस चुनाव की मतगणना की प्रक्रिया


स्नातक/शिक्षककोटेसे विधानपरिषद सदस्य चुनने हेतु कभी भी प्रदेश में चुनाव कराने की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा की जा सकती है


गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश में शिक्षक कोटे से पांच व स्नातक कोटे से छह विधान परिषद सदस्यों (विधायकों) का चुनाव झेना निश्चित है, जिसकी अधिसूचना मार्च के प्रथम सप्ताह तक कभी जारी हो सकती है। यह चुनाव सम्भवतया अप्रैल में होने हैं। इन चुनावों का क्षेत्र दो मण्डलों में है, जिनमें एक मेरठ तो दूसरा मण्डल सहारनपुर है। इन दोनों मण्डलों के आधान जिले आते है।जिनम यह चुनाव होना है। किस तरह होता है मतदान नहाँ आज आम चुनाव हाईटेक हो चुके हैं । विधानसभा और लोकसभा के आम चुनाव ईवीएम मशीन से होते हुए वीवीपैड मशीन तक पहुंच गये हैं। जिससे मतदाताओं को चोट डालते ही, यह मालूम हो जाता है कि उसका चोट किस पार्टी को गया है। 


वहीं यह विधानपरिषद सदस्यों के चुनाव अभी तक बैलेट पेपर पर ही होते हैं। चूंकि यह चुनाव किसी भी राजनैतिक दल के बैनर से नहीं लड़ा जाता है। इसलिये इस चुनाव में बैलेट पेपर पर प्रत्याशियों के नाम के आगे किसी भी पार्टी का अथवा निर्दलोग चुनाव चिन्ह नहीं होता है। इस तरह इस चुनाव में केवल प्रत्याशियों का नाम ही लिखा जाता है। यहां तक कि फोटो भी नहीं होता है। मतदाता को उन्हीं प्रत्याशियों में से अपने किसी एक पसंदीदा प्रत्याशी के नाम के आगे प्राथमिकता संख्या लिखनी होती है। नकि केवल चुनाव आयोग द्वारा प्रदत्न विशेष पेन से ही लिखी जाती है। यदि मतदाता किसी दूसरे पेन से प्रत्याशी के नाम के आगे प्राथमिकता संख्या लिख देता है तो वह चोट अवैध हो जाता है। वर्ष 2014 के स्नातक एमएलसी चुनाव में 94849 वोटों में से 3153  सामान्य वोट इसी कारण से निरस्त किये गये थे। जिन्होंने चुनाव आयोग का पेन प्रयोग नहीं किया था। मतदाता को बैलेट पेपर ही पर अपने पसंदीदा प्रत्याशियों में से प्राथमिकतानुसार वोट देना होता है। भी जैसे मतपत्र में मान लीनिने 10 प्रत्याशी लड़ा है और मतदाता को उन दस प्रत्याशियों बैलेट में से यह बताना होगा कि उसकी पहली आगे पसंद का प्रत्याशी कौन है,उस पहली निर्दलोग पसंद के प्रत्याशी के नाम के आगे, इस मतदाता को वोट डालते समय उस विशेष पेन से (1) लिखना होग। इसी प्रकार मतदाता को दूसरे पसंदीदा उन्हीं प्रत्याशी के नाम के आगे (02) लिखना होता है। चाहे तो मतदाता आगे क्रमवार यह संख्या सभी प्रत्याशियों के - । नाम के आगे लिख सकता है लेकिन प्रदत्न मतगणना में असली महत्व (1) व यदि (02) प्राथमिकता वाले प्रत्याशियों का ही माना जाता है। लिख दरअसल इस चुनाव में जहां प्रथम । प्राथमिकता के वोटों का महत्व होता है, एमएलसी वहीं उससे कहीं ज्यादा महत्व द्वितीय 3153 प्राथमिकता के वोटों का होता है। कभी-  कभी प्रथम प्राथमिकता में सबसे अधिक वोट पाने वाला प्रत्याशी, द्वितीय प्रथमिकता में कम वोट पाने वाले से हार भी जाता है। जैसा कि 2014 के शिक्षक एमएलसी चुनाव में उस समय के प्रलाशी व वर्तमान में राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल के साथ हो चुका है। इन चुनावों में मतगणना करने का को तरीका एकदम जुदा है। मतगणना करते तरह समय पहले सभी मतपत्रों को गिना से जाता है। इसके बाद उन मतपत्रों में से चोट 'नोटा' व बवैध घोषित्त वोटों को अलग विभाजित कर दिठा जाता है। वह इसके बाद जीतने के लिए वैध बाद सरकारी कोटा निकाला जाता है। हैं, उसका तरीच वह होता है कि कुल मत चोट पत्रों में से 'नोटा' व अवैध वोट प्राथमिकता निकालकर उसे दो से विभाजित कर गिनकरदिवा जाता है। मान लीजिये कुल वोट कि 56000 पड़े उनमें से 500 वोट नोटा चोट लीजिये को गये व 389 वोट अवैध मिले। इस सड़े तरह 500+389-889 को 56000 प्राथमिकतासे घटाकर बचे हुए 55117 में एक चोट जोड़कर 55112 को दो से (बीविभाजित किया जो 27556 आया तो वोटवह जीतने का सरकारी कोटा है। इसके वोट बाद उन प्रत्याशियों के वोट गिने जाते हैं, जिन्हें (1) नंचर प्राथमिकता के चरण चोट मिले हैं। उन सभी प्रत्याशियों को जिन प्राथमिकता (1) नंबर के बोट गणना गिनकर, उनकी सूची बना ली जाती है (2कि किस प्रत्याशी को कितने-कितने है चोट मिले। गणना इन चुनावों में प्राथमिकता (2) शुरू का महत्व भी कम नहीं है। अक्सर (ईप्रत्याशी की हार-जीत का फैसला यही पहले (2) प्राथमिकता ही करती है। प्रत्याशी इस चुनाव में प्राथमिकता (2)के यदि मतपत्रों की गणना, सूची में सबसे कम मिलते प्राथमिकता (1) पर मिलने वाले हो प्रत्याशी से शुरू होती है तथा उसे व क्रमवार मतगणना करते हुए पराजित पाये घोषित करते चले जाते हैं। जैसे मान पराजित लीजिये 55112 वोटों में से चुनाव में सड़े पांच प्रत्याशियों को इस प्रकार आने प्राथमिकता(1) के चोट मिले प्राथमिकता (ए)14000 वोट, भी (बी)13000 वोट, (सी)12000 ज्यादा वोट, (डी)9000 वोट, (ई)7112 प्रत्याशी वोट प्रत्याशी इस तरह मतगणना के द्वितीय दिया चरण में प्राथमिकता (2) के वोट जिन प्रत्याशियों को मिले हैं, उनकी प्राथमिकता गणना की जाती है। जय प्राथमिकता प्राथमिकता (2) के वोटों की गणना प्रारम्भ होती इन है तो (2) प्राथमिकता के वोटों की जानकारी गणना सबसे कम वोट मिले प्रत्याशी से प्रतीक्षा की प्रक्रिया शुरू की जाती है। इस तरह प्रत्याशी (ई) की प्राथमिकता (2) को वोट पहले गिने जायेंगे। मान लीनिये 5 प्रत्याशी को 500 वोट मिलते है तो उसे यदि 500 चौट (2) प्राथमिकता के मिलते हैं तो उसके कुल वोट 7612 हो गये तो जीत के कोटे के 27556 से व सबसे ज्यादा प्रथम प्राथमिकता वोट पाये (ए) प्रत्याशी से कम है तो उसे पराजित घोषित कर दिया जाता है। इस प्रकार नीचे से क्रम दो पर आने वाले (डी) प्रत्याशी की (2) प्राथमिकता के वोट गिने जाते हैं। वह भी जीत के कोटे से कम तथा सबसे ज्यादा (1) प्राथमिकता वोट पाने प्रत्याशी से कम सेती है तो (डी) प्रत्याशी को भी अगोग्ग घोषित कर दिया जाता है। इस तरह इस चुनाव में एक प्राथमिकता से कहीं ज्यादा महत्व दो प्राथमिकता के प्रत्याशी का भी होता है। इन चुनावें के विषय में अत्यन्त रोचक जानकारी के लिए अगले अंक की प्रतीक्षा करें। 


चुनावों से बहुत किस क्रम से मतपत्र में होते हैं प्रत्याशियों के नाम मतपत्र में प्रत्याशियों के नाम हिन्दी वर्णमाला के अनुसार लिखे होते हैन कि अंग्रेजी के एल्फाबेटिकल अक्षरोके द्वारा। मतपत्रमे फहे 'अ' के नाम के प्रत्याशी अकित होते है। इसके बाद इसी प्रकार आ.इ,ई,उ,ऊ, एए के क्रम मे बढ़ते चले जते हैं। चुनाव चिन्ह व पहचान ना होने के कारण अक्सर मतवत,मतपत्र देखकर भ्रमितभीहो जत है क्योंकि चुनाव पुरे नौ जिलों से होता है। इसलिये एकनमके कभी- कभी एक से अधिक प्रत्याशी भी जब मैदान में होते हैं तो इसका लाभानुकसान एक नाम के प्रत्याशियों 'को होने की सम्भावना बनी रहतीहा 


__ कैसे होती है मतगणना प्रत्याशी इन चुनावों में मतगणना की प्रणाली भी जटिल (है जोसमान्य चुनावों की तरह सरलनही है। यही वजह है कि 2014 में जब स्नातक कोटे सेमात्र94849 मतपत्रपड़े थे तब उनपरोकी प्राथमिकता गणनाकरके विधायक घोषितकरने में 36 घटे प्रत्याशी कालम्बसमयलगशाजाकि आमलेकसभा चुनावों में जहां 15-20 लाख वोटों की गणना होती है. कहा रिजल्ट अधिकतम 10क्रमवार 12 घटे में आजाता है। सवाल यह है कि क्यों लगता है इसमतगणनामेइतनासमय? इन चुनावों में मतगणना करने का को गये व 389 वोट अवैध मिले।